प्यार की भाषा का कोई शब्द नहीं होता इसलिए इशारो में प्यार हो जाता है, आइये आपको इशारो वाला प्यार (ISHARON WALA PYAR ) की कहानी सुनाता हूँ. –
सुबह का समय है, मौसम बहुत ही खुशनुमा है, मंद मंद हवा चल रही है । कुछ जोड़े इधर – उधर बांहों में बाँहे डालकर घूम रहे है । बुजुर्ग दम्पति भी खुली हवा में सांस लेते हुए व्यायाम कर रहे है ।
एक लड़की अकेली दौड़ लगा रही है, लेकिन उसका ध्यान किसी की तरफ न होकर एक दम शांत है । बगल से एक लड़का कानो में हेडफोन लगाकर दौड़ता हुआ निकलता है लेकिन दोनों की कोई प्रतिक्रिया नहीं । अगले दिन फिर दोनों दौड़ते हुए आमने सामने टकराते है लेकिन किसी की कोई प्रतिक्रिया नहीं होती । मानो दोनों में से किसी को एक दूसरे में दिलचस्पी न हो । धीरे – धीरे एक महीना बीत जाता है और दोनों रोज ही एक बार आपस में टकराते जरुर है ।
फिर एक दिन वो लड़का उस लड़की को प्रपोज करता है । देखो मैं तुम्हे रोज देखता हूँ, शुरू में तो लगा की हम ऐसे ही एक दूसरे से टकरा गए, लेकिन रोज –रोज मिलने से मैंने तुम पर ध्यान देना शुरू कर दिया । एकदम शांत स्वाभाव, किसी तरह की कोई दिखावा नहीं, अपने आप में खोयी सी रहती हो, फिर पता नहीं क्यों मेरे दिल में एक अजीब सा हलचल हुआ और फिर मै तुम्हारे प्रति आकर्षित होने लगा ।
शुरू में तो मैंने सोचा की 2-4 दिन में सब खत्म हो जायेगा , लेकिन मैं मन ही मन तुमसे प्यार कर बैठा । मुझे न तुम्हारा नाम मालूम, न पता मालूम, तुम करती क्या हो , परिवार वैगरह आदि । फिर भी मैंने हिम्मत जुटाई और आज तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ!
क्या तुम मेरा साथ दोगी , सदा सदा के लिए
वो लड़की हतप्रभ उसे दखते रह गयी , परन्तु उसके आँखों के एक कोने से पतली सी आंसू की धारा बह निकली । उसके इस व्यवहार से लड़के को बड़ा दुःख हुआ की कही उसने कोई गलती तो नहीं कर दी । फिर भी उसने अपने आप को संभाला और बोला देखो कोई जबरदस्ती नहीं है, अगर तुम नहीं चाहती तो मना कर सकती हो । फिर लड़की ने जो इशारा किया उसे देखकर लड़के की मनोदशा विचलित हो गयी , दरअसल वो लड़की बोल नहीं सकती थी । उसने इशारे में उसे समझाया की मैं गूंगी हूँ और तुम्हारा साथ कैसे दे पाऊँगी ।
लड़का कुछ सोचते हुए , आँखों में आंसू लेकर भारी कदमो से वंहा से चला गया । लड़की उसे दूर जाते देखकर फूट फूट कर रोने लगी ।
उसके बाद अगले दिन फिर वो लड़की उसी पार्क में घूमने आयी परन्तु वो लड़का दिखाई नहीं दिया ।
समय बीतता गया 15 दिन से ज्यादा हो गए परन्तु वो लड़का दिखाई नही दिया । लड़की ने उसे भूल जाना ही बेहतर समझा ।
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फिर एक दिन वो रोज की तरह उसी पार्क में घूमने आयी , और अभी बगल में रखी बेंच पर बैठी ही थी की सामने से वही लड़का हाथ में गुलदस्ता लेकर आता हुआ दिखाई दिया । उसके पास आकर लड़के ने कुछ इशारा किया बदले में उस लड़की ने भी इशारे में उसका जवाब दिया ।
लड़के ने वो गुलदस्ता उस लडकी के हाथो में दिया जिसे उसने तुरंत स्वीकार किया और उससे लिपट गयी ।
दरअसल बात ये हुई की लड़का उस लडकी को दिल से चाहने लगा था , लेकिन जब उसे पता चला की वो बोल नही सकती तो वो निराश हो गया । फिर उसने वो भाषा सीखी जिससे वो इशारे में उससे बात कर सके । और आज वो न की उसकी बात को समझ सकता था बल्कि अपनी बात भी कह सकता था । ये जानकार उस लकड़ी की आँखों से आंसुओ के धार बह निकले, वो उससे लिपट कर रोने लगी ।
लड़के ने उसे इशारे इशारे में समझाया की लोग हमें देख रहे है , ये देखकर वो लड़की मुसकरयी और फिर दोनों हाथो में हाथ डालकर वंहा से निकल गए ।
और इस तरह से इशारों वाला प्यार इशारों ही इशारों में परवान चढ़ जाता है ।