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तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे

तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे

 

तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे ।

मिलने को होगी मजबूर , मगर धीरे धीरे ।

आइना देखकर यूँ, इतना इतराया न कर,

ये उम्र भी ढलेगी जरूर, मगर धीरे धीरे ।।

इन हुस्न की गलियों में ऐसे न खो जाना,

भागदौड़ का है दस्तूर , मगर धीरे धीरे ।

थोड़ी तो रहम कर, ये बेरहमी शोभा नही देती,

टूटता है सबका गुरुर , मगर धीरे धीरे ।।

तेरे संग बीते सभी यादे जिन्दा है अभी,

दिल से मिटेगा, जरुर मगर धीरे धीरे।

अभी कुछ और पल इसी आगोश में जीने दे,

फिर इसे कर देना चकनाचूर, मगर धीरे धीरे ।।

सुना था की मुहब्बत में यकीं मुश्किल से करो ,

मुझ पर भी चढ़ा था सुरूर, मगर धीरे धीरे ।

दुनिया भले ही डूबे इस समंदर में अकेलानंद ,

पार तो मैं निकलूंगा जरुर मगर धीरे धीरे ।।

बीरेंद्र गौतम ” अकेलानंद ” जिला बस्ती

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चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर – CHALE JAO NA AANA TUM DOBARA LAUTKAR

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर – CHALE JAO NA AANA TUM DOBARA LAUTKAR

 

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर,

नहीं हम जोड़ते रिश्ते को फिर से तोड़कर  ।।

बिताये दिन तुम्हारे साथ थे हम क्यों भला,

समझ पाए नहीं तुम हो मुसीबत की बला ।

तुम्हे दिन रात हम तो याद करते ही रहे,

मगर पीछे सदा ही काटते थे तुम गला ।।

चैन से जी रहा हूँ मैं तुम्हे अब छोड़कर,

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर …

पढाई भी तुम्ही ने तो मेरी बर्बाद कर डाली,

तेरे कारण ही सुनता हूँ पिता जी से अभी गाली ।

जो कुछ भी जेब खर्च मिलते वो सब तुमने किये खाली,

इस झूठे प्यार की खातिर, क्यों मन में थी भरम पाली ।

बहुत खुश है तू अब औरो से रिश्ता जोड़कर,

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर … ।।

समझ आता नहीं था जब तू मेरे साथ थी,

बिना पंखो के पंक्षी सी मेरी हालत थी।

इशारो पर तेरे दिन रात यूँ चलता रहा,

सफल तो गयी , मैं हाथ बस मलता रहा ।

मिला क्या तुझको मकसद से मुझको मोड़कर

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर ।।

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इतने तो खुशकिस्मत नहीं जो किसी का प्यार मिल जाये।

इतने तो खुशकिस्मत नहीं जो किसी का प्यार मिल जाये।

पल भर का साथ ही काफी है जिंदगी गुजारने के लिए।।

वो जरा साथ क्या आये हम प्यार समझ बैठे।

उनकी मीठी यादों के हक़दार समझ बैठे।।

मेरे उम्र भर की हंसी,उनके मुस्कान से कम  है

बेमतलब ही एक मतलबी को यार समझ बैठे।।

खुद को आईने में देखते ही, वो मुझको आइना दिखा गयी।

अपने औकात के मुताबिक, प्यार करना सिखा गयी।।

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