वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है
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एक सोच जरा हटके
एक सोच जरा हटके
वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है II
वो पहली बार जब तुमसे नजरे मिली थी
मानो क्यारी की हर इक कलिया खिली थी
मन मेरा उमंगो से भर उठा था
दिल की धड़कने तेज हो गयी थी
इक टक देखता ही रह गया था
मेरी चेतना जाने कहाँ खो गयी थी
पल पल की वो याद अब भी सताता है I
वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है II
कुछ दिन हो चले थे
कुछ शिकवे तो कुछ गिले थे
रहते थे साथ हरदम
जैसे कब के बिछड़े मिले थे
उसकी मुस्कराने की अदाये
खुशबू से भर जाती थी फिजाये
मै मदहोश हो चला था
कुछ यूँ ही सिलसिला था
वो खुशबू अब भी सांसो में समां जाता है I
वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है II
उसका रोज मन्दिर में पूजा करना
नजरे बचाकर मुझे देखा करना
टीका लगाती बड़े प्यार से
फिर छूकर भी अनदेखा करना
मेरी हर बातो का समर्थन करती
घंटो बैठकर जाने क्या मंथन करती
फिर इक दिन कुछ ऐसा लम्हा आया
न बीतने वाला तन्हा मौसम लाया
रह रहकर मुझे तडपा जाता है I
वो लम्हा अब भी मुझे याद आता है II
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एक पति-पत्नी कच्चे मकान में रह रहे है, थोड़ी नोक झोक के साथ उनकी दिनचर्या चल रही है I अब सुनते है उनकी इसी रोज– रोज की नोंक झोंक की एक झलक –
पत्नी- सुनते हो जी
पति – मै तो बहरा हूँ जी ।
पत्नी- आप तो बुरा मान गए ।
पति- हम आप की चाल जान गये ।
पत्री- आज क्या खाओगे , जो कहो वो बनाऊ ।
पति- मै मुर्ख हूँ जो आपनी मनपसन्द चीज बताऊ ।
पत्नी- ऐसे क्यों कहते हो , मैंने कब की है अपनी मनमर्जी ।
पति – करोगी जो तेरे मन में है, फिर मै क्यों लगाऊ अर्जी ।
पत्नी- मेरे पास आओ अब दूर न जाओ, खूब सेवा करुँगी तुम्हारी ।
पति – मैं जानता हूँ खूब पहचानता हूँ, क्या मेरी मति गई है मारी ।
पत्नी – आ भी जाओ काम बहुत है , कुछ तुम करो कुछ मैं करू ।
पति- यह सब तेरी जिम्मेदारी है , बेवजह ही मैं क्यों मरूं ।
पत्नी- मरे आपके दुश्मन , कुछ अच्छा खाने को है मेरा मन ।
पति- लाला के यहाँ से कुछ मँगा ले, जो मर्जी है बनाले ।
पत्नी- लाला का बहुत उधार है, हमेशा पैसे ही मांगता है ।
पति- किसी का उधार हमने दिया है, क्या वो नहीं जानता है ।
पत्नी – इतना भी अच्छा नहीं होता, कर्जा चुका देना चाहिए ।
पति- तो जल्दी से मायके से अपने कुछ रूपये लेकर आईये ।
पत्नी- आप बात – बात पर मेरे मायके को मत लाया करो ।
ये सब कहना व्यर्थ है , हमेशा न सताया करो ।।
पति – मैंने तुझे कब कब सताया है, झूठ कहते तुझे शर्म नहीं आती ।
मैं तेरे मायके को नहीं लाता, पर तू मेरे बाप पर जरुर है जाती ।।
पत्नी – वैसे तो मैं आपकी धर्मपत्नी हूँ , अर्धान्ग्निनी हूँ , सहभागिनी हूँ ।
नाम भी महालक्ष्मी रखा है, पर इस घर में अभागिनी हूँ ।।
पति- तू तो फिर भी भाग्यशाली है जो मेरे जैसा पति मिला है ।
वर्ना मुझे पता है मायके में तेरा क्या क्या गुल खिला है ।।
पत्नी- ये सब कहते शर्म नहीं आती, मुझ पर इल्जाम लगाते हो ।
खुद निकम्मे घर पर बैठकर जाने क्या क्या गुल खिलाते हो ।।
पति – अपने पति को निकम्मा कहते हुए तेरी जुबान नहीं कटती है।
इतना ही बुरा हूँ अगर तो मुझसे ही सदा क्यों सटती है ।।
पत्नी – इस तरह से ताने यू हमको न मारो ।
तुम्ही मेरे देवदास मै तुम्हारी पारो ।।
पति – तुम्हारी इसी अदा पर तो हम मरते है ।
सच कहे हम सिर्फ तुमसे प्यार करते है ।।
पत्नी – छोडो इन बातो को कहो क्या बनाऊ ।
पति – पहले लाला से कुछ सामान उधार ले आऊ ।
इसी तरह से दोनों पति पत्नी ख़ुशी से रहते है ।
सिर्फ मन बहलाने के लिए ही झगड़ा करते है ।
पति-पत्नी नोंक – झोंक वाली कविता Read More »
हर इन्सान को जिन्दगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए Iप्यार होने के बाद आपको सभी भावनाओ, दर्द, एहसास, ऐतबार, इन्तजार, बेवफाई –रुसवाई, इर्ष्या, चिडचिडाहट ना जाने कितने ऐसे चीजो का मतलब समझ में आ जाता है जो वर्षो तक अध्ययन करने के बाद भी बड़े बड़े विद्वानों को समझ में नहीं आती I
एक एक पल का इंतजार कितना भारी महसूस होता है, शायद ही कोई समय का पावंद व्यक्ति समझ सके I हर बात को सोच समझ कर बोलना पड़ता है, कही उसके प्रेमी या प्रेमिका को बुरा न लग जाये I अपने और उसके पसंद नपसंद का ख्याल करना बहुत कुछ सिखा जाता है I
अगर आप खुशकिश्मत हुए तो आपका प्यार सफल हो जायेगा, फिर हर चीज आपको आसान लगने लगती है I फिर जिन्दगी
में बड़ी से बड़ी चीजो को हासिल करना आपका जुनून बन जाता है I
लेकिन अगर आपका प्यार सफल नहीं होता है या प्यार में धोखा मिलता है जो अक्सर मिलता ही रहता है I ऐसी स्थिति में जो एक दुखो का पहाड़ आपके ऊपर गिरता है, अगर उसे आपने संयम से दिल को काबू में रखकर सामान्य कर लिया तो यकींन मानिये जिन्दगी में कभी भी बड़ी से बड़ी मुसीबत के सामने भी आप विचलित नहीं हो सकते I
आप एक ऊँचे मुकाम को हासिल कर सकते है क्योकि अब आपके जज्बात खत्म हो चुके है I किसी के लिए कोई भावना शेष नहीं रह गयी है I अब आपको सिर्फ आपकी मंजिल दिखाई देती है I अब आपकी जिन्दगी में कोई सही-गलत, रोक-टोक करने वाला नहीं रह जाता I फिर एक बार सफल होने के बाद कोई आपको प्यार करने से इंकार कर सके ऐसा शायद ही होगा I
लेकिन अगर फिर भी ऐसा होता है तो अपने आप से प्यार करना सीख लीजिये, फिर किसी के प्यार की जरुरत नहीं पड़ेगी
जिन्दगी में एक बार- जरूर करें प्यार Read More »
(पात्र – सिद्धांत- २५ साल, मुस्कान- २२ साल, बिक्रांत- २५ साल, सार्थक- ३५ साल )
एक लड़का और लड़की स्कूटी से जा रहे है, दोनों बहुत खुश लग रहे है आपस में बाते करते हुए हंस रहे है I
इतने में सामने से एक लड़का इशारा करता है, लड़की पलट कर देखती है जो उसका कोई पुराना दोस्त होता है I
लड़की स्कूटी चला रहे लड़के से बोलती है I
लड़की- अरे सिद्धांत उधर देखो मेरा पुराना दोस्त है, स्कूटी घुमाओ जल्दी I
और इसी हडबडाहट में स्कूटी टकरा जाती है , लडकी तो बच जाती है पर लड़के के मुंह पर चोट लग जाती है I
बगल से एक और युवक जा रहा होता है थोड़े से फटेहाल में है , एक्सीडेंट देखकर रुक जाता है I
युवक – अरे जल्दी से इन्हें हास्पिटल ले चलो , खून ज्यादा बह रहा है I
फिर सभी उसे हॉस्पिटल लेकर चले जाते है I
सिद्धांत, जिस लडके को चोट लगी थी बिस्तर पर लेटा हुआ है उसके चेहरे पर ज्यादा चोट लगने के कारण चेहरे पर दाग आ गया है I
इतने में लड़की उसी पुराने दोस्त के साथ उससे मिलने आती है उसके चेहरे पर दाग देखकर थोडा चौंकती है लेकिन खुद को सम्भाल लेती है
मुस्कान – ये दाग अभी तक …… डाक्टर ने क्या बोला … ये ठीक तो हो जायेगा न ?
सिद्धांत – शायद नहीं होगा , डाक्टर साहब कह रहे थे की दाग ऐसा ही रहेगा अगर ठीक करना है तो प्लास्टिक सर्जरी करवानी पड़ेगी I और तुम तो जानती ही हो की इतनी महंगी सर्जरी मैं करा नहीं सकता I
मुस्कान – मन ही मन तेरी औकात ही इतनी कहाँ I
सिद्धांत – तुम कुछ कह रही हो शायद I
मुस्कान – (हडबडाते हुए) नहीं कुछ नहीं I तुम जल्दी ठीक हो जाओगे I
बिक्रांत (लड़की का दूसरा दोस्त) – अब चलते है हमें देर हो रही हैI तुम्हारे दुकान का कागज भी सही करवाना है I
सिद्धांत –क्या बात बात है मुस्कान, कुछ दिक्कत है क्या ?
मुस्कान- नहीं कुछ नहीं तुम आराम करो I बिक्रांत है न ! सब संभाल लेगा I
मुस्कान , बिक्रांत का हाथ पकड़कर वंहा से चली जाती है I
सिद्धांत उसे जाते हुए देखता है , फिर बगल में रखी किताब पढने लगता है I
सिद्धांत कुर्सी पर बैठकर किताब पढ़ रहा होता है इतने में फोन की घंटी बजती है I
सिद्धांत- हैलो (उधर से एक लड़की की आवाज आती है )- अरे मुस्कान तुम …. कैसी हो I
मुस्कान और उसका दोस्त बिक्रांत दोनों बाइक पर होते है I
मुस्कान- सिद्धांत मैं कुछ कहना चाहती थी, वो मै ……मै …… तुम्हारे साथ ..
सिद्धांत- बोलो क्या बात है , रुक क्यों गयी ?
(उधर बिक्रांत बोलता है उससे पूछ उसका चेहरा कैसा है अब)
मुस्कान- तुम्हारा फेश कैसा है अब, दाग सही तो नहीं हुए होंगे ?
सिद्धांत- नहीं, मैंने तो बताया तो था की सर्जरी से सही हो जायेगा I
मुस्कान- हां मालुम है और वो कभी नहीं होगा, तो मै……. मैं नहीं चाहती की कल को अगर मैं तुम्हे किसी से मिलवाऊ तो लोग पता नही क्या कहेंगे
सिद्धांत- क्या – क्या? मैं समझा नहीं ?
बिक्रांत ,( मुस्कान के हाथ से मोबाइल छीन लेता है)- सुन भाई अब मुस्कान तेरे साथ नहीं रह सकती , कुछ दिनों बाद हम शादी कर रहे है I अब तू उसे हमेशा के लिए भूल जाना I और फ़ोन काट देता है I
सिद्धांत थोडा मायूस हो जाता है लेकिन फिर किताब पढने लगता है I
दफ्तर का दृश्य है I एक क्लर्क बाहर बैठा कुछ काम कर रहा है I
इतने में बिक्रांत और मुस्कान उस आफिस के सामने आते है I उनके हाथ में कुछ पेपर है I दोनों बहुत परेशान लग रहे है I
मुस्कान- हमें साहब से मिलना है बहुत अर्जेंट है I
क्लर्क – आपके पास साहब का अपॉइंटमेंट है क्या ?
बिक्रांत- नहीं हमारे पास नहीं है I
क्लर्क – तो फिर साहब नहीं मिल सकते I एक काम करो अपना पेपर छोड़ जाओ और नाम और नम्बर भी, मैं आपको एक दो दिन में बुला लुंगा I
मुस्कान- नहीं हमें बहुत जरूरी है , अगर साहब ने हस्ताक्षर नहीं किये तो हम सड़क पर आ जायेंगे I हमारा दुकान नीलाम हो जायेगा I
दोनों हाथ जोड़कर गिडगिडाने लगते है I
क्लर्क – अच्छा रुको मैं देखता हूँ I
(अन्दर बैठा व्यक्ति इनकी बाते सुन लेता है और आवाज देता है , सार्थक उन दोनों को अन्दर ले आओ I
दोनों अंदर जाते है और चौक जाते है I सामने कुर्सी पर सिद्धांत बैठा होता है I
मुस्कान- तुम और यंहा , इस कुर्सी पर …
सार्थक (क्लर्क ) – मैडम तुम नहीं आप कहो , यही है यहाँ के नए आफिसर I
सिद्धांत- जी हाँ मैं, तुम्हे तो पता ही होगा की मैं UPSC की तयारी कर रहा था I पहले तो मेरे पास समय बहुत कम होता था पढने के लिए , लेकिन जब तुम मुझे छोड़कर चली गयी तो मैं पूरी तरह से फ्री हो गया I मैंने पूरा समय पढाई में लगाया और आज इस ओहदे पर पंहुचा गया I
मुस्कान- सॉरी सिद्धांत… मुझे माफ़ कर दो I मैंने तुम्हारे साथ गलत व्यव्हार किया I
और दूसरी तरफ मुस्कराते हुए क्लर्क को देखकर , तुम तो वही हो न जो उस दिन एक्सीडेंट में हमारी मदद किया था I
सार्थक – हाँ मैं वही हूँ, एक दिन किसी काम से साहब हमारे गावं में आये थे ,मैं बेरोजगार था, साहब ने मेरा हालचाल पूछा और यहाँ नौकरी दे दिया I
बिक्रांत – परन्तु आपके चेहरे पर दाग था न ?
सिद्धांत- मैंने सर्जरी करवा लिए, सोचा एक तो चली गयी कही ऐसा न हो की दूसरी मिले ही न और हंसने लगता हैI
इतने में दोनों वापस जाने लगते है , उन्हें वापस जाता देखकर सिद्धांत उन्हें रोकता है I
सिद्धांत- रुको तुम्हारा कोई काम था न, लाओ मैं साइन कर देता हूँ I
मुस्कान उसे पेपर देती है , सिद्धांत पेपर चेक करता है, और वापिस कर देता है I
सिद्धांत- सॉरी मैडम मैं इस पर साइन नहीं कर सकता I ये अवैध है, हाँ अगर कुछ और सहायता चाहिए तो सार्थक को बोल देना I
दोनों मायूस होकर चले जाते है I
सिद्धांत कुर्सी पर बैठकर काम करने लगता है और सार्थक बाहर अपनी जगह पर ……………..
चेहरा – ( दाग चहरे पर नहीं दिल में है)  Read More »
आप दो दोस्त है और एक काफी दिनों से परेशान हो, बहुत संघर्ष
कर रहा हो, हर छोटी बड़ी बात उसकी तुम्हे पता है I
आप भी उसे सांत्वना देते रहते हो की सब ठीक हो जायेगा I
फिर कुछ दिन बाद वो सिर्फ अपने बारे में बात करने लगता है , की उसने ऐसा किया, उसने वैसा किया, आज उसे
एक उपलब्धि मिली है, आगे भी बात चल रही है इत्यादि I
अब आप सोचना शुरू कर देते है की आपका दोस्त बदल चुका है , हर वक्त
अपने बारे में ही बात करता है , हर छोटी बड़ी उपलब्धियों को गिनवाता रहता है, कुछ
ज्यादा ही उड़ने लगा है, एकदम खुदगर्ज हो चुका है I
परन्तु सच तो ऐसा भी हो सकता है की वो आपके साथ हर छोटी बड़ी
ख़ुशी इसलिए साझा करता है की ताकि आपको लगे की अब उसके संघर्ष वाले दिन ख़त्म होने
वाले है I अब उसकी परेशानी ख़त्म होने वाली है I और ये सब बाते सिर्फ आपके साथ करता
है क्योकि वो सिर्फ आप ही हो जिसे उसके अतीत के बारे में, सपनो के बारे मे, हालत और हालात के बारे में सब कुछ पता है I और आपको यह सब जानकर ख़ुशी होगी क्योकि आप उसके हमदर्द हो, हमसफर हो , आपसे कुछ ऐसा रिश्ता है
जिसे बयाँ नही किया जाता I
अब सोचना आपको है की आप इन बातो को किस दृष्टिकोण से देखते है I
दोस्ती में सोच संकरा नहीं सकारात्मक रखे Read More »
तू मंदिर मंदिर भटक रहा , जिस प्रभु का करने को नमन I
इक भगवान है भूखा बैठा , जिसने दी है तुझको जीवन II
चढ़ा रहा फल फूल मिठाई, धूप नैवेद्य करता अर्पण I
एक बूंद प्यास को तरस रहा, तेरे खातिर सब किया समर्पण II
अपने सपने पाने की खातिर, घुटने टेक करता विनती I
उसने तुझ पर कुर्बान किये, निज सपनों की न कोई गिनती II
इस पिता की आज्ञा से रामचंद्र, नर से नारायण तुल्य हुए I
पितृ भक्ति से न जाने कितने, सादे जीवन बहुमूल्य हुए II
जिस प्यार भाव से ऐ बंदे, उस प्रभु का तू करता गुणगान I
बस एक बार दिल से पुकार, उस पिता को भी देकर सम्मान II
जो अब तक तुझको नही मिला, सच मान वो सब मिल जायेगा I
जो पूरा न कर सके देवी देवता, इक आशीर्वाद कर जायेगा II
हम सबकी जिन्दगी में कोई न कोई राज जरूर होते है अगर किसी कारणवश वो सबके सामने आ जाये तो हो सकता है की आपकी जिन्दगी में कोई भी अनहोनी हो जाये
कुछ राज सकारात्मक भी हो सकते है लेकिन अधिकतर नकारात्मक ही होते है इसलिए तो उन्हें राज रखना पड़ता है
हम सबकी जिन्दगी में जाने अनजाने ऐसी घटनाये घट जाती है या कुछ ऐसा कर जाते है जिन्हें सोचकर बाद में पछतावा ही होता है
ये आपके साथ घटी हुई कोई घटना हो सकती है , या आपके द्वारा की गयी कोई भूल.
अब चूकि कोई न कोई राज होने कारण एक राजदार भी होता है जिसे आपसे ज्यादा आपके बारे में पता होता है I
हम अपनी छोटी बड़ी सारी बाते उसके साथ साझा करते है I लेकिन एक समय ऐसा भी आ जाता है जब दोनों के रास्ते अलग अलग हो जाते है I चाहे वो व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक कारणों से I ऐसे में हमारे मन में एक ही शंका उठती है की क्या वो भी उस राज को राज रख पायेगा जो सिर्फ और सिर्फ उसे ही पता है I अगर कही उसने किसी के सामने उसे व्यक्त कर दिया तो मेरी इज्जत भी जा सकती है, हमारी सारी छबि धूमिल हो सकती है I अब इस हालात में हम कुछ भी करने या न करने की स्थिति में रहते है I इसलिए जितना संभव हो सके किसी राजदार से तो दूर रहे , लेकिन अगर है तो कोशिश करे की उसके साथ एक दायरा बना कर रखे I
नहीं, मै तो यही जनता हूँ की हर इंसान से कोई न कोई भूल अवश्य हो जाती है, और कुछ न कुछ अनचाही घटनाये भी हो जाती है I आपको चाहिए की जितना संभव हो अपने राज अपने तक ही सीमित रखे I क्योकि उसके उजागर होने से आपकी इज्जत दावं पर भी लग सकती हैI वो आपकी कोई भूल भी हो सकती है I लेकिन समय के साथ हर बड़ी छोटी घटनाएं ढक जाती है I
अब हमें खुदको सबके सामने कैसे प्रस्तुत करना है ये सिर्फ आपके विचार पर निभर है
मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा की वो अपनी पत्नी को बेहद प्यार करता था I एक दिन बातो ही बातो में उसने वो सब बता दिए जो की उसकी नजर में महज एक भूल थी लेकिन उस घटना के बाद दोनों के बीच में तनाव उत्पन्न हो गया I मैं यह नहीं कहता की अपने जीवनसाथी से कोई बात छुपा कर रखो.मैं इतना जरूर कहना चाहूँगा की जिस बात को राज रखने में ही परिवार की भलाई हो उसे राज ही रहने दे तो जीवन आसान रहती है I शादी से पहले की जिन्दगी में दोनों के कुछ राज जरूर होते है अब उन बातो को आगे लाने का कोई औचित्य नहीं है I
कोशश करे की पुनः ऐसी कोई भूल न हो जाये जिससे एक दुसरे से नजर न मिला पाए . इस लिए बीती हुई बातो पर पर्दा डालने में ही भलाई है
राज और राजदार – एक हद तक सीमित रखे Read More »
प्यार कोई सस्ती चीज़ नहीं जो यूँ ही लोग बांटते रहे, और इतनी महंगी भी नहीं की किसी को मिल भी न सके I
प्यार एक पूजा है, और एक उचित समय तक पूजा करने के बाद ही प्यार का प्रसाद मिल सकता है I
अब प्रसाद देने वाले के ऊपर निर्भर करता है की वो आपको किस मात्रा में दे, अगर कम मिलता है तो भी हमें निराश नहीं होना चाहिए I कभी कभी हम प्रसाद को दोबारा मांगने की भी चेष्टा करते है, तो कभी मिल जाता है और ज्यादातर नहीं मिलता है I हमें इस बात से निराश नहीं होना चाहिए , बल्कि खुश होना चाहिए क्योकि किसी किसी के नसीब में तो इतना भी नहीं है I
अब आपकी लगन और निष्ठा पर निभर है की आपका प्यार कब तक स्थायी रहता है क्योकि प्यार पाने वालों की क़तार बहुत लम्बी है I जिन्दगी में सब कुछ आसानी से नहीं मिलता है, हमें लगातार कोशिश करते रहना चाहिए I
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प्यार एक प्रसाद है Read More »
इतने तो खुशकिस्मत नहीं जो किसी का प्यार मिल जाये।
पल भर का साथ ही काफी है जिंदगी गुजारने के लिए।।
वो जरा साथ क्या आये हम प्यार समझ बैठे।
उनकी मीठी यादों के हक़दार समझ बैठे।।
मेरे उम्र भर की हंसी,उनके मुस्कान से कम है
बेमतलब ही एक मतलबी को यार समझ बैठे।।
खुद को आईने में देखते ही, वो मुझको आइना दिखा गयी।
अपने औकात के मुताबिक, प्यार करना सिखा गयी।।
इतने तो खुशकिस्मत नहीं जो किसी का प्यार मिल जाये। Read More »
आज भरम टूट ही गया, दूर हो गई सारी गलतफहमी
जो चाहकर भी नहीं रोक सके उसके आंखों की नमी।।
जिस विश्वास को बनाने में तुम अपना सौ प्रतिशत लगा देते हो, हर वह संभव प्रयास करते हो जिससे आप दोनों के बीच की विश्वास की
डोर मजबूत होती जाए I तुम उसे यह जताने मे सक्षम हो जाओ की अब तुम्ही मात्र एक ऐसे व्यक्ति हो जिस पर व आँख बंद करके भी
भरोसा कर सकती है। और उसे ऐसा लगने भी लगा जो तुम चाहते हो तो सब कुछ अच्छा लगतहै और गाड़ी मानो पटरी पर चल
पड़ती है। एक दूसरे के सहारे कई सारे सपने बुनने लगते है, और हर छोटी बड़ी बाते साझा करते है। और समय का
पहिया तेजी से चल पड़ता है।
फिर अचानक किसी की बुरी नजर तुम्हारे इस पवित्र रिश्ते पर पड़ जाती है, और वह व्यक्ति इसे गलत ठहराने का हर
संभव प्रयास करता है, और कहीं न कहीं सफल भी हो जाता है। अब उसको तुम्हारे खिलाफ इतना भडका देता है,
तुम्हारी बुराई और उसके साथ सहानुभूति दिखाने का प्रपंच करता है, अब अगर उसके मन मे तुम्हारे प्रति
अविश्वास की भावना जगती है तो कहीं न कही ऐसा संभव है की कुछ तो शेष रह गया था जहाँ पर अभी भी
दरार थी, क्योकि छत अगर मजबूत हो तो लाख बारिश हो,पानी नही टपकता, लेकिन अगर एक सुई जितना भी
सुराख हो तो सब नष्ट हो जाता है।
अब चूकि वो तुमसे नाराज है, तुम्हे अविश्वास की नजरो से देखती है, साथ मे दुखी भी है क्योकि उसे किसी और
के द्वारा ठेस पहुँचा है, उसका दिल अंदर से रो रहा है……..
ऐसे मे अगर वो अपने दिल को बहलाने के लिए, अपने आंसू को रोकने के लिए, अपनी भावना को व्यक्त करने
के लिए किसी अतीत का सहारा लेती है, और उससे बात करके खुद को हल्का महसूस करती है तो जरा सोचो
फिर तुम कौन हो, क्या हुआ तुम्हारे विश्वास का, क्या उसके साथ तुम्हारा विश्वास अडिग रह पायेगा,
अब तुम्हारी भावनाओ का क्या? तुम्हारे उस प्यार, दोस्ती, इंसानियत या जो भी था वो तो चकनाचूर हो गया न।
मानता हूँ तुम बहुत अच्छे इंसान हो, दुसरो का ख्याल खुद से ज्यादा करते हो। सामने वाले को सदा खुश रखना
चाहते हो, लेकिन तुम हार गये, खुद से, क्योकि शुरुआत तो तुमने ही किया था…….
अब तुम्हारे पास एक ही रास्ता है……. जी हाँ, वही जो तुम सोच रहे हो………
परंतु तुम ऐसा नही करोगे, क्योकि तुम उसे दुख नही दे पाओगे, अब अगर हिम्मत है तो फिर से उसी नक्शेकदम
पर आगे बढ़ जाओ, अन्यथा पहले की तरह अपनी किस्मत भर भरोसा कर लो……
सामने वाले पर फर्क पड़े या न पड़े, परंतु तुम पर जरूर होगा।
अकेलानंद
विश्वास, अपनो और गैरों के सहारे का मापदंड Read More »
आज के इस दौर में निःस्वार्थ प्रेम अकल्पनीय हैं, अगर किसी के साथ या किसी भी व्यक्ति को निःस्वार्थ प्रेम मिलता है तो
लोग उसे शक औऱ तार्किक नजरों से देखते हैं कि कहीं न कही इसमे कोई मतलब या स्वार्थ जरूर छिपा है,
कहते है दौलत , शोहरत और इज्जत , परिश्रम और पुरूषार्थ से मिल जाते है, मगर सच्चा प्यार या सच्ची दोस्ती
सिर्फ और सिर्फ नसीब से मिलता है, और ये हर किसी का नसीब नही होता है।
अगर आपको नसीब से ऐसा प्यार या प्यार करने वाले, साथ निभाने वाले मिल जाते है तो अनायास ही उन पर
शक करके या ये सोचकर कि अमुक व्यकि का कोई न कोई स्वार्थ होगा, तो ऐसा करके आप खुद के नसीब को
निष्फल कर रहे हों।
क्योकि ऐसे निस्वार्थ प्रेम करने वाले कभी नही चाहेंगे कि कोई उनके चरित्र पर शक करे औऱ फिर वो बिना कुछ
कहे या बिना किसी तरह का हानि पहुचाये आपकी जिंदगी से दूर चले जाते है।
अब निर्णय आपको करना है , उसे अपनाना है या ठुकराना है……………..
किसी भी इंसान को अगर ” पैसा , प्यार, और पहचान ” उसकी क्षमता या उम्मीद से ज्यादा मिल जाये तो हो सकता है है की जाने या अनजाने में उससे छोटी या बड़ी गलती हो जाये , ऐसी स्थिति में उसका नुकसान हो सकता है।
इसलिए ऐसी स्थिति में संयम बरतने की आवश्यकता है।
पैसा , प्यार, और पहचान Read More »
रिश्ते हमारी मुट्ठी में बंद रेत की तरह होते है , अगर उन्हें ढीला किया जायेगा तो एक साथ नीचे गिर जाते है और अगर उन्हें जोर से पकड़ा जायेगा तो उंगलियो के बीच खाली जगह से निकलने की कोशिश करते है। अगर उनमे प्रेम और विश्वास की जल की बूंदे डालते रहे तो ये मजबूत हो जाते है।
यही हमारे बीच रिश्ते में भी होते है हमें सामंजस्य बिठा के रखना चाहिये। किस रिश्ते में कितने प्यार या मनुहार की जरुरत है इसका भी ध्यान रखना चाहिए। न तो बेवजह किसी पर ज्यादा ही प्यार जताना चाहिए क्योकि हो सकता है उस व्यक्ति को ये सब मात्र एक दिखावा लगे।
और जिसे जयादा प्यार की जरुरत हो उसे मात्र हम एक औपचारिकता निभा रहे हो।
इसके लिए आपको अपने विवेक से काम लेना चाहिए। जिसे आप प्यार करते है उसे विश्वास दिलाये की आप हर परस्थिति में उसके साथ है।
और जो आपको प्यार करता है उसकी भावना की क़द्र करनी चाहिए।
रिश्ते मुट्ठी में बंद रेत की तरह है Read More »
पात्र – पागल, पति – पत्नी और बच्चा
२-४ बच्चे ,दुकानदार और भीड़
दृश्य -१
एक व्यक्ति फटे पुराने कपडे पहने हुए, बिखरे हुए बाल, शरीर पर कीचड लगा हुआ, मनो कितने दिनों से नहाया नहीं हुआ था, सड़क पर चले जा रहा है। किनारे से छोटे छोटे बच्चे पागल पागल कहते हुए , कोई उस पर कंकड़ मार रहा है तो कोई दूर से ही चिढ़ा रहा है।
और वो व्यक्ति अपने ही धुन में चले जा रहा है बिना किसी का जवाब दिए हुए
एक दुकान के पास एक महिला अपने छोटे बच्चे के साथ खड़ी है, बच्चा हाथ में एक ब्रेड का टुकड़ा लेकर खा रहा है।
पागल – इशारे से ही उस औरत से कुछ खाने के लिए बोलता है /
औरत – चल दूर हट यहाँ से , पागल कहीं का।
पागल- (बच्चे के तरफ देखते हुए- अपने पेट पर हाथ फिरता हुआ ) मुझे भूख लगी है , कुछ खिला दो
(छोटा बच्चा उस आदमी की तरफ देखते हुए ब्रेड का टुकड़ा बढ़ा रहा होता है की वो औरत बच्चे को खींच कर दूसरी तरफ ले जाती है, और वो ब्रेड का टुकड़ा वही जमीन पर गिर जाता है )
औरत मन में गालिया बकते हुए वहां से चली जाती है , दुकान दार उस पागल की तरफ डंडा लेकर दौड़ता है, चल भाग यंहा से।
पागल उस गिरे हुए ब्रेड के टुकड़े को उठा कर खाने लगता है और धीरे धीरे वंहा से चला जाता है।
दृश्य –२
अगले दिन वही पागल व्यक्ति एक कॉलोनी की तरफ पहुँच जाता है तो देखता है की वही बच्चा बाहर हाथ में बिस्कुट लेकर खा रहा होता है और बगल में उसके पापा बैठे हुए है।
बच्चे को देखकर पागल इशारा करता है , बच्चा धीरे धीरे उसके पास जाने लगता है।
बच्चे का पिता उसे जाते हुए देखता है तो रोकता है
पागल- साहब कुछ खाने को दे दो, बहुत भूख लगी है।
पिता- ठीक है दूर रहो , मै कुछ मंगाता हूँ। (और घर के दरवाजे पर जाकर आवाज लगाता है )
सुनती हो , जरा कुछ खाने के लिए ले आना, बेचारा भूखा है।
इतने में वो बच्चा बिस्कुट का पैकेट उसे दे देता है।
पिता अपने बच्चे के इस हरकत को देखकर मुस्करा देता है
इतने में एक औरत हाथ में रोटी लेकर बाहर आती है और उस पागल को देखकर भड़क उठती है।
औरत – तो इस पागल के लिए आप रोटियां मंगा रहे थे।
पिता- तो क्या हुआ आखिर वो भी तो इंसान ही है, दो रोटी खिला दोगी तो तुम्हारा कुछ बिगड़ नहीं जायेगा।
औरत- हां हां क्यों नहीं सरे पागलो को यही बुला लो, धर्मशाला खोल रखा है न, और उस पागल को वंहा से भगा देती है ,
पागल बिस्कुट का टुकड़ा खाते हुए उस बच्चे को देखता है और वंहा से चला जाता है।
दृश्य –३
शाम का समय है , पति , पत्नी और बच्चा गाड़ी में बैठकर बाजार जाते है।
बाजार पहुँच कर पति, पत्नी और बच्चे को गाड़ी से उतार देता है।
पति – यहीं पर रुको मै गाड़ी को पार्किंग में लगाकर आता हूँ।
औरत अपने बच्चे के साथ उतर जाती है , पति गाड़ी लेकर चला जाता है।
दोनों माँ और बच्चे सड़क के किनारे ही खड़े है , इतने में औरत के फ़ोन की घंटी बजती है और वो फोन पर किसी से बात करने लगती है ,
बातो बातो में वो बच्चे का हाथ छोड़ देती है और इधर उधर टहलते हुए बात करने लगती है।
इतने में बच्चा सड़क पर पहुंच जाता है , अचानक एक जोर से टकराने की आवाज आती है , तो उस औरत का ध्यान उधर सड़क की तरफ जाता है , लोगो की भीड़ जमा हो जाती है ,
उधर तब तक पति भी वहां पहुंच जाता है और पूछता है अपना बच्चा कहाँ है।
दोनों घबरा कर उस भीड़ के पास पहुंच जाते है तो देखते है की उनका बेटा घबराया हुआ रो रहा है , और बगल में एक व्यक्ति की लाश पड़ी हुई है , जब उसके शरीर को सीधा करते है तो ये वही पागल होता है।
फ़्लैश बैक
(जब बच्चा सड़क पर जा रहा होता है तो दूर वही पागल खड़ा होता है, गाड़ी को उसके पास जाते देखकर उस बच्चे को बचाने की कोशिश करता है लेकिन खुद ही उसकी चपेट में आ जाता है। )
अंतिम दृस्य
औरत को अपने किये हुए बर्ताव पर बहुत पछतावा होता है, और रोने लगती है ,
औरत- मैंने बहुत बुरा बर्ताव किया इसके साथ और आज इसने मेरे बच्चे की जान बचाने के लिए अपनी जान गावं दी।
पति- बिलकुल सही कहा , हमें किसी भी व्यक्ति के साथ दुर्व्यहार नहीं करना चाहिए आखिर वो भी तो इंसान ही होते है, पता नहीं अपनी किस गलती और हालात के कारण उनकी ऐसी स्थिति हो जाती है , हमें चाहिए की ऐसे लोगो के साथ सहानुभूति रखे और कभी किसी को कष्ट न पहुचांए।
दृश्य -१
एक छोटा सा घर है, माँ चूल्हे पर खाना बना रही है, एक छोटा सा बच्चा जमीन पर बैठकर अपना होमवर्क पूरा कर रहा है
तभी एक युवक प्रवेश करता है
पिता- (शराब के नशे में झूमते हुए)- ऐ सोनू जल्दी से पानी लेकर दे
सोनू- पापा मै होमवर्क पूरा करके देता हूँ अभी
पिता- बड़ा आया कलक्टर बनने, जल्दी ला मेरा गला सूख रहा है
पत्नी- क्यों चिल्ला रहे हो उसे अपना होमवर्क पूरा करने दो, उसका इम्तिहान आने वाला है
पति- पढ़ लिख कर क्या कर लेगा, करनी तो मजदूरी ही है, आज तक पूरे खान दान में कोई भी पढ़लिखकर एक चपरासी तक तो नहीं बना I
रसोई से पत्नी पानी का गिलास लेकर आती है, पानी का गिलास थमाते हुए
पत्नी (सुनीता )- लीजिये पानी, बच्चे पर क्यों गुस्सा कर रहे है उसे पढ़ने दीजिये, , प्रिंसिपल कह रहे थे की आपका सोनू पढ़ने में बहुत तेज है उसे खूब पढ़ाना
पति- (पानी का गिलास दूर फेकते हुए) इसका फीस कौन तेरा बाप भरेगा, मेरे पास इतने फालतू पैसे नही है
और पैर पटकते हुए बाहर निकल जाता है
सोनू सहम जाता है और सिसकने लगता है
माँ अपने बेटे को गले लगते हुए – बेटा तू रोता काहे को है , मै तुझे पढ़ाऊंगी, जब तक तू पढ़ना चाहे।
सोनू- मगर मम्मी आप फीस के पैसे कहाँ से दोगी।
सुनीता- तू चिंता मत कर बेटा , मै मजदूरी करुंगी , घरो में चौका बर्तन करुँगी, लेकिन तुझे जरूर पढ़ाऊंगी,
तू सिर्फ अपने पढाई पर ध्यान देना।
दृश्य -२
सुनीता अलमारी में कपडे तह करके रख रही होती है और उसे ततः में कुछ पैसे रखती है बच्चे के फीस के लिए
इतने में पीछे से पति आ जाता है और वो पैसे को देख लेता है
पति- मुझे कुछ पैसे चाहिए बहुत जरूरी काम है
सुनीता- क्या जरूरी काम आ गया अब? ये पैसे सोनू के फीस के लिए है
पति -पैसे छीनते हुए , बड़ी आई फीस जमा करने वाली क्या करेगा पढ़कर । सुबह से जी मचल रहा है, बड़े जोर की तलब लगी है
सुनीता- हाँ हाँ जी तो घबराएगा ही , सुबह से पीने को नहीं मिली न, दो दिन से काम पर भी नहीं जा रहे हो, इतना खर्चा है कैसे गुजारा होगा।
पति- (तंज कसत्ते हुए ) अरे अब तो तू कमा रही है न , अब पैसे की कैसी कमी, अपने लाला को बोलकर कभी भी हजार दो हजार तो ला ही सकती है न
सुनीता- कैसे मर्द हो आप, आपको तो समझाना भी सर को पत्थर पर मरने जैसा है
(पति फिर भी पैसे लेकर चला ही जाता है , सुनीता मायूस होकर घर के कोने बैठ जाती है और भाग्य को कोस रही होती है , पता नहीं कब इन्हे अक्ल आएगी )
इतने में सोनू बस्ता लेकर घर में प्रवेश करता है
सोनू- मम्मी मम्मी कहाँ हो ? बस्ता एक किनारे रखता है
सुनीता- ( आंसू पोछते हुए ) आ गया मेरा बेटा, चल हाथ मुँह धो ले मै तेरे लिए खाना निकाल देती हूँ,
(बेटा खाना खाते हुए)
सोनू- मम्मी , आज प्रिंसिपल सर कह रहे थे अगर कल तक फीस नहीं जमा किया तो मै इम्तिहान में नहीं बैठ पाउँगा,
सारे बच्चो की फीस जमा हो गयी है।
सुनीता- तू फिक्र मत कर बेटा तेरी फीस का बंदोबस्त हो जायेगा, मै कल फीस जरूर जमा करा दूंगी।
दृश्य -३
(रात का दृश्य है, तीनो सो रहे होते है , पति बक बक कर रहा होता है)
पति- सुनती हो मैंने आज चौराहे पर चाय वाले से बात कर ली है , एक दिन के १५० रूपये देने के लिए बोल रहा था, कल से सोनू चाय की दुकान पर जायेगा, और वैसे भी तो पढ़लिखकर मजदूरी ही तो करनी है , फिर पैसे क्यों बर्बाद करना I
(पत्नी कोई जवाब नहीं देती )
(पति के सोने के बाद , सुनीता एक संदूक खोलती है उसमे उसकी माँ के दिए हुए कंगन होते है, और उसे अपने पल्लू में बांधकर सो जाती है
सोनू बगल में सो रहा होता है, )
सुनीता- (सोनू के सिर पर हाथ फिराते हुए) – मेरा बेटा जरूर पढ़ेगा चाहे उसके लिए मुझे कितनी भी तकलीफ उठानी पड़े।
दृश्य -४
पति अभी तक सो रहा होता है
माँ- बेटा मै आज तेरा फीस जमा कर दूंगी , तू बस मन लगाकर अपनी परीक्षा की तैयारी कर
सोनू- ठीक है मम्मी।
दृश्य -५
आज रिजल्ट का दिन है
सोनू- माँ आज मेरा रिजल्ट आएगा, सर ने बोला है अपने मम्मी पापा को लेकर आना , आप दोनों को भी चलना है,लेकिन पापा तो अभी तक सो ही रहे है।
सुनीता- सुनते हो जी आज अपने बेटे का रिजल्ट आने वाला है, आज तो साथ में चलो, सारे बच्चो के माँ बाप आये होंगे
पति- जाओ अपने लाटसाहब को लेकर , बहुत बड़ा तीर मारा होगा इसने, मै नहीं जाऊंगा मेरे पास समय नहीं है I
माँ बेटा दोनों स्कूल के लिए निकल जाते है ,
पिता कुछ देर बाद घर से बाहर निकलता है , सामने से पडोसी अपने बच्चे को लेकर स्कूल जाते हुए पूछता है भाई आप स्कूल नहीं जा रहे हो क्या ? आज बच्चो का रिजल्ट आने वाला है , आप भी आ जाना।
पिता कुछ सोचता है और बेमन से स्कूल के लिए निकल देता है
दृश्य -६
स्कूल का दृश्य
सारे बच्चे अपने माता पिता के साथ बैठे हुए है, स्कूल का सारा स्टाफ बैठा हुआ है, रिजल्ट की घोषणा की जाती है और सोनू पूरे स्कूल में प्रथम श्रेणी (टॉपर) आता है , सुनीता की आँखों से आंसुओ की धारा बह रही होती है , उधर सबसे पीछे पिता एक कोने में यह दृश्य देखकर भावुक हो उठता है।
प्रिंसिपल- बेटा आज तुमने अपना और अपने माता पिता का नाम रोशन किया है, पूरे स्कूल को तुम्हारे ऊपर गर्व है , तुम्हारी इस छमता को देखते हुए प्रशाशन ने तुमको आगे की पढाई के लिए स्कोलरशिप (छात्रवृति) देने का फैसला लिया है
पिता धीरे धीरे अपने बच्चे के पास आता है और हाथ जोड़कर बेटे से माफ़ी मांगता है
पिता- बेटा मुझे माफ़ कर दे मैंने पढाई की कीमत नहीं समझी, सुनीता तुम भी मुझे माफ़ कर दो मैंने तुम पर बहुत जुल्म किये है,
लेकिन अब मेरी आँख खुल गयी है, मै वादा करता हूँ आज के बाद कभी शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा , और दिन रात मेहनत करके अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलाऊंगा
प्रिंसिपल- बहुत अच्छी बात है आज आपकी आँखे खुल गयी, सोनू जैसे न जाने कितने बच्चे है जो अपने माता पिता के जागरूक न होने के कारण पढ़ लिख नहीं पाते और बाल मजदूर बनकर रह जाते है,
आज से मै अपने स्कूल प्रशाशन को यह निवेदन करूँगा की ऐसे बच्चे जो पढ़ना चाहते है परन्तु किसी कारण से स्कूल की फीस नहीं दे पाने की वजह से पढाई नहीं कर पाते उन सभी बच्चो को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।
और साथ में नशे को बंद करने की भी मुहीम चलायी जाएगी ताकि कोई दूसरा अपने मेहनत के पैसे को यूँ ही बर्बाद न करे और अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से कर सके।
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