May 2023

प्यार वरदान है तो मोह अभिशाप

प्यार वरदान है तो मोह अभिशाप

 प्यार अगर वरदान है तो वही मोह अभिशाप बन जाता है l किसी भी इंसान का अपनी परिस्थिति के वश में हो जाना और उसके अनुसार आचरण करना तो उसकी विवशता हो जाती है l परन्तु यदि आप किसी के मोह वश हो जाये और आपकी हंसी , आपका आनंद, आपका चैन दूसरे की बर्ताव पर निर्भर करे  तो यकीन मानिये आप उसके पूर्णतया अधीन हो चुके है l आपके मस्तिष्क पर उस इंसान का नियंत्रण हो चुका है l और आपकी मनोदशा विक्षिप्त हो चुकी है l हर पल, हर घडी , प्रत्येक स्थिति में आप उसी का चिंतन कर रहे होते है l

आप  अपना महत्व खत्म कर चुके है , अब आपकी गुणवत्ता एक निमित्त मात्र रह गयी है l

जिस तरह से एक कठपुतली का नृत्य दिखाने वाला मदारी का सम्पूर्ण नियंत्रण उसके कठपुतली पर होता है , वो जिस दिशा में चाहे , जिस कोण से चाहे उसे नचा सकता है , उससे जो भी भाव प्रकट करना चाहे या वाक्य कहना चाहे , वो सब कर सकता है l आपकी स्थिति भी एक कठपुतली की तरह हो जाती है l 

फिर भी  आप किसी के मोहवश में हो चुके है तो कठपुतली की जगह बुत बनना उचित रहेगा l आपको मौन धारण कर लेना चाहिए , और एक तरह से अपने आपको उसके सम्मुख निष्क्रिय बना देना चाहिए l ऐसी स्थिति में न तो आपके उपर किसी तरह का मानसिक दबाव रहेगा और न ही कोई दूसरा आपको अपने इशारे पर नचाने की चेष्टा करेगा l अपने आपको इस तरह निर्माण कीजिये की लोग आपकी वजह से नहीं आपके लिए बेचैन रहे और आपको उनके उस बर्ताव से कोई प्रभाव पड़े

प्यार रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है  l परन्तु मोह इंसान को हमेशा से कमजोर  बनाता आया है l 

हर पिता को अपने पुत्र से प्रेम होता है और वो चाहता है की वो अपने जीवन में एक सफल और सच्चा नागरिक बने, परन्तु यदि उसे मोह हो  जाए तो वह अपने पुत्र का त्याग नहीं कर पाएगा और फिर वो बालक न तो किसी विद्यालय में जा सकेगा और न ही अन्य कुशलताओ में निपुण हो सकेगा l अगर आप किसी का भला चाहते है , उसके व्यक्तित्व को निखारना चाहते है तो एक दायरे में रहकर कीजिये तभी आप सफल हो सकेंगे l जिस दिन आप उसके मोहवश हो जायेंगे यकीनन उसके साथ -साथ आप भी अपने आपको शुन्य कर लेंगे l 

फिर भी अगर आप उस इन्सान के बगैर चिंतित है, तो एक बार अपने आपको आइने में देखकर स्वयं से प्रश्न कीजिये क्या आपकी कीमत बस इतनी सी है की कोई भी आपका मालिक बन जाये l

अपने आपको अकेला कर लीजिये, और फिर देखिये समय का चक्र कैसे आपके अनुरूप काम करना शुरू करता है l 

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दोस्त – जो हर कीमत पर आपको सुरक्षित रखे

हम सब किसी न किसी के साथ जुड़े होते है चाहे वो प्यार का रिश्ता हो, दोस्ती का हो या किसी विशेष कारण से ही एक हुए हो |

इन सबमे एक ऐसा भी होता है जिस पर हम जान छिडकते है  किसी भी कीमत पर उसका बुरा नहीं होने देते |

लेकिन कभी कभी ऐसी स्थिति आ जाती है की हमारा वो दोस्त किसी गलत रास्ते पर निकल पड़ता है,  या कोई गलत निर्णय लेता है |तो उस स्थिति में हमें हर कीमत पर उसे रोकना चाहिए |

हो सकता है की उस समय उसके लिये वो रास्ता या वो वस्तु या अमुक इन्सान ज्यादा मायने रखता हो जिसके प्रति उसका लगाव बढ़ रहा है , और वो आपकी एक भी बात का समर्थन नहीं करेगा |

उस समय उसे आपकी हर बात निरर्थक लगेगी, और आप जो की उसके भले के लिए सोच रहे है सबसे बड़े शत्रु के रूप में दिखाई देंगे तो अब क्या ? क्या आपको उसे उसके हालत पर छोड़ देना चाहिए ? नहीं ! अगर आपने ऐसा किया तो उसे और बल मिलेगा की वही सही था और उसका निर्णय कभी गलत नहीं हो सकता |

हां, यह भी हो सकता है की वो आपको भला बुरा भी बोल दे जो आपके हृदय को आघात करे और क्रोध वश आप उसे हमेशा के लिए अकेला छोड़ दे |

लेकिन जरा सोचिये क्या यह उचित होगा ?

उदाहरण  के लिए  – आपका कोई छोटा बच्चा है और वो बार बार दीपक को पकड़ने की कोशिस करता  है तो आप उसे मना करते है | एक बार,  दो बार या तीन बार लेकिन अगर फिर भी  वो जिद करता है तो आप यह कहकर छोड़ देते है जा पकड ले , जब जलेगा तब पता चलेगा |

अब यहाँ पर दो बाते है जो आपको समझनी चाहिए पहला यह की आपने बच्चे को कई बार मना किया लेकिन वो नहीं माना इसलिए आपने उसे अपनी मनमर्जी करने दिया |

दूसरा यह की आप जानते है की उस दीपक से उसे ज्यादा नुकसान नहीं होगा और उसे सबक भी मिल जायेगा ताकि भविष्य में वो दुबारा गलती नहीं करेगा |

लेकिन जरा सोचिये अगर दीपक की जगह कोई आग का ढेर हो तो क्या तब भी आप उसे जाने देंगे …. चाहे आपके बीसियों बार मना करने के बावजूद वो जिद कर रहा हो , कदाचित नहीं |  फिर चाहे आपको उसे थप्पड़ ही क्यों न मारना पड़े लेकिन किसी भी कीमत पर उसे आग के पास नहीं जाने देंगे  | शायद आप उसे कमरे में बंद भी कर देंगे जब तक की वो आग खुद शांत न हो जाये या उसे आपको शांत करना पड़े |

आप ऐसा इसलिए करेंगे , क्योकि आपको पता है की दीपक से जलकर तो सबक मिल सकता है लेकिन आग के ढेर से वापसी का कोई रास्ता नहीं है |  

जिस तरह बच्चे को उस दीपक में या आग के ढेर में कोई खतरा नहीं दिखाई देता वो तो उसे चमकदार और आकर्षण लगता है, ठीक उसी तरह से आपके उस दोस्त को वास्तविक  खतरे का आभास नहीं है |

अब  क्या आप चाहेंगे की आपके दोस्त का भविष्य खतरे में पड़े या ऐसी परस्थिति उत्पन्न हो जाये और ऐसे मझधार में फंस जाये जहाँ से चाहकर भी वो  वापिस ही न आ पाए ……………………

कदाचित आप ऐसा नही चाहेंगे  , इसलिए आपका कर्तव्य बनता है  की उसे उस गलत निर्णय के लिए रोके चाहे उसके लिए किसी भी सीमा तक जाना पड़े |

अगर आप उसमे सफल हो गए तो हो सकता है की वो आपसे दूरिया बना ले, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं |

कम से कम उसकी जिन्दगी बर्बाद होने से  तो बच गयी |

और यकीन मानिये एक न एक दिन वो तुम्हारे पास वापस जरुर आयेगा जब उसे सच्चाई का आभास होगा |

इसलिए अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा है तो बिना सोचे समझे निर्णय लीजिये उससे पहले की देर हो जाये, और आपके पास पश्चाताप और खुद को दिलासा देने के सिवाय कुछ भी न रहे |

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ऐ मुसाफिर आज तू, फिर से अकेला हो गया

ऐ मुसाफिर आज तू, फिर से अकेला हो गया I

महफिलों की बात क्या, एकांत में ही खो गया II  

क्यों बहकता है तू बन्दे, सुनके दो मीठे बोल के ,

छोड़ जाते है तुम्हारे, जीवन में विष घोल के I

जो जगाई आस थी विश्वास की दिल में उसे,

जो मिला  हमदर्द बनके,  दर्द देकर खो गया I

ऐ मुसाफिर आज तू,  फिर से अकेला हो गया II

चेहरे पर मुस्कान तेरे, रहते थे हर पल कभी ,

साथ तेरे रहने से, गम भूल जाते थे सभी I

दिल लगाके तूने फिर क्यों, ऐसी गलती कर डाली ,

उम्र भर आंखे न भीगी, एक पल में रो गया II

ऐ मुसाफिर आज तू, फिर से अकेला हो गया

महफिलों की बात क्या एकांत में भी खो गया II

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देखते देखते अश्क बहने लगे

देखते देखते अश्क बहने लगे

ये मुलाकात कैसी है मेरे सनम

जख्म दिल के मेरे रोके कहने लगे।।

देखते देखते   ………………..

तुमको क्या है पता कैसे जीता हूँ मै

याद में तेरी अश्को को पीता हूँ मैं

क्या कमी थी मोहब्बत में  मेरे बता

लोग क्यों  बेवफा मुझको कहने लगे।।

देखते देखते……………………

तेरी आँखों में जब मेरी तस्वीर थी

कितनी अच्छी भली अपनी तकदीर थी

दिल दुखा  करके तुमको मजा क्या मिला

जिन्दगी  मेरी मुझपे  ही हंसने लगे।।

देखते देखते ………………..

गम जुदाई का बर्दाश्त होता नहीं

इस जमाने पे मुझको भरोसा नहीं

अब बता मुझको जीने से क्या फायदा

जिस्म से जान अब तो निकलने लगे।।

देखते देखते अश्क बहने लगे

ये मुलाकात कैसी है मेरे सनम

जख्म दिल के मेरे रोके कहने लगे।।

 

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