गुमनामी से बदनामी भला
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कवि- बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”
तर्ज– आओ बच्चों तुम्हे दिखाएँ झांकी हिंदुस्तान की
आओ किस्सा तुम्हे सुनाये , पतियों के अपमान की
बचना चाहो तो बात सुनो , अकेलानंद महान की
“घरवाली की जय बोलो घर वाली की जय ”
आज सुबह ही पत्नी मेरी बहुत हुई थी गुस्सा,
उसी भाव में उसने मुझको एक लगाया घूसा । घर वाली की जय बोलो -2
घूसा खाकर मै तो मानो खुद में सिमट गया था,
पास में बैठा बेटा मेरा उससे लिपट गया था ।
बेटा बोला सुन मेरी माँ तूने पापा को क्यों मारा,
पहले मेरे आंसू पोंछे फिर मम्मी को ललकारा ।।घर वाली की जय बोलो -2
पहले पत्नी मुस्काई फिर हाथ उठाया चिमटा,
देख नज़ारा बेटा मेरा गोदी में आ सिमटा ।
अभी तलक जो कुछ थी ठंडी, अब बन गयी थी चंडी,
हम दोनों ऐसे चिल्लाये जैसे हो सब्जी मंडी ।। घर वाली की जय बोलो -2
हाथ जोड़कर मैंने पूंछा मेरी क्या गलती है,
केवल तेरा राज नहीं, कुछ मेरी भी चलती है ।
बस इतना सुनना था की वो नागिन सी फुफकारी,
उस चिमटे से कहाँ कहाँ जाने फिर हमको मारी ।। घर वाली की जय बोलो -2
अब तक मैं था समझ गया ये केवल उसका घर है,
वो इस घर की मालकिन और हम तो बस नौकर है ।
आप सभी से विनती मेरी पत्नी का सम्मान करो ,
जो न पिटना चाहो तो पूरे हर अरमान करो ।।
‘घर वाली की जय बोलो घर वाली की जय ”
पति पत्नी हास्य कविता – पत्नी का आतंक Read More »
आजकल हर चौराहे पर कोई बूढी माँ भीख मांगते हुए नजर आ ही जायेगी, परन्तु एक फर्क है पहले सिर्फ मांगते थे परन्तु आज कल हाथ में कोई न कोई सामान जैसे कलम, या पेंसिल होता है ….
अकेलानंद की लिखी हुई रचना इसी विषय पर आधारित है –
देखी एक नारी थी किसी की महतारी,
आज बनके भिखारी वो बेचारी नजर आती है ।
दिल में अरमान लिए हाथ में सामान लिए,
हथेली पर जान लिए भागी चली जाती है ।।
हाथ जोड़ बोलती वो आधी सांस छोडती वो,
एक एक करके सभी के पास जाती है ।
कोई दुत्कार देता कोई फटकार देता,
कोई कुछ देता पर बुरा नहीं वो मानती है ।।
अपने अतीत को याद करते हुए.
बेटी होती है पराई, बन बहु घर आई,
खूब बजी शहनाई हुई उसकी सगाई थी ।
बीता कुछ साल हुआ सुन्दर सा लाल,
खूब मचा था धमाल, खुशहाली बड़ी आयी थी ।।
गए दिन रैन खुशियों से भरे नैन,
आज दूल्हा बनकर बेटा घोड़ी पर सवार था ।
बहू सुंदर सी आयी थी दहेज़ खूब लायी,
अपने रंग रूप का उसको खुमार था ।।
बोली एक बात सुनो मेरे प्राणनाथ,
नहीं ऐसे है हालात जो इनको भी पालो तुम ।।
मानो मेरा कहना नहीं संग इनके रहना,
आज ही माँ बाप को घर से निकालो तुम ।
है किस्मत की मारी अब बनी दुखियारी,
आज अपनों से हारी सारी दुनिया ये जानती है ।।
कोई नहीं अपना जो पूरा करे सपना,
अपने पराये सबको वो पहचानती है ।
आखिर में आप सबसे एक बात कहना चाहूँगा की माँ बाप को घर से निकालने में बहू का हाथ होता है,
परन्तु एक कड़वा सच ये भी है की इसमें बेटे का भी साथ होता है
है बिनती हमारी सुनो बेटा बहू प्यारी,
माँ बाप की जो सेवा की तो सारे सुख पाओगे ।
किया घर से बेघर दुखी होगा ईश्वर।
फिर एक दिन तुम भी बेघर किये जाओगे ।।
कवि – बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”
माँ बनी भिखारिन …… Read More »
नेता जी का कथन –
रुपया या पैसा नगद लोगे तुम
या बिजली पानी मुफत लोगे तुम
वोटर मेरे ये बता दे मुझे
मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम
बस में फ्री का टिकट लोगे तुम
या वादों के मीठे शब्द लोगे तुम
चाचा मेरे ये बता दो मुझे
मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम
अरे कुछ तो बोल, मुंह तो खोल
दारु की नदिया बहा दुंगा
जिस भी हिरोइन का नाम बता
गलियों में तेरे नचा दुंगा
अब पीने की कोई जगह लोगे तुम
चखने में चिकन मटन लोगे तुम
वोटर मेरे ये बता दे मुझे
मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम
वोटर का जवाब –
झूठा है वादा तेरा, ऐतबार कोई नहीं
बेईमान सब है बड़े, इमानदार कोई नहीं
तू स्वार्थी है कपटी है , पागल बनाता है
जब जीत जाता है आँखे दिखाता है
अपना भी जमीर है ऐसा थोड़े होता है
वोट के बदले सदा नोट नहीं होता है
अरे जिसको भी चाहे पिला दोगे तुम
नशे में साथ अपने मिला लोगे तुम
नेता मेरे ये बता दे मुझे ,
यंहा से भाग जाने का क्या लोगे तुम
मेरे देश को बचाने का क्या लोगे तुम
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मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।
बहती पुरवाई मानो दिल खींच गाँव ले जाती है ।।
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
फाल्गुन मॉस के आते ही इक अलग नशा छा जाता था ,
हंसी ठिठोली ताने बोली का माहौल बन जाता था ।
दादा बाबा ताऊ चाचा एक संग हो जाते थे ,
फगुआ गाते धूम मचाते मिलकर रंग जमाते थे ।।
वो मधुर तान और गाने की बोली कानो में अभी सुनाती है ,
मुझको मेरे गावं की होली याद बहुत आती है ।।
पूरे साल भले लड़ते हो, चाहे दुश्मनी जानी हो,
होली के दिन ऐसे मिलते जैसे रिश्ता बहुत पुरानी हो ।
चाची जो गली बकती थी , फूटे आँख नहीं सुहाती थी ,
पर उस दिन पकवान बनाकर, पहले मुझे खिलाती थी ।।
वो गुलगुला, गुझिया मालपुआ की खुशबू अब ललचाती है ,
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
वो पहली बार जब मैंने उसके गाल पर रंग लगाया था,
उस पल मानो जैसे कोई बड़ा खजाना पाया था ।
कुछ चिढ़ी थी वो कुछ शरमाई भी, मैं था डर से काँप गया,
बाल्टी कर रंग लेकर दौड़ी तो उसका मनसा भांप गया ।
जो शर्ट रंगी थी आज भी उसके होने का एहसास कराती है ,
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
बड़े हुए तो शहर आ गए रुपये बहुत कमाने को ,
तब से मौका नहीं मिला होली पर गाँव को जाने को ।
हरा लाल नारंगी पीला कितने रंग लुभाती थी,
गाँव की होली का रंग तन मन अन्दर तक रंग जाती थी ।।
शहर की होली का रंग मानो कपड़े ही रंग पाती है ,
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
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प्राइवेट कर्मचारी की छुट्टी की समस्या एक बड़ी समस्या होती है । हमारे देश देश में एक अधिक संख्या में लोग प्राइवेट नौकरी करते है । प्राइवेट नौकरी करने वालो के साथ कई तरह की समस्या होती रहती है l कभी छुट्टी को लेकर, कभी वेतन बढाने को लेकर, कभी पदोन्नति (promotion) को लेकर आदि । इन सभी परिस्थितियों से कैसे निपटा जा सकता हैं इसके लिए निम्न बातों का ध्यान रखे :
जब छुट्टी की जरुरत हो – Application For Leave
सभी कंपनियों में प्राइवेट कर्मचारी की छुट्टी की समस्या होती ही है । जब हमें छुट्टी की जरूरत होती है तो हमें एक आवेदन पत्र देना होता है जिसे हम अपने मैनेजर या टीम लीडर को सौपते है , उसके बाद वो निर्णय लेता है की हमें छुट्टी मिलेगी या नहीं, अगर मिलेगी तो कितने दिन की ।
उदाहरण के लिए संजय नाम का व्यक्ति है और उसके घर पर शादी है, अब उसने 15 दिन की छुट्टी का आवेदन किया है । अब यहाँ यह निश्चित है की उसे 15 दिन की छुट्टी तो नहीं मिलेगी । ज्यादा से ज्यादा 10 दिन का ही पास होगा । हाँ अगर उसने 20 दिन के लिए आवेदन किया होता तो 15 दिन अवश्य मिल जाता । दूसरी स्थिति ऐसी आती है कोई जरुरी काम अचानक ही जाता है और 2-3 दिन की छुट्टी चाहिए होती है तो हमारा मैनेजर या टीम लीडर उस छुट्टी के लिए साफ़ मना कर देगा या ज्यादा से ज्यादा 1 दिन में वापिस आने के लिए बोलेगा ।
उदाहरण के लिए संजय को 2 दिन के लिए अपने किसी दोस्त की शादी में जाना है या कोई ऐसा ख़ास व्यक्ति है जिसका उसके ऊपर बहुत सारे एहसान है और उसे अभी किसी काम की सहायता की लिए उसकी जरुरत है । अब ऐसी स्थिति में संजय को छुट्टी नहीं मिलती है तो उसे क्या करना चाहिए !
अगर वो 1 दिन में वापिस आ जाता है तो हो सकता है उसके दोस्त नाराज हो जाये, लेकिन एक दिन की वजह से मान भी सकते है , लेकिन ऐसी स्थिति में संजय का मन भी उदास ही रहेगा की पूरा समय नहीं दे पाया ।और अगर वो नहीं जाता है तो दोस्ती हमेशा के लिए खत्म और उसके मैनेजर को भी लगेगा की उसे ऐसी कोई ख़ास जरुरत नहीं थी ।अब संजय को क्या करना चाहिए –
उसे छुट्टी मिले या न मिले पूरा समय अपने दोस्त की शादी या जो भी जरुरत हो उसे देना चाहिए, क्योकि अगर वो नहीं शामिल होता है तो उसे जिन्दगी भर उसका पछतावा रहेगा । अगर वो छुट्टी लेकर चला जाता है तो वापिस आने पर ज्यादा से ज्यादा मैनेजर उसे सुनाएगा और फिर उसे काम करने को बोलेगा ।
प्राइवेट कर्मचारियों को ध्यान रखने वाली बातें-
अगर 3 दिन की छुट्टी की जरुरत हो तो 5 दिन के लिए आवेदन करे ।
छुट्टी न मिलने पर भी जहाँ जरुरी हो वहां जरुर जाये।
नौकरी की वजह से अपने दोस्तों और परिवार को समय देने से इंकार न करे ।
कम्पनी ज्वाइन करने के शुरुआती दिनों में ही अपने काम से लोगो को प्रभावित करे ।
अपने काम से अपने मैनेजर, बॉस को अपने ऊपर निर्भर होने को मजबूर कर दे ।
शुरू से ही एक अलग छबि बना कर रखे चाहे वो बनावटी ही क्यों न हो ।
अपने परिवार की बाते ऑफिस में किसी से चर्चा न करे ।
अगर उस कम्पनी में समयानुसार आपकी वेतन न बढे या पदोन्नति न मिले तो तुरंत उसे छोड़ दे ।
किसी भी कम्पनी को अपना भविष्य मान कर न रहे, जब तक आपकी जरुरत बनी रहेगी आपको सम्मान मिलेगा, जैसे ही आपसे कोई बेहतर मिल गया तो आपको निकालने में देरी नहीं लगेगी ।
प्राइवेट नौकरी करने से बेहतर है की अपना व्यवसाय करे अगर आप एक ऊँचे पद पर काम न करते हो ।
प्राइवेट कर्मचारी की छुट्टी की समस्या- LEAVE PROBLEM FOR EVERY PRIVATE EMPLOYEE Read More »
हमारे देश में यही माना जाता है की बेटियों परायी होती है लेकिन मैं एक सच्चाई और बताना चाहता हूँ की बेटियां तो परायी होती है लेकिन शादी के बाद बेटो को पराया कर दिया जाता है l
कहते है शादी के बाद बेटे अपनी पत्नी का साथ देने लगते है और माँ बाप को भूल जाते है l माँ बाप ने बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों को पाला होता है इसी उम्मीद के साथ के वो बुढ़ापे में उनका सहारा बनेंगे l लेकिन बेटे है की शादी होते हे माँ बाप को भूल जाते है और अलग रहने लगते है l जबकि सच्चाई उसके उल्टा ही होता है l मैं आपको बताता हूँ की लडको के साथ क्या होता है :
आप सब ने यह महसूस किया होगा की जब तक हमारी शादी, मेरा मतलब की लडको की शादी नहीं होती तब तक वो अपने परिवार में किसी के साथ लड़ झगड सकते है, किसी को भी परेशान कर सकते है l अपने छोटे भाई बहन को जो चाहे बोल सकते है, डांट सकते है l पिता से किसी भी चीज को लेकर जिद कर सकते है l नाराज हो सकते है अपनी माता की छोटी छोटी बातो पर l कभी काम किया कभी नहीं करने का बहाना बना सकते है , फिर भी परिवार के दुलारे बने रहते है l
शादी होते ही सब एकदम उल्टा हो जाता है l जिस बहन को वो अभी तक हक़ से डांट सकता था उसे छोटी सी बात बोलने से भी सोचना पड़ता है , क्योकि वही बहन पलट कर जवाब देती है की जाकर अपनी बीवी के ऊपर चिल्लाओ, हक़ जातो, तुम मुझे कमाकर खिला नहीं रहे हो l
जिस माता से खाना पानी मांगता रहता था वही अब कभी कभार बोल देती है को मैडम जी किसलिए है तुम्हे खाना पानी नहीं दे सकती है क्या l
अगर एक दिन काम के लिए न जाये तो पिता की बात सुनने को मिलती है की कमाएगा नहीं तो क्या खायेगा l मैं अब कमाकर नहीं खिलाने वाला दोनों पति पत्नी को l कल तक जो बेटा सबका लाडला था आज मनो जैसे एक पत्नी के आते है अपने आपको पराया महसूस करने लगता है l
इन सभी बातो के वजह से वो बीवी की तरफ खिंचा चला जाता है और फिर शुरू हो जाते है अलगाव होने की स्थितिया जो धीरे धीरे बड़ा रूप ले लेती है l और फिर एक दिन वो अपने परिवार से अलग अपनी पत्नी के साथ रहने लगता है और फिर उसे एक नालायक बेटे का दर्जा दे दिया जाता है l
इस पुरे प्रकरण में बेचारा लड़का ही पिसता है और लोग कहते है की लड़की परायी होती है लेकिन लड़के को तो पराया कर दिया जाता है l
अब आप लोगो को क्या राय है, अपने विचार जरुर लिखे l
अकेलानंद
इसे भी पढ़े – रिश्ते मुट्ठी में बंद रेत की तरह है
जीना जब आसान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना l
जब अच्छा हर इन्सान लगे,
एक बार मुहब्बत कर लेना ll
यौवन जब अंगड़ाई ले,
मस्ती में कुछ न दिखाई दे l
संगी साथी सब प्यार करे,
इक दूजे से इजहार करे II
खुशनुमा सभी हालात लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना I
जब अच्छा हर इन्सान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
जब मिली नौकरी पक्की हो,
इच्छा अनुसार तरक्की हो I
दफ्तर में सबसे सम्मान मिले,
घर वालो का अभिमान मिले II
जब सस्ता हर सामान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना I
जब अच्छा हर इन्सान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
ये हंसी तुम्हारे चेहरे की,
पल भर में ही खो जाएगी I
बहकें बहके से फिरते रहोगे,
रात को नीद न आयेगी II
आँखों के आंसू तक सूखेंगे ,
सांसे भी घुट जाते है I
कहते है अकेलानंद यही की,
प्यार में सब लुट जाते है I
गर तुमको न विश्वास लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
जब अच्छा हर इन्सान लगे ,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
जीना जब आसान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
तू दोस्त है , तू साथी है ,
तू जान है, तू जहान है I
तू ही प्रिये, प्रियतम तू ही ,
तू दिल की हर अरमान है II
मुझे एक फिक्र रहती हरदम,
मेरा भी कोई हमदम होता I
रहता हर पल वो साथ मेरे ,
चाहे ख़ुशी हो या फिर गम होता II
जिसे ढूंढ रही थी ये आँखे ,
वो इश्वर का वरदान है I
तू दोस्त है तू साथी है ,
तू जान है तू जहान है II
बिन तेरे था जीवन सूना ,
दिल की हर बात थी अनसूना I
इक पल भी आँखे नम जो हुई,
पग डोले, हिम्मत कम जो हुई I
तुम साथ थी हर पल ये कहते ,
आगे बढ़ साथ में मैं हूँ न II
हर दुःख को पल में हर लेती,
तेरी ये मधुर मुस्कान है I
तू दोस्त है तू साथी है ,
तू जान है तू जहान है II
अब तक जाने आये कितने ,
सब मतलब के, कोई न अपने I
जिसका भी जितना साथ दिया ,
उसने उतना ही घात किया I
तुझको पाकर मैं धन्य हुआ,
है वादा कभी न बिछ्ड़ेंगे ,
हर मुश्किल से लड़ बैठेंगे I
चाहे कितना भी बड़ा तूफ़ान है II
कहता है अकेलानंद यही ,
तू ही मेरा स्वाभिमान है I
तू दोस्त है तू साथी है ,
तू जान है तू जहान है I
तू ही प्रिये, प्रियतम तू ही ,
तू दिल की हर अरमान है II
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