Author name: Akelanand

एहसास आंसुओ के सैलाब का

तुम्हारी पलको के भीगने के एहसास मात्र से ही जिसका दिल रो पड़ता हो, वही तुम्हारी आँखों में आंसुओ के सैलाब से भी न पिघले, तो समझ लेना वजह बहुत ही बड़ी है l 

 “तेरी यादों में सदा खोये रहते है ,

अब तो बिना सपनों के सोये रहते है l 

तूने कभी इन आँखों की गहराई  न देखी ,

ये बिना आंसुओ के भी रोये रहते है “ll 

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जो कभी हर मुस्कान पर मरते थे

कभी जो मरते थे हर मुस्कान पर मेरी,

वो मेरी हंसी पर पहरा लगाने लगे है l

सुलाते थे जो मुझको पलकों पर अपनी,

आज रात – दिन वो जगाने लगे है ll

तरसता हूँ  मिलने को कहते थे हर पल,

अब एक पल में भगाने लगे है l

पहले तो देते है जख्म जी भरके ,

फिर बेवजह मरहम लगाने लगे है l

शिकायत करू क्या खुदा से भी अब मै,

ऐसे क्यों इंसान बनाने लगे है l

सदा टूट जाता है जब दिल तुम्हारा ,

फिर भी क्यों किस्मत आजमाने लगे है ll

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फासला – रूठने और मनाने के बीच का

हम सभी लोगो के बीच रूठने और मनाने का सिलसिला चलता रहता है चाहे वो रिश्ता हमारे खून का हो, दोस्ती का हो या फिर किसी अजनबी से रिश्ते का l कभी कभी तो लोग इसलिए रुठते है ताकि वो दुसरे पर अपने अधिकार को जता सके l 

रूठने से एक तरफ जहाँ प्यार का,  रिश्ते का, अपनेपन  के एहसास का पता चलता है वही कभी- कभी ये दूरी का भी कारण बन जाता है I कहते है रूठे रब को मनाना आसान है पर रूठे यार को मनाना मुश्किल I परन्तु रूठना उसी के लिए उपयुक्त होता है जिसका कोई मनाने वाला हो l बेवजह ही रूठकर अपने आप को व्यंग्य का स्रोत नही बनाना चाहिए l

अब आता है मनाने वाले की भूमिका –     रूठने वाले से ज्यादा मनाने वाला समझदार होना चाहिए l अगर आपका कोई दोस्त रूठ कर चला जाता है लेकिन आपको उसे मनाने का मार्ग नहीं पता है तो  आप उसे खो भी सकते है l और रूठने और मनाने के बीच का फासला अत्यंत ही गम्भीर हो जाता है , कभी –कभी तो हम सोचते है की अगर सामने वाला रूठकर गया है तो स्वयं ही वापस भी आ जायेगा l और  हम उसे मनाने के लिए बिलम्ब कर देते है l मैं आपको यह सलाह अवश्य देना चाहूँगा की अगर आपका कोई अपना रूठकर गया है तो अविलम्ब उसे मनाकर वापस ले आये l  क्योकि इंसान जब किसी कारण से रूठकर जाता है तो उसके मस्तिष्क में विचारों का एक द्वन्द चल रहा होता है l अगर उन विचारों पर अंकुश न लगाया जाये तो यह एक भयानक रूप भी ले लेती है l ऐसी स्थिति में कभी – कभी वो दूसरो की  सलाह भी लेने लगता है और शायद आपको ये पता होना चाहिए ऐसी स्थिति में सलाह देने वाला कभी आपका भला नही सोचेगा l और फिर ये आपसे दूर जाने का एक कारण भी बन सकता है l

रूठने का कारण – रूठने और मनाने की प्रक्रिया तो आजीवन चलती रहती है l अब यंहा विचार करने वाली ये बात है की रूठने का कारण क्या है l क्या वो कारण एक साधारण सी बात हो जिसके ऊपर ध्यान देने या न देने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो यकीन मानिये रूठने वाला ज्यादा देर तक आपसे दूर नहीं रह सकता l

लेकिन अगर कारण बड़ा है, जिसके वजह से आपकी जिन्दगी पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ रहा है तो उस स्थिति में आपको अपने दोस्त की बात मानने में कोई त्रुटी नहीं है  l क्यों की इस कारण से रूठने वाला आपका दोस्त सम्भवतः आसानी से आपकी जिन्दगी में वापिस नहीं आयेगा l और अगर मान ले की वह आपके प्यार की वजह से वापस आ भी जाता है , तब तक बहुत देर हो चुकी होती है l और जो अनहोनी या यूँ कहे की जिसे होने की सम्भावना की वजह से वो आपसे रूठकर गया था , तब तक वो घट चुकी होती है l और अब ऐसी स्थिति में उसके होने या न होने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता l वह तो मात्र एक औपचारिकता ही होगी l

सच्चे  लोग आपकी जिन्दगी में बड़ी किस्मत से मिलते है , जो आपकी भलाई के लिए अपने आपको त्याग देते है l

इसलिए अगर आपका कोई दोस्त, नजदीकी, आपका चाहने वाला आपसे रूठकर जाता है तो समय रहते उसे मना लीजिये l क्योकि ये फासला जितना अधिक होगा, उसके वापस आने की उम्मीद उतनी कम होती जाएगी l

” रूठे यार मनाइये  , मत करिएगा विलंब l

बिन यार तुम्हारी जिन्दगी, खड़ा रहा स्तम्भ ll “

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प्यार वरदान है तो मोह अभिशाप

 प्यार अगर वरदान है तो वही मोह अभिशाप बन जाता है l किसी भी इंसान का अपनी परिस्थिति के वश में हो जाना और उसके अनुसार आचरण करना तो उसकी विवशता हो जाती है l परन्तु यदि आप किसी के मोह वश हो जाये और आपकी हंसी , आपका आनंद, आपका चैन दूसरे की बर्ताव पर निर्भर करे  तो यकीन मानिये आप उसके पूर्णतया अधीन हो चुके है l आपके मस्तिष्क पर उस इंसान का नियंत्रण हो चुका है l और आपकी मनोदशा विक्षिप्त हो चुकी है l हर पल, हर घडी , प्रत्येक स्थिति में आप उसी का चिंतन कर रहे होते है l

आप  अपना महत्व खत्म कर चुके है , अब आपकी गुणवत्ता एक निमित्त मात्र रह गयी है l

जिस तरह से एक कठपुतली का नृत्य दिखाने वाला मदारी का सम्पूर्ण नियंत्रण उसके कठपुतली पर होता है , वो जिस दिशा में चाहे , जिस कोण से चाहे उसे नचा सकता है , उससे जो भी भाव प्रकट करना चाहे या वाक्य कहना चाहे , वो सब कर सकता है l आपकी स्थिति भी एक कठपुतली की तरह हो जाती है l 

फिर भी  आप किसी के मोहवश में हो चुके है तो कठपुतली की जगह बुत बनना उचित रहेगा l आपको मौन धारण कर लेना चाहिए , और एक तरह से अपने आपको उसके सम्मुख निष्क्रिय बना देना चाहिए l ऐसी स्थिति में न तो आपके उपर किसी तरह का मानसिक दबाव रहेगा और न ही कोई दूसरा आपको अपने इशारे पर नचाने की चेष्टा करेगा l अपने आपको इस तरह निर्माण कीजिये की लोग आपकी वजह से नहीं आपके लिए बेचैन रहे और आपको उनके उस बर्ताव से कोई प्रभाव पड़े

प्यार रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है  l परन्तु मोह इंसान को हमेशा से कमजोर  बनाता आया है l 

हर पिता को अपने पुत्र से प्रेम होता है और वो चाहता है की वो अपने जीवन में एक सफल और सच्चा नागरिक बने, परन्तु यदि उसे मोह हो  जाए तो वह अपने पुत्र का त्याग नहीं कर पाएगा और फिर वो बालक न तो किसी विद्यालय में जा सकेगा और न ही अन्य कुशलताओ में निपुण हो सकेगा l अगर आप किसी का भला चाहते है , उसके व्यक्तित्व को निखारना चाहते है तो एक दायरे में रहकर कीजिये तभी आप सफल हो सकेंगे l जिस दिन आप उसके मोहवश हो जायेंगे यकीनन उसके साथ -साथ आप भी अपने आपको शुन्य कर लेंगे l 

फिर भी अगर आप उस इन्सान के बगैर चिंतित है, तो एक बार अपने आपको आइने में देखकर स्वयं से प्रश्न कीजिये क्या आपकी कीमत बस इतनी सी है की कोई भी आपका मालिक बन जाये l

अपने आपको अकेला कर लीजिये, और फिर देखिये समय का चक्र कैसे आपके अनुरूप काम करना शुरू करता है l 

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दोस्त – जो हर कीमत पर आपको सुरक्षित रखे

हम सब किसी न किसी के साथ जुड़े होते है चाहे वो प्यार का रिश्ता हो, दोस्ती का हो या किसी विशेष कारण से ही एक हुए हो |

इन सबमे एक ऐसा भी होता है जिस पर हम जान छिडकते है  किसी भी कीमत पर उसका बुरा नहीं होने देते |

लेकिन कभी कभी ऐसी स्थिति आ जाती है की हमारा वो दोस्त किसी गलत रास्ते पर निकल पड़ता है,  या कोई गलत निर्णय लेता है |तो उस स्थिति में हमें हर कीमत पर उसे रोकना चाहिए |

हो सकता है की उस समय उसके लिये वो रास्ता या वो वस्तु या अमुक इन्सान ज्यादा मायने रखता हो जिसके प्रति उसका लगाव बढ़ रहा है , और वो आपकी एक भी बात का समर्थन नहीं करेगा |

उस समय उसे आपकी हर बात निरर्थक लगेगी, और आप जो की उसके भले के लिए सोच रहे है सबसे बड़े शत्रु के रूप में दिखाई देंगे तो अब क्या ? क्या आपको उसे उसके हालत पर छोड़ देना चाहिए ? नहीं ! अगर आपने ऐसा किया तो उसे और बल मिलेगा की वही सही था और उसका निर्णय कभी गलत नहीं हो सकता |

हां, यह भी हो सकता है की वो आपको भला बुरा भी बोल दे जो आपके हृदय को आघात करे और क्रोध वश आप उसे हमेशा के लिए अकेला छोड़ दे |

लेकिन जरा सोचिये क्या यह उचित होगा ?

उदाहरण  के लिए  – आपका कोई छोटा बच्चा है और वो बार बार दीपक को पकड़ने की कोशिस करता  है तो आप उसे मना करते है | एक बार,  दो बार या तीन बार लेकिन अगर फिर भी  वो जिद करता है तो आप यह कहकर छोड़ देते है जा पकड ले , जब जलेगा तब पता चलेगा |

अब यहाँ पर दो बाते है जो आपको समझनी चाहिए पहला यह की आपने बच्चे को कई बार मना किया लेकिन वो नहीं माना इसलिए आपने उसे अपनी मनमर्जी करने दिया |

दूसरा यह की आप जानते है की उस दीपक से उसे ज्यादा नुकसान नहीं होगा और उसे सबक भी मिल जायेगा ताकि भविष्य में वो दुबारा गलती नहीं करेगा |

लेकिन जरा सोचिये अगर दीपक की जगह कोई आग का ढेर हो तो क्या तब भी आप उसे जाने देंगे …. चाहे आपके बीसियों बार मना करने के बावजूद वो जिद कर रहा हो , कदाचित नहीं |  फिर चाहे आपको उसे थप्पड़ ही क्यों न मारना पड़े लेकिन किसी भी कीमत पर उसे आग के पास नहीं जाने देंगे  | शायद आप उसे कमरे में बंद भी कर देंगे जब तक की वो आग खुद शांत न हो जाये या उसे आपको शांत करना पड़े |

आप ऐसा इसलिए करेंगे , क्योकि आपको पता है की दीपक से जलकर तो सबक मिल सकता है लेकिन आग के ढेर से वापसी का कोई रास्ता नहीं है |  

जिस तरह बच्चे को उस दीपक में या आग के ढेर में कोई खतरा नहीं दिखाई देता वो तो उसे चमकदार और आकर्षण लगता है, ठीक उसी तरह से आपके उस दोस्त को वास्तविक  खतरे का आभास नहीं है |

अब  क्या आप चाहेंगे की आपके दोस्त का भविष्य खतरे में पड़े या ऐसी परस्थिति उत्पन्न हो जाये और ऐसे मझधार में फंस जाये जहाँ से चाहकर भी वो  वापिस ही न आ पाए ……………………

कदाचित आप ऐसा नही चाहेंगे  , इसलिए आपका कर्तव्य बनता है  की उसे उस गलत निर्णय के लिए रोके चाहे उसके लिए किसी भी सीमा तक जाना पड़े |

अगर आप उसमे सफल हो गए तो हो सकता है की वो आपसे दूरिया बना ले, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं |

कम से कम उसकी जिन्दगी बर्बाद होने से  तो बच गयी |

और यकीन मानिये एक न एक दिन वो तुम्हारे पास वापस जरुर आयेगा जब उसे सच्चाई का आभास होगा |

इसलिए अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा है तो बिना सोचे समझे निर्णय लीजिये उससे पहले की देर हो जाये, और आपके पास पश्चाताप और खुद को दिलासा देने के सिवाय कुछ भी न रहे |

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ऐ मुसाफिर आज तू, फिर से अकेला हो गया

ऐ मुसाफिर आज तू, फिर से अकेला हो गया I

महफिलों की बात क्या, एकांत में ही खो गया II  

क्यों बहकता है तू बन्दे, सुनके दो मीठे बोल के ,

छोड़ जाते है तुम्हारे, जीवन में विष घोल के I

जो जगाई आस थी विश्वास की दिल में उसे,

जो मिला  हमदर्द बनके,  दर्द देकर खो गया I

ऐ मुसाफिर आज तू,  फिर से अकेला हो गया II

चेहरे पर मुस्कान तेरे, रहते थे हर पल कभी ,

साथ तेरे रहने से, गम भूल जाते थे सभी I

दिल लगाके तूने फिर क्यों, ऐसी गलती कर डाली ,

उम्र भर आंखे न भीगी, एक पल में रो गया II

ऐ मुसाफिर आज तू, फिर से अकेला हो गया

महफिलों की बात क्या एकांत में भी खो गया II

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देखते देखते अश्क बहने लगे

देखते देखते अश्क बहने लगे

ये मुलाकात कैसी है मेरे सनम

जख्म दिल के मेरे रोके कहने लगे।।

देखते देखते   ………………..

तुमको क्या है पता कैसे जीता हूँ मै

याद में तेरी अश्को को पीता हूँ मैं

क्या कमी थी मोहब्बत में  मेरे बता

लोग क्यों  बेवफा मुझको कहने लगे।।

देखते देखते……………………

तेरी आँखों में जब मेरी तस्वीर थी

कितनी अच्छी भली अपनी तकदीर थी

दिल दुखा  करके तुमको मजा क्या मिला

जिन्दगी  मेरी मुझपे  ही हंसने लगे।।

देखते देखते ………………..

गम जुदाई का बर्दाश्त होता नहीं

इस जमाने पे मुझको भरोसा नहीं

अब बता मुझको जीने से क्या फायदा

जिस्म से जान अब तो निकलने लगे।।

देखते देखते अश्क बहने लगे

ये मुलाकात कैसी है मेरे सनम

जख्म दिल के मेरे रोके कहने लगे।।

 

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आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है

आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है

आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है I

जाम  बोतल से नहीं आँखों से पीना है II

बहुत रुसवाई, मिलन जुदाई हो चुके है ,

जाने कितने पल खुशियों के खो चुके है I

खाते थे एक दूजे पर मरने मिटने की कसमे,

फिर भी जाने कितनी दफा बेवजह रो चुके है I

मेरे सिवा भी जाने कितनो की वो हसीना है ,

आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है II

जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है II

वो बेवकूफी भरी मेरी जो हालात थी,

याद आती है वो जो पहली मुलाकात थी I

उसके हुश्न और सादगी पर मर मिटा था ,

लुट चुकी उस पर मेरी हर जज्बात थी I

खत्म हो चुकी तुझसे मेरी हर तमन्ना है ,

आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है II

जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है  II

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वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है

वो लम्हा अब भी मुझे याद  आता है II

वो पहली बार जब तुमसे नजरे मिली थी

मानो क्यारी की हर इक कलिया खिली थी

मन मेरा उमंगो से भर उठा था

दिल की धड़कने तेज हो गयी थी

इक टक देखता ही रह गया था

मेरी चेतना जाने कहाँ खो गयी थी

पल पल की वो याद अब भी  सताता है I

वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है II

कुछ दिन हो चले थे

कुछ शिकवे तो कुछ गिले थे

रहते थे साथ हरदम

जैसे कब के बिछड़े मिले थे

उसकी  मुस्कराने की अदाये

 खुशबू से भर जाती थी फिजाये

मै मदहोश हो चला था

कुछ यूँ ही सिलसिला था

वो खुशबू अब भी सांसो में समां जाता है I

वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है II

उसका रोज मन्दिर में पूजा करना

नजरे बचाकर मुझे देखा करना

टीका  लगाती बड़े प्यार से

फिर छूकर भी अनदेखा करना

मेरी हर बातो का समर्थन करती

घंटो बैठकर जाने क्या मंथन करती

फिर इक दिन कुछ ऐसा लम्हा आया

न बीतने वाला तन्हा मौसम लाया

रह रहकर मुझे तडपा जाता है I

वो लम्हा अब  भी मुझे याद आता है II


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पति-पत्नी नोंक – झोंक वाली कविता

एक पति-पत्नी कच्चे मकान में रह रहे है, थोड़ी नोक झोक के साथ उनकी दिनचर्या चल रही है I अब सुनते है उनकी इसी रोजरोज  की नोंक झोंक की एक झलक  –

पत्नी- सुनते हो जी 

पति – मै तो बहरा हूँ जी ।

पत्नी- आप तो बुरा मान गए ।

पति- हम आप की चाल जान गये ।

पत्री- आज क्या खाओगे , जो कहो वो बनाऊ ।

पति- मै मुर्ख हूँ जो आपनी मनपसन्द चीज बताऊ ।

पत्नी- ऐसे क्यों कहते हो , मैंने कब की है अपनी मनमर्जी ।

पति – करोगी जो तेरे मन में है, फिर मै क्यों लगाऊ  अर्जी ।

पत्नी- मेरे पास आओ अब दूर न जाओ, खूब सेवा करुँगी तुम्हारी ।

पति – मैं जानता हूँ खूब पहचानता हूँ, क्या मेरी मति गई है मारी ।

पत्नी – आ भी जाओ काम बहुत है , कुछ तुम करो कुछ मैं करू ।

पति- यह  सब तेरी जिम्मेदारी है , बेवजह ही मैं क्यों मरूं ।

पत्नी- मरे आपके दुश्मन , कुछ अच्छा खाने को है मेरा  मन ।

पति- लाला के यहाँ से कुछ मँगा ले, जो मर्जी है बनाले ।

पत्नी- लाला का बहुत उधार है, हमेशा पैसे ही मांगता है ।

पति- किसी का उधार  हमने दिया है,  क्या वो नहीं जानता है ।

पत्नी – इतना भी अच्छा नहीं होता, कर्जा चुका देना चाहिए ।

पति- तो जल्दी से मायके से अपने कुछ रूपये लेकर आईये ।

पत्नी- आप बात – बात पर मेरे मायके को मत लाया करो ।

         ये सब कहना  व्यर्थ है , हमेशा न सताया करो ।।

पति – मैंने तुझे कब कब सताया है, झूठ कहते तुझे शर्म नहीं आती ।

    मैं तेरे मायके को नहीं लाता, पर तू मेरे बाप पर जरुर है जाती ।।

पत्नी – वैसे तो मैं आपकी धर्मपत्नी हूँ , अर्धान्ग्निनी हूँ , सहभागिनी हूँ ।

         नाम भी महालक्ष्मी रखा है,  पर इस घर में अभागिनी हूँ ।।

पति- तू तो फिर भी भाग्यशाली है जो मेरे जैसा पति मिला है ।

         वर्ना मुझे पता है मायके में तेरा क्या क्या गुल खिला है ।।

पत्नी- ये सब कहते शर्म नहीं आती, मुझ पर इल्जाम लगाते हो ।

       खुद निकम्मे घर पर बैठकर जाने क्या क्या गुल खिलाते हो ।।

पति – अपने पति को निकम्मा कहते हुए तेरी जुबान नहीं कटती है।

         इतना ही बुरा हूँ अगर तो मुझसे ही सदा क्यों सटती है ।।

पत्नी – इस तरह से ताने यू हमको न मारो ।

        तुम्ही मेरे देवदास मै तुम्हारी पारो ।।

पति – तुम्हारी इसी अदा पर तो हम मरते है ।

         सच कहे हम सिर्फ तुमसे प्यार करते है ।।

पत्नी – छोडो इन बातो को कहो क्या बनाऊ ।

पति – पहले लाला से कुछ सामान उधार ले आऊ ।

इसी तरह से दोनों पति पत्नी ख़ुशी से रहते है ।

सिर्फ मन बहलाने के लिए ही झगड़ा करते है ।

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जिन्दगी में एक बार- जरूर करें प्यार

हर इन्सान को जिन्दगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए Iप्यार होने के बाद आपको सभी  भावनाओ, दर्द, एहसास, ऐतबार, इन्तजार, बेवफाई –रुसवाई, इर्ष्या, चिडचिडाहट ना जाने कितने ऐसे चीजो का मतलब समझ में आ जाता है जो वर्षो तक अध्ययन करने के बाद भी बड़े बड़े विद्वानों को समझ में नहीं आती I

एक एक पल का इंतजार कितना भारी महसूस होता है, शायद ही कोई समय का पावंद व्यक्ति समझ सके I हर बात को सोच समझ कर बोलना पड़ता है, कही उसके प्रेमी या प्रेमिका को बुरा न लग जाये I अपने और उसके पसंद नपसंद का ख्याल करना बहुत कुछ सिखा  जाता है I

अगर आप खुशकिश्मत हुए तो आपका प्यार सफल हो जायेगा, फिर हर चीज आपको आसान  लगने लगती है I फिर जिन्दगी
में बड़ी से बड़ी चीजो को हासिल करना आपका जुनून बन जाता है I

लेकिन अगर आपका प्यार सफल नहीं होता है या प्यार में धोखा मिलता है जो अक्सर मिलता ही रहता है I ऐसी स्थिति में जो एक दुखो का पहाड़ आपके ऊपर गिरता है, अगर उसे आपने संयम से दिल को काबू में रखकर सामान्य कर लिया तो यकींन मानिये जिन्दगी में कभी भी बड़ी से बड़ी मुसीबत के सामने भी आप विचलित नहीं हो सकते I

आप एक ऊँचे मुकाम को हासिल कर सकते है क्योकि अब आपके जज्बात खत्म हो चुके है I  किसी के लिए कोई भावना शेष नहीं रह गयी है I अब आपको  सिर्फ आपकी मंजिल दिखाई देती है I अब आपकी जिन्दगी में कोई सही-गलत, रोक-टोक करने वाला नहीं रह जाता I फिर एक बार सफल होने के बाद कोई आपको प्यार करने से इंकार कर सके ऐसा शायद ही होगा I

लेकिन अगर फिर भी ऐसा होता है तो अपने आप से प्यार करना सीख लीजिये, फिर किसी के प्यार की जरुरत नहीं पड़ेगी 

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चेहरा – ( दाग चहरे पर नहीं दिल में है) 

(पात्र – सिद्धांत- २५ साल, मुस्कान- २२ साल, बिक्रांत- २५ साल, सार्थक- ३५ साल )

दृश्य- १

एक लड़का और लड़की स्कूटी से जा रहे है, दोनों बहुत खुश लग रहे है आपस में बाते करते हुए हंस रहे है I

इतने में सामने से एक लड़का इशारा करता है,  लड़की पलट कर देखती है जो उसका कोई पुराना दोस्त होता है I

लड़की स्कूटी चला रहे लड़के से बोलती है I

लड़की- अरे सिद्धांत  उधर देखो मेरा पुराना दोस्त है, स्कूटी घुमाओ जल्दी I

और इसी हडबडाहट में स्कूटी  टकरा जाती है ,  लडकी तो बच  जाती है पर लड़के के मुंह  पर चोट  लग जाती है I

बगल से एक और युवक जा रहा होता है थोड़े से फटेहाल में है , एक्सीडेंट देखकर रुक जाता है I

युवक – अरे जल्दी से इन्हें हास्पिटल ले चलो , खून ज्यादा बह रहा है I

फिर सभी उसे हॉस्पिटल लेकर चले जाते है I

दृश्य - २

सिद्धांत,  जिस लडके  को चोट लगी थी बिस्तर पर लेटा हुआ है उसके चेहरे पर ज्यादा चोट लगने के कारण चेहरे पर दाग आ गया है I

इतने में लड़की उसी पुराने दोस्त के साथ उससे मिलने आती है उसके चेहरे पर दाग देखकर थोडा चौंकती है लेकिन खुद को सम्भाल  लेती है

मुस्कान – ये दाग अभी तक ……  डाक्टर ने क्या बोला … ये ठीक तो हो जायेगा न ?

सिद्धांत – शायद नहीं होगा , डाक्टर साहब कह रहे थे की दाग ऐसा ही रहेगा अगर ठीक करना है तो प्लास्टिक सर्जरी करवानी पड़ेगी I और तुम तो जानती ही हो की इतनी महंगी सर्जरी मैं करा नहीं सकता I

मुस्कान – मन ही मन तेरी औकात ही इतनी कहाँ I

सिद्धांत – तुम कुछ कह रही हो शायद I

मुस्कान – (हडबडाते हुए) नहीं कुछ नहीं I तुम जल्दी ठीक हो जाओगे I

बिक्रांत (लड़की का दूसरा दोस्त)  – अब चलते है हमें देर हो रही हैI तुम्हारे दुकान का कागज भी सही करवाना है I

 सिद्धांत –क्या  बात बात है मुस्कान, कुछ दिक्कत है क्या ?

मुस्कान- नहीं कुछ नहीं तुम आराम करो I बिक्रांत है न ! सब संभाल लेगा I

मुस्कान , बिक्रांत का हाथ पकड़कर वंहा से चली जाती है I

 

सिद्धांत उसे जाते हुए देखता है , फिर बगल में रखी किताब पढने लगता है I

दृश्य - ३

सिद्धांत कुर्सी पर बैठकर किताब पढ़ रहा होता है इतने में फोन की घंटी बजती है I

सिद्धांत- हैलो (उधर से एक लड़की की आवाज आती है )- अरे मुस्कान तुम …. कैसी हो I

मुस्कान और उसका दोस्त बिक्रांत दोनों बाइक पर होते है I

मुस्कान- सिद्धांत मैं कुछ कहना चाहती थी, वो मै ……मै …… तुम्हारे साथ ..

सिद्धांत- बोलो क्या बात  है , रुक क्यों गयी ?

(उधर बिक्रांत बोलता है उससे पूछ उसका चेहरा कैसा है अब)

मुस्कान- तुम्हारा फेश कैसा है अब, दाग सही तो नहीं हुए होंगे ?

सिद्धांत- नहीं, मैंने तो बताया तो था की सर्जरी से सही हो जायेगा I

मुस्कान- हां मालुम है और वो कभी नहीं होगा, तो मै……. मैं  नहीं चाहती की कल को अगर मैं तुम्हे किसी से मिलवाऊ तो लोग पता नही क्या कहेंगे

सिद्धांत- क्या – क्या? मैं  समझा नहीं ?

बिक्रांत ,( मुस्कान के हाथ से मोबाइल छीन लेता है)- सुन भाई अब मुस्कान तेरे साथ नहीं रह सकती , कुछ दिनों बाद हम शादी कर रहे है I अब तू उसे हमेशा के लिए भूल जाना I और फ़ोन काट देता है I

सिद्धांत थोडा मायूस हो जाता है लेकिन फिर किताब पढने लगता है I 

दृश्य- ४

दफ्तर का दृश्य है I एक क्लर्क बाहर बैठा कुछ काम कर रहा है I

इतने में बिक्रांत और मुस्कान उस आफिस के सामने आते है I उनके हाथ में कुछ पेपर है I दोनों बहुत परेशान लग रहे है I

मुस्कान- हमें साहब से मिलना है बहुत अर्जेंट है I

क्लर्क  – आपके पास साहब का अपॉइंटमेंट है क्या ?

बिक्रांत- नहीं हमारे पास नहीं है I

क्लर्क – तो फिर साहब नहीं मिल सकते I एक काम करो अपना पेपर छोड़ जाओ और नाम और नम्बर भी, मैं आपको एक दो दिन में बुला लुंगा I

मुस्कान- नहीं हमें बहुत जरूरी है , अगर साहब ने हस्ताक्षर नहीं किये तो हम सड़क पर आ जायेंगे I हमारा दुकान नीलाम हो जायेगा I

दोनों हाथ जोड़कर गिडगिडाने लगते है I

क्लर्क  – अच्छा रुको मैं देखता हूँ I

(अन्दर बैठा व्यक्ति इनकी बाते सुन लेता है और आवाज देता है , सार्थक उन दोनों को अन्दर ले आओ I

 दोनों अंदर जाते है और चौक जाते है I सामने कुर्सी पर सिद्धांत बैठा होता है I

मुस्कान- तुम और यंहा , इस कुर्सी पर …

सार्थक (क्लर्क ) – मैडम तुम नहीं आप कहो , यही है यहाँ के नए आफिसर I

सिद्धांत- जी हाँ मैं, तुम्हे तो पता ही होगा की मैं UPSC की तयारी कर रहा था I पहले तो मेरे पास समय बहुत कम होता था पढने के लिए , लेकिन  जब तुम मुझे छोड़कर चली गयी तो मैं  पूरी तरह से फ्री हो गया I मैंने पूरा समय पढाई में लगाया और आज इस ओहदे पर पंहुचा गया I

मुस्कान- सॉरी सिद्धांत… मुझे माफ़ कर दो I मैंने तुम्हारे साथ गलत व्यव्हार किया I

और दूसरी तरफ मुस्कराते हुए क्लर्क  को देखकर , तुम तो वही हो न जो उस दिन एक्सीडेंट में हमारी मदद किया था I

सार्थक – हाँ मैं वही हूँ, एक दिन किसी काम से साहब हमारे गावं में आये थे ,मैं बेरोजगार था, साहब ने मेरा हालचाल पूछा और यहाँ  नौकरी दे  दिया I

बिक्रांत – परन्तु आपके चेहरे पर दाग था न ?

सिद्धांत- मैंने सर्जरी करवा लिए, सोचा एक तो चली गयी कही ऐसा न हो की दूसरी मिले ही न और हंसने लगता हैI

इतने में दोनों वापस जाने लगते है , उन्हें वापस जाता देखकर सिद्धांत उन्हें रोकता है I

सिद्धांत- रुको तुम्हारा कोई काम था न, लाओ मैं साइन कर देता हूँ I

मुस्कान उसे पेपर देती है , सिद्धांत पेपर चेक करता है, और वापिस कर देता है I

सिद्धांत- सॉरी मैडम मैं इस पर साइन नहीं कर सकता I ये अवैध है,  हाँ अगर कुछ और सहायता चाहिए तो सार्थक को बोल देना I

दोनों मायूस होकर चले जाते है I

 सिद्धांत कुर्सी पर बैठकर काम करने लगता है और सार्थक बाहर अपनी जगह पर ……………..       


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दोस्ती में सोच संकरा नहीं सकारात्मक रखे

आप दो दोस्त है और एक काफी दिनों से परेशान हो, बहुत संघर्ष
कर रहा  हो, हर छोटी बड़ी बात उसकी तुम्हे पता है I

आप भी उसे सांत्वना  देते रहते हो की सब ठीक हो जायेगा I

फिर कुछ दिन बाद वो सिर्फ अपने बारे में बात करने लगता  है , की उसने ऐसा किया, उसने वैसा किया, आज उसे
एक उपलब्धि मिली है, आगे भी बात चल रही है इत्यादि I

अब आप सोचना शुरू कर  देते है की आपका दोस्त बदल चुका है , हर वक्त
अपने बारे में ही बात करता है , हर छोटी बड़ी उपलब्धियों को गिनवाता रहता है, कुछ
ज्यादा ही उड़ने लगा है, एकदम खुदगर्ज हो चुका है I

परन्तु सच तो ऐसा भी हो सकता है की वो आपके साथ हर छोटी बड़ी
ख़ुशी इसलिए साझा करता है की ताकि आपको लगे की अब उसके संघर्ष वाले दिन ख़त्म होने
वाले है I अब उसकी परेशानी ख़त्म होने वाली है I और ये सब बाते सिर्फ आपके साथ करता
है क्योकि वो सिर्फ आप ही हो जिसे उसके अतीत के बारे में,  सपनो के बारे मे,  हालत और हालात  के बारे में सब कुछ पता है I और आपको यह सब जानकर ख़ुशी होगी क्योकि आप उसके हमदर्द हो, हमसफर हो , आपसे कुछ ऐसा रिश्ता है
जिसे बयाँ नही किया जाता I

अब सोचना आपको है की आप इन बातो को किस  दृष्टिकोण से देखते है I 


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पिता ही परम-पिता

तू मंदिर मंदिर भटक रहा , जिस प्रभु का करने को नमन I
इक भगवान है भूखा बैठा , जिसने दी है तुझको जीवन II
चढ़ा रहा फल फूल  मिठाई, धूप  नैवेद्य  करता अर्पण I
एक बूंद प्यास को तरस रहा, तेरे खातिर सब किया समर्पण II
अपने सपने पाने की खातिर, घुटने टेक करता विनती I
उसने तुझ पर कुर्बान किये, निज सपनों की न कोई गिनती II
इस पिता की आज्ञा से रामचंद्र, नर से नारायण तुल्य हुए I
पितृ भक्ति से न जाने कितने, सादे जीवन बहुमूल्य हुए II
जिस प्यार भाव से ऐ  बंदे, उस प्रभु का तू करता गुणगान I
बस एक बार दिल से पुकार, उस पिता को भी देकर सम्मान II
जो अब तक तुझको नही मिला, सच मान वो सब मिल जायेगा I
जो पूरा न कर सके  देवी देवता,  इक आशीर्वाद कर जायेगा II

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राज और राजदार – एक हद तक सीमित रखे

राज

हम सबकी जिन्दगी में कोई न कोई राज जरूर होते है अगर किसी कारणवश वो  सबके सामने आ जाये तो हो सकता है की आपकी जिन्दगी में कोई भी अनहोनी हो जाये

कुछ राज सकारात्मक भी हो सकते है लेकिन अधिकतर नकारात्मक ही होते है इसलिए तो उन्हें राज रखना पड़ता है

हम सबकी जिन्दगी में जाने अनजाने ऐसी घटनाये घट जाती है या कुछ ऐसा कर जाते है जिन्हें सोचकर बाद में पछतावा ही होता है

ये आपके साथ घटी हुई कोई घटना हो सकती है , या आपके द्वारा की गयी कोई भूल.

राजदार

अब चूकि कोई न कोई राज होने कारण एक राजदार भी होता है  जिसे आपसे ज्यादा आपके बारे में पता होता है I

हम अपनी छोटी बड़ी सारी बाते उसके साथ साझा करते है I लेकिन एक समय ऐसा भी आ जाता है जब दोनों के रास्ते अलग अलग हो जाते है I चाहे वो व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक कारणों से I ऐसे में हमारे मन में एक ही शंका उठती है की क्या वो भी उस राज को राज रख पायेगा जो सिर्फ और सिर्फ उसे ही पता है I अगर कही उसने किसी के सामने उसे व्यक्त कर दिया तो मेरी इज्जत भी जा सकती है,   हमारी सारी  छबि धूमिल हो सकती है I अब इस हालात में हम  कुछ भी करने या न करने की स्थिति में रहते है I इसलिए जितना संभव हो सके किसी राजदार से तो दूर रहे , लेकिन अगर है तो कोशिश करे की उसके साथ एक दायरा बना कर रखे I

तो क्या हमें अपने राज किसी को बताने नहीं चाहिए ?

नहीं, मै  तो यही जनता हूँ की हर इंसान  से कोई न कोई भूल अवश्य हो जाती है,  और कुछ न कुछ अनचाही  घटनाये भी हो जाती है I आपको चाहिए की जितना संभव हो अपने राज अपने तक ही सीमित रखे I क्योकि  उसके उजागर होने से आपकी इज्जत दावं पर भी लग सकती हैI वो आपकी कोई भूल भी हो सकती है I लेकिन समय के साथ हर बड़ी छोटी घटनाएं ढक जाती है I

अब हमें खुदको सबके सामने कैसे प्रस्तुत करना है  ये सिर्फ आपके विचार पर निभर है

क्या पति-पत्नी के बीच में राज रहना चाहिए ?

मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा की वो अपनी पत्नी को बेहद प्यार करता था I एक दिन बातो ही बातो में उसने वो सब बता दिए जो की उसकी नजर में महज एक भूल थी लेकिन  उस घटना के बाद दोनों के बीच में तनाव उत्पन्न हो गया I मैं  यह नहीं कहता की अपने जीवनसाथी से कोई बात छुपा कर रखो.मैं इतना जरूर कहना चाहूँगा की जिस बात को राज रखने में ही परिवार की भलाई हो उसे राज ही रहने दे तो जीवन आसान  रहती है I  शादी से पहले की जिन्दगी में दोनों के कुछ राज जरूर होते है अब उन बातो को आगे लाने का कोई औचित्य नहीं है I

कोशश करे की पुनः ऐसी कोई भूल न हो जाये जिससे एक दुसरे से नजर न मिला पाए . इस लिए बीती हुई बातो पर पर्दा डालने में ही भलाई है


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