गुमनामी से बदनामी भला
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कौन हूँ मैं, मैं कौन हूँ
आन हूँ मैं बान हूँ
खुद की अपनी शान हूँ
जिन्दगी में कौन मेरा
मैं तो खुद की जान हूँ
कौन हूँ मैं , मैं कौन हूँ
सपनो का मैं राही हूँ
मैं निडर सिपाही हूँ
अपनी बलि चढाने को
खुद ही मैं कसाई हूँ
कौन हूँ मैं , मैं कौन हूँ
ना मेरा कोई प्यार है
न किसी से इजहार है
तन्हाई में मैं जीता हूँ
तन्हाई मेरा यार है
कौन हूँ मैं, मैं, कौन हूँ
कोई ख्वाब मेरा तोड़ गया
मझधार में ही छोड़ गया
एहसान किया उसने मुझ पर
मुझको मुझसे जोड़ गया
कौन हूँ मैं, मैं कौन हूँ
अब तो मैं रुकुंगा नहीं
अब कभी झुकूँगा नहीं
वो खुद को चाहे मार दे
पर साथ दे सकूँगा नहीं
कौन हूँ मैं, मैं कौन हूँ
अब किसी की सुनना नहीं
साथी कोई चुनना नहीं
शांत हो चूका हूँ मैं
ख्वाब कोई बुनना नहीं
अब मौन हूँ मैं, हां मैं मौन हूँ
कवि बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद “
दादा जी दादा जी मुझको फिर से गले लगाओ न,
घिरा पड़ा हूँ अंधकार से आकर राह दिखाओ न ।
बचपन में चलते चलते जब घुटने पर गिर जाता था ,
मिट्टी कीचड़ में सन करके मैं गंदा हो जाता था ।।
रोते रोते सूनी आँखे आंसू से भर जाती थी ,
माता भी गुस्से में जब पास न मेरे आती थी ।
झुकी कमर से भी तुम तब ऐसी दौड़ लगाते थे,
राजा बेटा मेरा कहकर फ़ौरन गोद उठाते थे ।।
आज गिरा हालात में फसकर फिर से मुझे उठाओ न ।
दादा जी दादा जी मुझको फिर से गले लगाओ न ।।
राजा रानी, घोड़े हाथी के किस्से रोज सुनाते थे,
मुझे बिठा कर पीठ पर अपने खुद घोडा बन जाते थे ।
कभी सहारा बनू आपका , मुझको चलना सिखलाया,
सही गलत में फर्क भी करना तुमने मुझको बतलाया ।।
आज जमाना बदल चुका है समझ नहीं कोई आता ,
रहे सामने साथी बनकर पीछे से गला दबा जाता ।
कौन है अपना कौन पराया फिर मुझको समझाओ न,
फिर से गिरा मुसीबत में अब इससे मुझे बचाओ न ।।
दादा जी दादा जी मुझको फिर से गले लगाओ न ।
घिरा पड़ा हूँ अंधकार से आकर राह दिखाओ न ।।
कवि बीरेंद्र गौतम ” अकेलानन्द”
दादा जी दादा जी मुझको फिर से गले लगाओ न Read More »
किसी बात पर हंसो , कभी बिन बात पर हंसो
हालत नहीं अच्छे तो, अपने हालात पर हंसो
हंसो हर दिन पर और हर रात पर हंसो
कभी जुदाई पर हंसो तो, कभी मुलाकात पर हंसो
अपने हार पर हंसो, फिर उसी जज्बात पर हंसो
किसी ने दी नहीं कभी , हर उस सौगात पर हंसो
ज़माना हंस रहा तुम पर, उस सवालात पर हंसो
हंसो हरदम की जब तक, तुम्हारे अंदर सांस बाकी है
और जब अंत हो नजदीक , तो उस कायनात पर हंसो
सदा उदास रहने से, सब कुछ बिखर जाता है
और हंसते रहने से जिन्दगी संवर जाता है
अकेले में भी हंसो और सबके साथ भी हंसो
किसी बात पर हंसो तो कभी बिन बात पर हंसो
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बीरेंद्र गौतम ” अकेलानंद “
हंसो हमेशा जिन्दगी में Read More »
तेरा मुझसे दूर जाने का कोई गम नहीं,
सुकून है इसकी वजह तो हम नहीं ।
जमाने से जाकर मेरी ही कमियाँ गिनाएगी,
फिर भी यकीं है की तेरी दलील में कोई दम नहीं ।।
इस हुश्न की तारीफ़ में कुछ न बोलूँगा ,
हर गम को सहते हुए छुपकर रो लूँगा ।
मालूम है उसका प्यार सिर्फ मेरा ही नहीं है ,
पर ये राज जमाने के सामने नहीं खोलूँगा ।।
कहने को तो बहुत कुछ है पर आप सुनते कहाँ हो ,
हमारे यादो के भी सपने आप बुनते कहाँ हो ।
हमने तो पहली नजर में आपको अपना बना लिया,
किसी कशमकस में आप हमें चुनते कहाँ हो ।।
उसकी बेरुखी को कब तक सह पाऊंगा ,
अब जाने किस हद तक चुप रह पाऊंगा ।
पता है वो शामिल है किसी गैर की महफ़िल में ,
प्यार खोने के डर से मैं कुछ न कह पाऊंगा ।।
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बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद “
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कोई दिन न बचा ऐसा की,
जब तेरी याद न आई हो |
कोई पल नहीं याद मुझे की,
जब तेरी याद न आई हो ||
यूँ तो साँसे भी छोड़ जाती है ,
एक बार को धोखा देकर |
आंसू भी आँख से गिर जाते ,
किसी अपने को खोकर ||
इक मेरा दिल ही है जिसमे ,
कोई बदलाव न आई हो |
कोई पल नहीं याद मुझे ,
की जब तेरी याद न आयी हो ||
क्या याद तनिक भी है तुझको ,
जो कसमे मिलकर खाई थी |
दोनों से पूरी दुनिया थी ,
बाकी सब लगी परायी थी ||
हैरान नहीं हूँ मैं तुझ पर ,
इक वादा भी अगर निभाई हो |
कोई पल नही याद मुझे की ,
जब तेरी याद न आयी हो ||
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बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद ”
कोई दिन न बचा ऐसा कि जब तेरी याद न आई हो Read More »
तुम आँखों से इशारा न करते अगर,
इन्तहा इंतजार की ख़त्म होती नहीं ।
बात गर दिल से की होती मुझसे कभी,
बेवजह रात भर आँख रोती नहीं ।।
प्यार था प्यार है और रहेगा सदा,
ऐतबार करना सीखा न हमने कभी ।
जो जगह दी है तुझको इस दिल ने मेरे,
यादो के धागों में फिर पिरोती नहीं।।
कोई बिछड़े कभी चाहे दूरी करे,
कितना जायज जुदाई में कोई मरे ।
जिन्दगी इतनी आसान होती अगर,
उम्र भर बोझ यादों के ढोती नहीं।।
इक मुलाकात, फिर बात बढती गयी,
फिर तेरा इश्क सर मेरी चढ़ती गयी ।
न गिरते कभी प्यार में इस कदर,
बांहों में कसके इक रात सोती नहीं ।।
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कवि एवं अभिनेता – बीरेंद्र गौतम (अकेलानंद )
मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ।
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
किसी से मिलने जाऊ या किसी से मैं बतियाऊं,
सुबह शाम मोबाईल मेरा चेकअप करती है।
नए पुराने दोस्त किसी से कभी न मिलने देती,
गर लडकी के बगल से गुजरूँ पूरी खबर वो लेती ।।
खुद तो कितने लडको से वो हैण्ड शेकअप करती है,
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
इस सन्डे को कपड़े मांगे उस सन्डे को सैंडल,
खर्चा इतना करवाती अब होती नही है हैंडल ।
मिलते ही सैलरी सारी वो टेकअप करती है,
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
सुबह सुबह बिस्तर से बोले जल्दी दे दो काफी,
गलती चाहे वो करती फिर भी मैं मांगू माफ़ी ।
जाने की धमकी देती, फौरन पैकअप करती है ,
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
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तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे ।
मिलने को होगी मजबूर , मगर धीरे धीरे ।
आइना देखकर यूँ, इतना इतराया न कर,
ये उम्र भी ढलेगी जरूर, मगर धीरे धीरे ।।
इन हुस्न की गलियों में ऐसे न खो जाना,
भागदौड़ का है दस्तूर , मगर धीरे धीरे ।
थोड़ी तो रहम कर, ये बेरहमी शोभा नही देती,
टूटता है सबका गुरुर , मगर धीरे धीरे ।।
तेरे संग बीते सभी यादे जिन्दा है अभी,
दिल से मिटेगा, जरुर मगर धीरे धीरे।
अभी कुछ और पल इसी आगोश में जीने दे,
फिर इसे कर देना चकनाचूर, मगर धीरे धीरे ।।
सुना था की मुहब्बत में यकीं मुश्किल से करो ,
मुझ पर भी चढ़ा था सुरूर, मगर धीरे धीरे ।
दुनिया भले ही डूबे इस समंदर में अकेलानंद ,
पार तो मैं निकलूंगा जरुर मगर धीरे धीरे ।।
तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे Read More »
गजियाबाद में ३० नवंबर को अनंत होटल में कलम के जादूगर का चर्तुथ वार्षिकोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया । इस कार्यक्रम में पूरे देश भर से आये हुए कवियों ने अपना जादू विखेरा । कलम के जादूगर के संस्थापाक श्री श्रेय तिवारी जी की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम हुंकार के नाम से आयोजित किया गया । इस संस्था का मुख्य उद्देश्य देश भर के नयी कलम को एक मंच दिलाना और उनकी पहचान दिलाना है ।
कलम के जादूगरों का चला जादू , चुतर्थ वार्षिकोत्सव में मचा धमाल Read More »
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर,
नहीं हम जोड़ते रिश्ते को फिर से तोड़कर ।।
बिताये दिन तुम्हारे साथ थे हम क्यों भला,
समझ पाए नहीं तुम हो मुसीबत की बला ।
तुम्हे दिन रात हम तो याद करते ही रहे,
मगर पीछे सदा ही काटते थे तुम गला ।।
चैन से जी रहा हूँ मैं तुम्हे अब छोड़कर,
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर …
पढाई भी तुम्ही ने तो मेरी बर्बाद कर डाली,
तेरे कारण ही सुनता हूँ पिता जी से अभी गाली ।
जो कुछ भी जेब खर्च मिलते वो सब तुमने किये खाली,
इस झूठे प्यार की खातिर, क्यों मन में थी भरम पाली ।
बहुत खुश है तू अब औरो से रिश्ता जोड़कर,
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर … ।।
समझ आता नहीं था जब तू मेरे साथ थी,
बिना पंखो के पंक्षी सी मेरी हालत थी।
इशारो पर तेरे दिन रात यूँ चलता रहा,
सफल तो गयी , मैं हाथ बस मलता रहा ।
मिला क्या तुझको मकसद से मुझको मोड़कर
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर ।।
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर – CHALE JAO NA AANA TUM DOBARA LAUTKAR Read More »
प्यार की भाषा का कोई शब्द नहीं होता इसलिए इशारो में प्यार हो जाता है, आइये आपको इशारो वाला प्यार (ISHARON WALA PYAR ) की कहानी सुनाता हूँ. –
सुबह का समय है, मौसम बहुत ही खुशनुमा है, मंद मंद हवा चल रही है । कुछ जोड़े इधर – उधर बांहों में बाँहे डालकर घूम रहे है । बुजुर्ग दम्पति भी खुली हवा में सांस लेते हुए व्यायाम कर रहे है ।
एक लड़की अकेली दौड़ लगा रही है, लेकिन उसका ध्यान किसी की तरफ न होकर एक दम शांत है । बगल से एक लड़का कानो में हेडफोन लगाकर दौड़ता हुआ निकलता है लेकिन दोनों की कोई प्रतिक्रिया नहीं । अगले दिन फिर दोनों दौड़ते हुए आमने सामने टकराते है लेकिन किसी की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती । मानो दोनों में से किसी को एक दूसरे में दिलचस्पी न हो । धीरे – धीरे एक महीना बीत जाता है और दोनों रोज ही एक बार आपस में टकराते जरुर है ।
फिर एक दिन वो लड़का उस लड़की को प्रपोज करता है । देखो मैं तुम्हे रोज देखता हूँ, शुरू में तो लगा की हम ऐसे ही एक दूसरे से टकरा गए, लेकिन रोज –रोज मिलने से मैंने तुम पर ध्यान देना शुरू कर दिया । एकदम शांत स्वाभाव, किसी तरह की कोई दिखावा नहीं, अपने आप में खोयी सी रहती हो, फिर पता नहीं क्यों मेरे दिल में एक अजीब सा हलचल हुआ और फिर मै तुम्हारे प्रति आकर्षित होने लगा ।
शुरू में तो मैंने सोचा की 2-4 दिन में सब खत्म हो जायेगा , लेकिन मैं मन ही मन तुमसे प्यार कर बैठा । मुझे न तुम्हारा नाम मालूम, न पता मालूम, तुम करती क्या हो , परिवार वैगरह आदि । फिर भी मैंने हिम्मत जुटाई और आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ!
क्या तुम मेरा साथ दोगी , सदा सदा के लिए
वो लड़की हतप्रभ उसे दखते रह गयी , परन्तु उसके आँखों के एक कोने से पतली सी आंसू की धारा बह निकली । उसके इस व्यवहार से लड़के को बड़ा दुःख हुआ की कही उसने कोई गलती तो नहीं कर दी । फिर भी उसने अपने आप को संभाला और बोला देखो कोई जबरदस्ती नहीं है, अगर तुम नहीं चाहती तो मना कर सकती हो । फिर लड़की ने जो इशारा किया उसे देखकर लड़के की मनोदशा विचलित हो गयी , दरअसल वो लड़की बोल नहीं सकती थी । उसने इशारे में उसे समझाया की मैं गूंगी हूँ और तुम्हारा साथ कैसे दे पाऊँगी ।
लड़का कुछ सोचते हुए , आँखों में आंसू लेकर भारी कदमो से वंहा से चला गया । लड़की उसे दूर जाते देखकर फूट फूट कर रोने लगी ।
उसके बाद अगले दिन फिर वो लड़की उसी पार्क में घूमने आयी परन्तु वो लड़का दिखाई नहीं दिया ।
समय बीतता गया 15 दिन से ज्यादा हो गए परन्तु वो लड़का दिखाई नही दिया । लड़की ने उसे भूल जाना ही बेहतर समझा ।
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फिर एक दिन वो रोज की तरह उसी पार्क में घूमने आयी , और अभी बगल में रखी बेंच पर बैठी ही थी की सामने से वही लड़का हाथ में गुलदस्ता लेकर आता हुआ दिखाई दिया । उसके पास आकर लड़के ने कुछ इशारा किया बदले में उस लड़की ने भी इशारे में उसका जवाब दिया ।
लड़के ने वो गुलदस्ता उस लडकी के हाथो में दिया जिसे उसने तुरंत स्वीकार किया और उससे लिपट गयी ।
दरअसल बात ये हुई की लड़का उस लडकी को दिल से चाहने लगा था , लेकिन जब उसे पता चला की वो बोल नही सकती तो वो निराश हो गया । फिर उसने वो भाषा सीखी जिससे वो इशारे में उससे बात कर सके । और आज वो न की उसकी बात को समझ सकता था बल्कि अपनी बात भी कह सकता था । ये जानकार उस लकड़ी की आँखों से आंसुओ के धार बह निकले, वो उससे लिपट कर रोने लगी ।
लड़के ने उसे इशारे इशारे में समझाया की लोग हमें देख रहे है , ये देखकर वो लड़की मुसकरयी और फिर दोनों हाथो में हाथ डालकर वंहा से निकल गए ।
और इस तरह से इशारों वाला प्यार इशारों ही इशारों में परवान चढ़ जाता है ।
इशारों वाला प्यार – ISHARON WALA PYAR Read More »
भारत देश एक देश है जिसमे कई सारे धर्म, जाति और सम्प्रदाय के लोग स्वतंत्र होकर रहते है । इस देश में किसी को भी किसी धर्म को मानने या न मानने पर किसी भी तरह का दबाव नहीं दिया जाता । कुछ लोग ईश्वर को मानने वाले है तो वहीँ कुछ नास्तिक भी देखने को मिल जायेंगे लेकिन सभी में भारत देश के प्रति प्रेम देखने को मिल जायेगा ।
अगर हम जाति की बात करे तो अकेले हिन्दू धर्म में लगभग तीन हजार जातियां और पचीस हजार उपजातियां देखने को मिल जाएँगी । आखिर किसी एक धर्म के मानने वालों को इतने वर्गों में या जातियों में बांटने की जरुरत क्यों पड़ी ?
कुछ इतिहासकारों का मानना है की भारत देश के मूलनिवासी आदिवासी , जिन्हें दलित भी कहा जाता है वही है , बाकी अपने आप को उच्च वर्ग के मानने वाले तो बाहर से आये हुए है । उन्होंने यंहा आकर भारत देश के भोली भाली जनता (दलितों ) को मूर्ख बनाकर उन्हें निचला बताकर और अपने आपको सर्व श्रेष्ठ साबित कर दिया । तब से लेकर आज के इस आधुनिक युग में भी हम इस जाति व्यवस्था से निकल नहीं पाए है । आज भी किसी दफ्तर में चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट सब जगह जाति पूछ कर काम किया जाता है अगर आप काम करने वाले कर्मचारी के निकटतम जाति के है तो आपका काम आसानी से हो जाता है वहीँ अगर आप निचली जाति से है तो आपका काम जरुरत से ज्यादा देर से होता है ।
(Hindu Dharm me Dalito ka sthan )
हमारे देश के सभी बड़े हिन्दू नेता आज कल एक ही रट लगाये बैठे है की सभी हिन्दू एक हो जाओ , अगर बटोगे तो कटोगे
आखिर किस हिन्दू को एक होने की बात कर रहे है जहाँ एक दलित की फिल्म को आज के इस आधुनिक युग में भी नहीं रिलीज होने दिया जा रहा है ।
किस मुंह से आप उन्हें हिन्दू होने की बात कर रहे है !
जहाँ राजनीति में जातिवाद कूट कूट कर भरा हुआ है ब्राह्मणवादी विचार की बू आती है !
कहने को वो सभी को एक करना चाहते है परन्तु अन्दर ही अन्दर नफरत लिए बैठे है ।
सभी को गैर हिन्दुओ से खतरा है लेकिन यहाँ तो दलितों को आज भी हिन्दू नहीं माना जा रहा है । दशको पहले जो दलितों के साथ या यूं कहे की जो इस देश के असली मालिक है उनके साथ भेदभाव होता आया है । आज दलित समाज अपने शिक्षा के बल पर बड़े बड़े कामयाबी हासिल कर रहा है इज्जत की रोटी खा रहा है लेकिन इन मनुवादियों को ये हजम नहीं हो रहा है ।
ये आदिकाल से ही दलितों के दुश्मन बने हुए है । हमारे देश के प्रधानमंत्री जब विदेश दौरे पर होते है तो कहते है मैं भगवान बुद्ध की धरती से आया हूँ । परन्तु आज भी यहाँ बुद्ध के अनुयायियों को हिकारत के नजरो से देखा जाता है ।
कहते है फिल्मे समाज का आइना होते है जिसका प्रभाव सबके दिमाग पर होता है । अभी पीछे कई हिन्दू कहानियो पर आधारित फिल्मे आई जिनमे कइयो को लेकर आन्दोलन भी किये गए । परन्तु एक दलित आधारित फिल्म को इस देश में रिलीज नहीं होने दिया जा रहा है जो की सच्चाई को दर्शाती है ।
अब इस देश के दलितों पिछडो को सोचने की जरुरत है की ये मनुवादी आज भी आपके हितैषी नहीं है ।
ये कितना भी हिन्दू संगठित होने की बात कर रहे हो परन्तु आप ये समझ लेना की जब कोई जहरीला सांप सिर झुकाता है तो समझ लीजिये वो जहर उगलने की तैयारी में है ।
अब फैसला आपके हाथ में है की इन मनुवादियो के पत्तल में झूठा चाटते रहना है या अपने दम पर आगे बढ़ना है ।
आपके दिमाग में चलने वाली बाते –
हमारा मालिक हमें बहुत मानता है ।
मैं अपने मालिक को धोखा नहीं दे सकता ।
यंहा सीखने को बहुत कुछ मिल रहा है ।
यार इमरजेंसी में पैसा मिल जाता है ।
1-2 घंटे देर से जाता हूँ तो पैसे नहीं काटता ।
पता है मेरे बिना कम्पनी का काम नहीं चलता ।
कम्पनी की चाभी तक मेरे पास है ।
जब मुझे जरुरत थी तो कम्पनी ने मेरा साथ दिया अब मुझे भी साथ देना चाहिए ।
कम्पनी या ऑफिस ज्यादा दूर नहीं है ।
अगर ये सारे विचार आपके भी है तो सावधान आप एक ऐसे दलदल में फंसते जा रहे है जहाँ से निकलना बहुत ही मुश्किल हो जायेगा ।
जब तक आपको समझ में आयेगा की आप दलदल में फंस चुके है तब तक बहुत देर हो जाएगी ।
जरा सोचिये आप अपना घर परिवार छोड़कर इतनी दूर शहर में किस लिए आये है – पैसा कमाने के लिए न , फिर इस मोह के चक्कर में पड़कर अपने लक्ष्य से क्यों भटक रहे है ।
प्यार मोह तो आपके घर परिवार से होना चाहिए था जिन्हें आप पैसो की खातिर छोड़ चुके है तो फिर बहरी लोगो से उम्मीद क्यों ?
प्राइवेट कम्पनी वाले किसी के नहीं होते इन्हें बस अपना उल्लू सीधा करना होता है ।
जब तक आप इन्हें 100 रूपये कमाकर दे रहे है तो बदले में ये आपको 10 रूपये का तनख्वाह दे रहे है । जिस दिन इन्हें लगेगा की आप के काम में कमी हो रही है या आप उतना काम करने में सक्षम नहीं है, उसी दिन ये आपको दूध से मक्खी की तरह निकाल कर बाहर कर देंगे ।
उस समय आप सोचेंगे की आपका मालिक आपको कितना मानता है । अरे भाई किस अँधेरे में जी रहे है अभी भी समय है और समय रहते नौकरी बदल लेनी चाहिए ।
किस समय तक नौकरी बदलते रहे
बहुत से लोगो को प्रश्न होता है की अभी तो हम काम पर लगे है और यंहा तो बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है तो हमें नौकरी बदलनी चाहिए या नहीं-
उसके लिए निम्न बातो का ध्यान रखे –
जिस कम्पनी में काम कर रहे है उस कम्पनी का ग्रोथ रेट क्या है मतलब कम्पनी कितनी पूरानी है और किस लेवल तक पहुची है ।
उस कम्पनी में सबसे पुराने कर्मचारी की तनख्वाह क्या है और सबसे बड़ी बात उस कम्पनी में उसकी इज्जत कितनी है ।
जिस काम को आप सीखने की कोशिस कर रहे है उस काम में और कितने लोग है , आपका कम्पटीशन कितने लोगो से है , और वो कितने दिन से काम कर रहे है ।
क्या उस काम से और उस कम्पनी से मिलने वाले पैसे से आपकी जरूरते पूरी हो रही है या सिर्फ सीखने के चक्कर में अपने आप से समझौता करके जीवन यापन कर रहे है ।
तो भाइयो इन बातो को देखते हुए अगर आपको लगता है की आप सिर्फ सीखने के चक्कर में अपना ज्यादा समय बर्बाद कर रहे है, और सीखने के बाद भी यंहा पर ज्यादा पैसे मिलने वाले नहीं है तो देर किस बात की आज ही कम्पनी छोड़ दे ।
कभी भी 4-5 कमर्चारी और बिना रजिस्टर्ड वाली कम्पनी में काम न करे क्योकि ऐसे कम्पनी के कोई भी नियम क़ानून नहीं होते ये कभी भी आपको लात मर कर बाहर निकल सकते है ।
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हाँ हो सकता है की ऐसे कम्पनियों में आपका सम्पर्क सीधे सीधे मालिक से होता है और वो आपके साथ ऐसे पेश आता है । मानो आप के भरोसे ही ये कम्पनी चल रही है और अगर कभी आपने जाने अनजाने में नौकरी बदलने की बात की तो आपके साथ इमोशनल ब्लैकमेल भी करता है तो तुरंत सावधान हो जाइये ऐसे कम्पनी में तो बिलकुल न रूके । ये आपकी भविष्य को बर्बाद कर सकते है और जब तक ये बात आपके समझ में आयेगा तब तक बहुत देर हो जाएगी ।
सुझाव – अगर आप नए नए शहर में आये है तो सबसे पहले आपको जरुरत होगी अपने खर्चे चलाने की ऎसी स्थिति में आपको जो भी काम मिले सहर्ष स्वीकार करे और शुरुआत करे ।
2-3 महीने बाद जब आपकी आर्थिक स्थिति ठीक हो जाये या यूँ कहे की 10-15 दिन भी आप बैठकर खाने के लायक हो जाये तो फिर अपने काबिलियत के अनुसार नौकरी ढूंढें ।
आपकी इच्छा अनुसार नौकरी मिलने पर आप उस कम्पनी में अपना 100 प्रतिशत दीजिये जिससे आपको काम करने के तरीके , नियम कानून , लोगो के ब्यवहार आदि सब कुछ अच्छे से समझ में आ जाये ।
अब अपने तनख्वाह और काम की तुलना कीजिये की आपके काम के हिसाब से आपको पैसे मिल रहे है या नहीं अगर ऐसा नहीं है । तो देखिये की दूसरी कम्पनी में उसी काम के इतने पैसे मिल रहे है आगर ये अनुपात ज्यादा का है तो फिर देर किस बात की तुरन्त नौकरी बदले दीजिये ।
कम्पनी में कभी किसी के साथ बय्क्तिगत मत होइए ये सदा आपका नुकसान करवाती है अपने काम से काम रखिये , ऐसा भी नहीं की आप किसी से बातचीत मत कीजिये , कीजिये लेकिन एक दायरे में रहकर अपने परिवार या किसी पुरानी घटना का जिक्र किसी से मत कीजिये ।
अगर आपको लोगो को इस विषय में और जानकारी चाहिए तो हमें व्हात्सप्प नंबर पर सम्पर्क कर सकते है या कमेन्ट बॉक्स में लिख सकते है तो उस विषय पर लेख जरुर लिखा जायेगा ।
प्राइवेट कम्पनी किसी का सगा नहीं होता – प्राइवेट नौकरी कब बदले Read More »