March 2022

शिक्षा हर बच्चे का हक़ है

शिक्षा हर बच्चे का हक़ है

दृश्य -१

एक छोटा सा घर है,  माँ चूल्हे पर खाना बना रही है, एक छोटा सा बच्चा जमीन पर बैठकर अपना होमवर्क पूरा कर रहा है

तभी एक युवक प्रवेश करता है

पिता- (शराब के नशे में झूमते हुए)- ऐ सोनू जल्दी से पानी लेकर दे

सोनू- पापा मै होमवर्क पूरा करके देता हूँ अभी

पिता- बड़ा आया कलक्टर बनने, जल्दी ला मेरा गला सूख रहा है

पत्नी- क्यों चिल्ला रहे हो उसे अपना होमवर्क पूरा करने दो, उसका इम्तिहान आने वाला है

पति- पढ़ लिख कर क्या कर लेगा, करनी तो मजदूरी ही है, आज तक पूरे खान दान में कोई भी पढ़लिखकर एक चपरासी तक तो नहीं बना I

रसोई से पत्नी पानी का गिलास लेकर आती है, पानी का गिलास थमाते हुए

पत्नी (सुनीता )- लीजिये पानी, बच्चे पर क्यों गुस्सा कर रहे है उसे पढ़ने दीजिये, , प्रिंसिपल कह रहे थे की आपका सोनू पढ़ने में बहुत तेज है उसे खूब पढ़ाना

पति- (पानी का गिलास दूर फेकते हुए) इसका फीस कौन तेरा बाप भरेगा, मेरे पास इतने फालतू पैसे नही है

और पैर पटकते हुए बाहर निकल जाता है

सोनू सहम जाता है और सिसकने लगता है

माँ अपने बेटे को गले लगते हुए – बेटा तू रोता काहे को है , मै तुझे पढ़ाऊंगी, जब तक तू पढ़ना चाहे।

सोनू- मगर मम्मी आप फीस के पैसे कहाँ से दोगी। 

सुनीता-   तू चिंता मत कर बेटा , मै मजदूरी करुंगी , घरो में चौका बर्तन करुँगी, लेकिन तुझे जरूर पढ़ाऊंगी,

तू सिर्फ अपने पढाई पर ध्यान देना।

दृश्य -२

सुनीता अलमारी में कपडे तह करके रख रही होती है और उसे ततः में कुछ पैसे रखती है बच्चे के फीस के लिए

इतने में पीछे से पति आ जाता है और वो पैसे को देख लेता है

पति- मुझे कुछ पैसे चाहिए बहुत जरूरी काम  है

सुनीता- क्या जरूरी काम आ गया अब? ये पैसे सोनू के फीस के लिए है

पति -पैसे छीनते हुए , बड़ी आई फीस जमा करने वाली क्या करेगा पढ़कर ।  सुबह से जी मचल रहा है, बड़े जोर की तलब लगी है

सुनीता- हाँ हाँ जी तो घबराएगा ही , सुबह से पीने को नहीं मिली न, दो दिन से काम पर भी नहीं जा रहे हो, इतना खर्चा है कैसे गुजारा होगा।

पति- (तंज कसत्ते हुए ) अरे अब तो तू कमा रही है न , अब पैसे की कैसी कमी,  अपने लाला को बोलकर कभी भी  हजार दो हजार तो ला ही सकती है न

सुनीता- कैसे मर्द हो आप, आपको तो समझाना भी सर को पत्थर पर मरने जैसा है

(पति फिर भी पैसे लेकर चला ही जाता है , सुनीता मायूस होकर घर के कोने बैठ जाती है और भाग्य को कोस रही होती है , पता नहीं कब  इन्हे अक्ल आएगी )

इतने में सोनू बस्ता लेकर घर में प्रवेश करता है

सोनू- मम्मी मम्मी कहाँ हो ? बस्ता एक किनारे रखता है

सुनीता- ( आंसू पोछते हुए ) आ गया मेरा बेटा, चल हाथ मुँह धो ले मै तेरे लिए खाना निकाल देती हूँ,

(बेटा खाना खाते हुए)

सोनू- मम्मी , आज प्रिंसिपल सर कह रहे थे अगर कल तक फीस नहीं जमा किया तो मै इम्तिहान में नहीं बैठ पाउँगा,

सारे बच्चो की फीस जमा हो गयी है।

सुनीता- तू फिक्र मत कर बेटा तेरी फीस का बंदोबस्त हो जायेगा, मै कल फीस जरूर जमा करा दूंगी।

दृश्य -३

(रात का दृश्य है, तीनो सो रहे होते है , पति बक बक कर रहा होता है)

पति- सुनती हो मैंने आज चौराहे पर चाय वाले से बात कर ली है , एक दिन के १५० रूपये देने के लिए बोल रहा था, कल से सोनू चाय की दुकान पर जायेगा, और वैसे भी तो पढ़लिखकर मजदूरी ही तो करनी है , फिर पैसे क्यों बर्बाद करना I

(पत्नी कोई जवाब नहीं देती )

(पति के सोने के बाद , सुनीता एक संदूक खोलती है उसमे उसकी माँ के दिए हुए कंगन होते है, और उसे अपने पल्लू में बांधकर सो जाती है

सोनू बगल में सो रहा होता है,  )

सुनीता- (सोनू  के सिर पर हाथ फिराते हुए) – मेरा बेटा जरूर पढ़ेगा चाहे उसके लिए मुझे कितनी भी तकलीफ उठानी पड़े।

दृश्य -४

पति अभी तक सो रहा होता है

माँ- बेटा मै आज तेरा फीस जमा कर दूंगी , तू बस मन लगाकर अपनी परीक्षा की तैयारी कर

सोनू- ठीक है मम्मी।

दृश्य -५

आज रिजल्ट का दिन है

सोनू- माँ आज मेरा रिजल्ट आएगा, सर ने बोला है अपने मम्मी पापा को लेकर आना , आप दोनों को भी चलना है,लेकिन पापा तो अभी तक सो ही रहे है।

सुनीता- सुनते हो जी आज अपने बेटे का रिजल्ट आने वाला है, आज तो साथ में चलो, सारे बच्चो के माँ बाप आये होंगे

पति- जाओ अपने लाटसाहब को लेकर , बहुत बड़ा तीर मारा होगा इसने, मै नहीं जाऊंगा मेरे पास समय नहीं है I

माँ बेटा दोनों स्कूल के लिए निकल जाते है ,

 पिता कुछ देर बाद घर से बाहर निकलता है , सामने से पडोसी अपने बच्चे को लेकर स्कूल जाते हुए पूछता है भाई आप स्कूल नहीं जा रहे हो क्या ? आज बच्चो का रिजल्ट आने वाला है , आप भी आ जाना। 

पिता कुछ सोचता है और बेमन से स्कूल के लिए निकल देता है

दृश्य -६

स्कूल का दृश्य

सारे बच्चे अपने माता पिता के साथ बैठे हुए है, स्कूल का सारा स्टाफ बैठा हुआ है, रिजल्ट की घोषणा की जाती है और सोनू पूरे स्कूल में प्रथम श्रेणी (टॉपर) आता है , सुनीता की आँखों से आंसुओ की धारा बह रही होती है , उधर सबसे पीछे पिता एक कोने में यह दृश्य देखकर भावुक हो उठता है।

प्रिंसिपल- बेटा आज तुमने अपना और अपने माता पिता का नाम रोशन किया है, पूरे स्कूल को तुम्हारे ऊपर गर्व है , तुम्हारी इस छमता को देखते हुए प्रशाशन ने तुमको आगे की पढाई के लिए स्कोलरशिप (छात्रवृति) देने का फैसला लिया है

पिता धीरे धीरे अपने बच्चे के पास आता है और हाथ जोड़कर बेटे से माफ़ी मांगता है

पिता- बेटा मुझे माफ़ कर दे मैंने पढाई की कीमत नहीं समझी, सुनीता तुम भी मुझे माफ़ कर दो मैंने तुम पर बहुत जुल्म किये है,

लेकिन अब मेरी आँख खुल गयी है, मै वादा करता हूँ आज के बाद कभी शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा , और दिन रात मेहनत करके अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलाऊंगा

प्रिंसिपल- बहुत अच्छी बात है आज आपकी आँखे खुल गयी, सोनू जैसे न जाने कितने बच्चे है जो अपने माता पिता के जागरूक न होने के कारण पढ़ लिख नहीं पाते और बाल मजदूर बनकर रह जाते है,

आज से मै अपने स्कूल प्रशाशन को यह निवेदन करूँगा की ऐसे बच्चे जो पढ़ना चाहते है परन्तु किसी कारण से स्कूल की फीस नहीं दे पाने की वजह से पढाई नहीं कर पाते उन सभी बच्चो को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।

और साथ में नशे को बंद करने की भी मुहीम चलायी जाएगी ताकि कोई दूसरा अपने मेहनत के पैसे को यूँ ही बर्बाद न करे और अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से कर सके। 

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