एहसास आंसुओ के सैलाब का
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आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है I
जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है II
बहुत रुसवाई, मिलन जुदाई हो चुके है ,
जाने कितने पल खुशियों के खो चुके है I
खाते थे एक दूजे पर मरने मिटने की कसमे,
फिर भी जाने कितनी दफा बेवजह रो चुके है I
मेरे सिवा भी जाने कितनो की वो हसीना है ,
आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है II
जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है II
वो बेवकूफी भरी मेरी जो हालात थी,
याद आती है वो जो पहली मुलाकात थी I
उसके हुश्न और सादगी पर मर मिटा था ,
लुट चुकी उस पर मेरी हर जज्बात थी I
खत्म हो चुकी तुझसे मेरी हर तमन्ना है ,
आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है II
जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है II
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ऐ तिरंगे आज बहुत नाज तो होगा तुझे,
आसमान की बुलंदियों में तुझे लहराया जायेगा।
जो कभी झुकते नहीं थे मंदिर या दरगाहो में
उनके सिर भी तू अपने कदमों में झुका पायेगा।
पर क्या हकीकत है ये तझसे बेहतर कौन जनता है
इस देश का ही एक तबका तुझे अपना नहीं मानता है।
आज वो जो बात करते त्याग और बलिदान की,
वो कल किसी कोठे या मदिरालय में खड़ा होगा,
आज जो इतनी इज़्ज़त बक्शी जा रही तुझे,
अफ़सोस कल किसी गली के कूड़े में पड़ा होगा ।
देश भक्ति का ये नशा बस है दिखावा आज का
सच नहीं सब झूठ है, छलावा है बस ताज का।
दिन अस्त होते ही भुला देंगे तुझे ये आज ही
फिर से तेरी याद अगले सत्र सबको आएगा
फिर से गूज उठेगी जयकारे तेरे नाम से
और फिर एकबार तू आकाश में लहराएग।।
अकेलानन्द
”हमारा तिरंगा हमारी शान ” Read More »