September 2020

कोरोना चक्र – एक प्रेम कथा

सूनी पड़ी है सड़के , मंजर है तनहा तनहा

सुबह का समय , सूरज की किरणे खिड़की के रास्ते सीधे कमरे में प्रवेश कर रही थी। बाहर चिडियो के चहचहाने और बच्चो के खलेने की शोर भी सुनाई दे रहे थे। समर्थ वो समर्थ जल्दी उठ जा कितना दिन चढ़ आया है,अभी तक सो रहा है, चिल्लाते हुए माँ की आवाज कानो में पड़ी तो वो झट से उठ बैठा। क्या माँ इतनी जल्दी जगा दिया, आज तो कालेज भी नहीं जाना है, शिकायत के लहजे में बोला और वाशरूम की तरफ बढ़ गया। सुबह के नौ बज चुके थे , डाइनिंग टेबल पर समर्थ और उसकी माँ के साथ एक छोटा बच्चा भी बैठा थ। अरे सनी सुबह इधर कैसे आ गया, पूछा समर्थ ने। उसकी माँ ने बोला ये सुबह से तीन बार आ चुका है, शायद तमन्ना को कोई किताब चाहिए थी इसलिए भेजा है। तमन्ना का छोटा भाई है सनी।

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गुमनामी से बदनामी भला

.गुमनामी से बदनामी भला, लोग याद तो किया करते है। 

और बदनाम वही होते है, जो नेक काम किया करते है।। 

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दूसरे के बन जाओ लेकिन किसी को अपना न बनाओ

आजकल के जिंदगी में किसी को अपना बनाने की भूल मत करना। अगर आपको लगता है की आप बहुत ही अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है तो आप दूसरे के बन जाने की कोशिश करना। क्योकि अगर आपने किसी को अपना बनाया तो संभव है आपको उससे धोखा अवश्य मिलेगा, ऐसी स्थिति में आपको दुखी होना पड़ेगा। और अगर आपको किसी ने अपना बनाया या आप किसी के हो गए तो उस व्यक्ति को कभी दुखी होने की स्थिति नहीं आएगी जैसा की आपका व्यक्तित्व है हर किसी को सम्मान और ख़ुशी बाटने का।

श्री अकेलानन्द जी

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