पैसा , प्यार, और पहचान

पैसा , प्यार, और पहचान "

किसी भी इंसान को अगर ” पैसा , प्यार, और पहचान ” उसकी क्षमता या उम्मीद से ज्यादा मिल जाये तो हो सकता है है की जाने या अनजाने में उससे छोटी या बड़ी गलती हो जाये , ऐसी स्थिति में उसका नुकसान हो सकता है।
इसलिए ऐसी स्थिति में संयम बरतने की आवश्यकता है।

पैसा , प्यार, और पहचान Read More »

रिश्ते मुट्ठी में बंद रेत की तरह है

 

रिश्ते हमारी मुट्ठी में बंद रेत की तरह होते है , अगर उन्हें ढीला किया जायेगा तो एक साथ नीचे गिर जाते है और अगर उन्हें जोर से पकड़ा जायेगा तो उंगलियो के बीच खाली जगह से निकलने की कोशिश करते है। अगर उनमे प्रेम और विश्वास की जल की बूंदे डालते रहे तो ये मजबूत हो जाते है।

यही हमारे बीच रिश्ते में भी होते है हमें सामंजस्य बिठा के रखना चाहिये। किस रिश्ते में कितने प्यार या मनुहार की जरुरत है इसका भी ध्यान रखना चाहिए। न तो बेवजह किसी पर ज्यादा ही प्यार जताना चाहिए क्योकि हो सकता है उस व्यक्ति को ये सब मात्र एक दिखावा लगे।
और जिसे जयादा प्यार की जरुरत हो उसे मात्र हम एक औपचारिकता निभा रहे हो।
इसके लिए आपको अपने विवेक से काम लेना चाहिए। जिसे आप प्यार करते है उसे विश्वास दिलाये की आप हर परस्थिति में उसके साथ है।
और जो आपको प्यार करता है उसकी भावना की क़द्र करनी चाहिए।

इसे भी पढ़े -रिश्ते तोड़ने से अच्छा है दूरिया बना ले

रिश्ते मुट्ठी में बंद रेत की तरह है Read More »

पागल

 

पात्र – पागल, पति – पत्नी और बच्चा

२-४ बच्चे ,दुकानदार और भीड़ 

दृश्य -१

एक व्यक्ति फटे पुराने कपडे पहने हुए, बिखरे हुए बाल, शरीर पर कीचड लगा हुआ, मनो कितने दिनों से नहाया नहीं हुआ था, सड़क पर चले जा रहा है।  किनारे से छोटे छोटे बच्चे पागल पागल कहते हुए , कोई उस पर कंकड़ मार रहा है तो कोई दूर से ही चिढ़ा रहा है।

और वो व्यक्ति अपने ही धुन में चले जा रहा है बिना किसी का जवाब दिए हुए

एक दुकान के पास  एक महिला अपने छोटे बच्चे के साथ खड़ी है, बच्चा हाथ में एक ब्रेड का टुकड़ा लेकर खा रहा है।

पागल – इशारे से ही उस औरत से कुछ खाने के लिए बोलता है /

औरत – चल दूर हट यहाँ से , पागल कहीं का। 

पागल- (बच्चे के तरफ देखते हुए- अपने पेट पर हाथ फिरता हुआ ) मुझे भूख लगी है , कुछ खिला दो

(छोटा बच्चा उस आदमी की तरफ देखते हुए ब्रेड का टुकड़ा बढ़ा रहा होता है की वो औरत बच्चे को खींच कर दूसरी तरफ ले जाती है, और वो ब्रेड का टुकड़ा वही जमीन पर गिर जाता है )

औरत मन में गालिया बकते हुए वहां से चली जाती है , दुकान दार उस पागल की तरफ डंडा लेकर दौड़ता है, चल  भाग यंहा से।

पागल उस गिरे हुए ब्रेड के टुकड़े को उठा कर खाने लगता है और धीरे धीरे वंहा से चला जाता है।

दृश्य –

अगले दिन वही पागल व्यक्ति एक कॉलोनी की तरफ पहुँच जाता है तो देखता है की वही बच्चा बाहर हाथ में बिस्कुट लेकर खा रहा होता है और बगल में उसके पापा बैठे हुए है।

बच्चे को देखकर पागल इशारा करता है , बच्चा धीरे धीरे उसके पास जाने लगता है।

बच्चे का पिता उसे जाते हुए देखता है तो रोकता है

पागल- साहब कुछ खाने को दे दो, बहुत भूख लगी है।

पिता- ठीक है दूर रहो , मै कुछ मंगाता हूँ।  (और घर के दरवाजे पर जाकर आवाज लगाता है )          

सुनती हो , जरा कुछ खाने के लिए ले आना, बेचारा भूखा है।

इतने में वो बच्चा बिस्कुट का पैकेट उसे दे देता है।

पिता अपने बच्चे के इस हरकत को देखकर मुस्करा देता है

इतने में एक औरत हाथ में रोटी लेकर बाहर आती है और उस पागल को देखकर भड़क उठती है।

औरत – तो इस पागल के लिए आप रोटियां मंगा रहे थे।

पिता- तो क्या हुआ आखिर वो भी तो इंसान ही है, दो रोटी खिला दोगी तो तुम्हारा कुछ बिगड़ नहीं जायेगा।

औरत- हां हां क्यों नहीं सरे पागलो को यही बुला लो, धर्मशाला खोल रखा है न, और उस पागल को वंहा से भगा देती है ,

पागल बिस्कुट का टुकड़ा खाते हुए उस बच्चे को देखता है और वंहा से चला जाता है।

दृश्य –

शाम का समय है , पति , पत्नी और बच्चा गाड़ी में बैठकर बाजार जाते है।

बाजार पहुँच कर पति,  पत्नी और बच्चे को गाड़ी से उतार देता  है।

पति – यहीं पर रुको मै गाड़ी को पार्किंग में लगाकर आता हूँ।

औरत अपने बच्चे के साथ उतर जाती है , पति गाड़ी लेकर चला जाता है।

दोनों माँ और बच्चे सड़क के किनारे ही खड़े है , इतने में औरत के फ़ोन की घंटी बजती है और वो फोन पर किसी से बात करने लगती है ,

बातो बातो में वो बच्चे का हाथ छोड़ देती है और इधर उधर टहलते हुए बात करने लगती है।

इतने में बच्चा सड़क पर पहुंच जाता है , अचानक एक जोर से टकराने की आवाज आती है , तो उस औरत का ध्यान उधर सड़क की तरफ जाता है , लोगो की भीड़ जमा हो जाती है ,

उधर तब तक पति भी वहां पहुंच जाता है और पूछता है अपना बच्चा कहाँ है।

दोनों घबरा कर उस भीड़ के पास पहुंच जाते है तो देखते है की उनका बेटा घबराया हुआ रो रहा है , और बगल में एक व्यक्ति की लाश पड़ी हुई है , जब उसके शरीर को सीधा करते है तो ये वही पागल होता है।

फ़्लैश बैक

(जब बच्चा सड़क पर जा रहा होता है तो दूर वही पागल खड़ा होता है, गाड़ी को उसके पास जाते देखकर उस बच्चे को बचाने की कोशिश करता है लेकिन खुद ही उसकी चपेट में आ जाता है। )

अंतिम दृस्य

औरत को अपने किये हुए बर्ताव पर बहुत पछतावा होता है, और रोने लगती है ,

औरत- मैंने बहुत बुरा बर्ताव किया इसके साथ और आज इसने मेरे बच्चे की जान बचाने के लिए अपनी जान गावं दी।

पति- बिलकुल सही कहा , हमें किसी भी व्यक्ति के साथ दुर्व्यहार नहीं करना चाहिए आखिर वो भी तो इंसान ही होते है, पता नहीं अपनी किस गलती और हालात के कारण उनकी ऐसी स्थिति हो जाती है , हमें चाहिए की ऐसे लोगो के साथ सहानुभूति रखे और कभी किसी को कष्ट न पहुचांए। 

पागल Read More »

शिक्षा हर बच्चे का हक़ है

दृश्य -१

एक छोटा सा घर है,  माँ चूल्हे पर खाना बना रही है, एक छोटा सा बच्चा जमीन पर बैठकर अपना होमवर्क पूरा कर रहा है

तभी एक युवक प्रवेश करता है

पिता- (शराब के नशे में झूमते हुए)- ऐ सोनू जल्दी से पानी लेकर दे

सोनू- पापा मै होमवर्क पूरा करके देता हूँ अभी

पिता- बड़ा आया कलक्टर बनने, जल्दी ला मेरा गला सूख रहा है

पत्नी- क्यों चिल्ला रहे हो उसे अपना होमवर्क पूरा करने दो, उसका इम्तिहान आने वाला है

पति- पढ़ लिख कर क्या कर लेगा, करनी तो मजदूरी ही है, आज तक पूरे खान दान में कोई भी पढ़लिखकर एक चपरासी तक तो नहीं बना I

रसोई से पत्नी पानी का गिलास लेकर आती है, पानी का गिलास थमाते हुए

पत्नी (सुनीता )- लीजिये पानी, बच्चे पर क्यों गुस्सा कर रहे है उसे पढ़ने दीजिये, , प्रिंसिपल कह रहे थे की आपका सोनू पढ़ने में बहुत तेज है उसे खूब पढ़ाना

पति- (पानी का गिलास दूर फेकते हुए) इसका फीस कौन तेरा बाप भरेगा, मेरे पास इतने फालतू पैसे नही है

और पैर पटकते हुए बाहर निकल जाता है

सोनू सहम जाता है और सिसकने लगता है

माँ अपने बेटे को गले लगते हुए – बेटा तू रोता काहे को है , मै तुझे पढ़ाऊंगी, जब तक तू पढ़ना चाहे।

सोनू- मगर मम्मी आप फीस के पैसे कहाँ से दोगी। 

सुनीता-   तू चिंता मत कर बेटा , मै मजदूरी करुंगी , घरो में चौका बर्तन करुँगी, लेकिन तुझे जरूर पढ़ाऊंगी,

तू सिर्फ अपने पढाई पर ध्यान देना।

दृश्य -२

सुनीता अलमारी में कपडे तह करके रख रही होती है और उसे ततः में कुछ पैसे रखती है बच्चे के फीस के लिए

इतने में पीछे से पति आ जाता है और वो पैसे को देख लेता है

पति- मुझे कुछ पैसे चाहिए बहुत जरूरी काम  है

सुनीता- क्या जरूरी काम आ गया अब? ये पैसे सोनू के फीस के लिए है

पति -पैसे छीनते हुए , बड़ी आई फीस जमा करने वाली क्या करेगा पढ़कर ।  सुबह से जी मचल रहा है, बड़े जोर की तलब लगी है

सुनीता- हाँ हाँ जी तो घबराएगा ही , सुबह से पीने को नहीं मिली न, दो दिन से काम पर भी नहीं जा रहे हो, इतना खर्चा है कैसे गुजारा होगा।

पति- (तंज कसत्ते हुए ) अरे अब तो तू कमा रही है न , अब पैसे की कैसी कमी,  अपने लाला को बोलकर कभी भी  हजार दो हजार तो ला ही सकती है न

सुनीता- कैसे मर्द हो आप, आपको तो समझाना भी सर को पत्थर पर मरने जैसा है

(पति फिर भी पैसे लेकर चला ही जाता है , सुनीता मायूस होकर घर के कोने बैठ जाती है और भाग्य को कोस रही होती है , पता नहीं कब  इन्हे अक्ल आएगी )

इतने में सोनू बस्ता लेकर घर में प्रवेश करता है

सोनू- मम्मी मम्मी कहाँ हो ? बस्ता एक किनारे रखता है

सुनीता- ( आंसू पोछते हुए ) आ गया मेरा बेटा, चल हाथ मुँह धो ले मै तेरे लिए खाना निकाल देती हूँ,

(बेटा खाना खाते हुए)

सोनू- मम्मी , आज प्रिंसिपल सर कह रहे थे अगर कल तक फीस नहीं जमा किया तो मै इम्तिहान में नहीं बैठ पाउँगा,

सारे बच्चो की फीस जमा हो गयी है।

सुनीता- तू फिक्र मत कर बेटा तेरी फीस का बंदोबस्त हो जायेगा, मै कल फीस जरूर जमा करा दूंगी।

दृश्य -३

(रात का दृश्य है, तीनो सो रहे होते है , पति बक बक कर रहा होता है)

पति- सुनती हो मैंने आज चौराहे पर चाय वाले से बात कर ली है , एक दिन के १५० रूपये देने के लिए बोल रहा था, कल से सोनू चाय की दुकान पर जायेगा, और वैसे भी तो पढ़लिखकर मजदूरी ही तो करनी है , फिर पैसे क्यों बर्बाद करना I

(पत्नी कोई जवाब नहीं देती )

(पति के सोने के बाद , सुनीता एक संदूक खोलती है उसमे उसकी माँ के दिए हुए कंगन होते है, और उसे अपने पल्लू में बांधकर सो जाती है

सोनू बगल में सो रहा होता है,  )

सुनीता- (सोनू  के सिर पर हाथ फिराते हुए) – मेरा बेटा जरूर पढ़ेगा चाहे उसके लिए मुझे कितनी भी तकलीफ उठानी पड़े।

दृश्य -४

पति अभी तक सो रहा होता है

माँ- बेटा मै आज तेरा फीस जमा कर दूंगी , तू बस मन लगाकर अपनी परीक्षा की तैयारी कर

सोनू- ठीक है मम्मी।

दृश्य -५

आज रिजल्ट का दिन है

सोनू- माँ आज मेरा रिजल्ट आएगा, सर ने बोला है अपने मम्मी पापा को लेकर आना , आप दोनों को भी चलना है,लेकिन पापा तो अभी तक सो ही रहे है।

सुनीता- सुनते हो जी आज अपने बेटे का रिजल्ट आने वाला है, आज तो साथ में चलो, सारे बच्चो के माँ बाप आये होंगे

पति- जाओ अपने लाटसाहब को लेकर , बहुत बड़ा तीर मारा होगा इसने, मै नहीं जाऊंगा मेरे पास समय नहीं है I

माँ बेटा दोनों स्कूल के लिए निकल जाते है ,

 पिता कुछ देर बाद घर से बाहर निकलता है , सामने से पडोसी अपने बच्चे को लेकर स्कूल जाते हुए पूछता है भाई आप स्कूल नहीं जा रहे हो क्या ? आज बच्चो का रिजल्ट आने वाला है , आप भी आ जाना। 

पिता कुछ सोचता है और बेमन से स्कूल के लिए निकल देता है

दृश्य -६

स्कूल का दृश्य

सारे बच्चे अपने माता पिता के साथ बैठे हुए है, स्कूल का सारा स्टाफ बैठा हुआ है, रिजल्ट की घोषणा की जाती है और सोनू पूरे स्कूल में प्रथम श्रेणी (टॉपर) आता है , सुनीता की आँखों से आंसुओ की धारा बह रही होती है , उधर सबसे पीछे पिता एक कोने में यह दृश्य देखकर भावुक हो उठता है।

प्रिंसिपल- बेटा आज तुमने अपना और अपने माता पिता का नाम रोशन किया है, पूरे स्कूल को तुम्हारे ऊपर गर्व है , तुम्हारी इस छमता को देखते हुए प्रशाशन ने तुमको आगे की पढाई के लिए स्कोलरशिप (छात्रवृति) देने का फैसला लिया है

पिता धीरे धीरे अपने बच्चे के पास आता है और हाथ जोड़कर बेटे से माफ़ी मांगता है

पिता- बेटा मुझे माफ़ कर दे मैंने पढाई की कीमत नहीं समझी, सुनीता तुम भी मुझे माफ़ कर दो मैंने तुम पर बहुत जुल्म किये है,

लेकिन अब मेरी आँख खुल गयी है, मै वादा करता हूँ आज के बाद कभी शराब को हाथ नहीं लगाऊंगा , और दिन रात मेहनत करके अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलाऊंगा

प्रिंसिपल- बहुत अच्छी बात है आज आपकी आँखे खुल गयी, सोनू जैसे न जाने कितने बच्चे है जो अपने माता पिता के जागरूक न होने के कारण पढ़ लिख नहीं पाते और बाल मजदूर बनकर रह जाते है,

आज से मै अपने स्कूल प्रशाशन को यह निवेदन करूँगा की ऐसे बच्चे जो पढ़ना चाहते है परन्तु किसी कारण से स्कूल की फीस नहीं दे पाने की वजह से पढाई नहीं कर पाते उन सभी बच्चो को मुफ्त शिक्षा दी जाएगी।

और साथ में नशे को बंद करने की भी मुहीम चलायी जाएगी ताकि कोई दूसरा अपने मेहनत के पैसे को यूँ ही बर्बाद न करे और अपने परिवार का पालन पोषण अच्छे से कर सके। 

इसे भी पढ़े – एक सौतेली माँ

शिक्षा हर बच्चे का हक़ है Read More »

TUNE MUJHE BULAYA MERI WALIYE I तूने मुझे बुलाया मेरी वालिये

TUNE MUJHE BULAYA MERI WALIYE I तूने मुझे बुलाया मेरी वालिये

TUNE MUJHE BULAYA MERI WALIYE I तूने मुझे बुलाया मेरी वालिये Read More »

अपने अंदर के भावना को दबाये नहीं, समय पर जता देना चाहिए

अगर आप को किसी भी व्यक्ति या जीव पर प्रेम अथवा नकारत्मक भाव आ रहे है तो कोशिश करे की उसी समय प्रदर्शित कर दे या उसके साथ साझा कर दे। मान लो आपका कोई मित्र, सहकर्मी या रिश्तेदार आपको बार बार परेशान कर रहा है या उसकी कुछ आदते या बाते आपको अच्छी नहीं लगती तो उसे अनदेखा कर देना चाहिए एक या दो बार के लिए, लेकिन अगर यह प्रक्रिया निरंतर आपके साथ हो रही है तो आपको उससे दूरिया बना लेना चाहिये लेकिन अगर स्थिति ऐसी हो की आप उससे दूर यही हो सकते जैसा की वो आपका सहकर्मी है या आपसे ऊँचे पद पर है तो एक बार उसे समझा देना चाहिए की आपको ये बर्ताव पसंद नहीं है।


अगर अपने समय रहते ऐसा नहीं किया तो आपके अंदर जो उस अमुक व्यक्ति के लिए ईर्ष्या या क्रोध की भावना पल रही है किसी दिन एक ज्वालामुखी की तरह फट सकता है और उसके लिए किसी बड़े कारण की भी जरूरत नहीं होगी , और इतने दिनों तक जैसा की आप सोच रहे थे की आपके रिश्ते में कोई तनाव न हो उस समय आप दोनों के पास कोई विकल्प ही नहीं रह जायेगा।
और काफी दिनों की नजदीकियां हमेशा हमेशा के लिए दूरियों में बदल जाएगी।

अपने अंदर के भावना को दबाये नहीं, समय पर जता देना चाहिए Read More »

अपनों की निन्दा और तारीफ

अपनो द्वारा किये गए निरन्तर प्रशंसा से आपकी ख्याति दूर-दूर तक फैले ऐसा शायद ही हो,

परन्तु अपनो द्वारा किया गया निंदा का एक शब्द भी आपको चारो ओर बदनाम करने के लिए काफी है।

अकेलानंद

अपनों की निन्दा और तारीफ Read More »

रिश्ते तोड़ने से अच्छा है दूरिया बना ले-

अगर एक इंसान की वजह से परिवार में कलह और अशांति फ़ैल रही हो तो उसे अलग कर देना चाहिए। ऐसा भी हो सकता है वह अकेला व्यक्ति अपनी जगह सही हो या ऐसा भी तो हो सकता है की सिर्फ वही सही ह। परन्तु बाकी लोगो की मानसिकता उसके खिलाफ है इस स्थिति में उस व्यक्ति को स्वयं ही उनसे दूर हो जाना चाहिए।

अगर आप अपने रिश्ते को बरक़रार रखना चाहते है तो या कोई बड़ी बात नहीं है, अगर आपने दुरी बना ली तो बाद में नजदीकियां हो सकती है, लेकिन अगर अपने रिश्ते तोड़ने की कोशिश की तो आप उसे फिर जोड़ नहीं सकते।
होता यूँ है की बाकि परिवार के लोग जिनकी मानसिकता एक जैसी है अगर उनके बीच में किसी भी तरह का मनमुटाव या वाद विवाद होता है तो कुछ दिन बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है ,
परन्तु यदि ऐसा आपके साथ होता है तो सभी लोगो को कुछ ज्यादा ही ठेस पहुँचता है क्योकि आपसे ऐसी उम्मीद नहीं होती, भले ही आपने सही सुझाव दिया हो या सही आवाज उठाई हो, इस स्थिति में सब आपके खिलाफ हो जाते है।

अतः आपको अपने मानसिक स्थिति को बिलकुल ही सामान्य अवस्था में रखकर निर्णय लेना चाहिए।

इसे भी पढ़े – अनचाहे रिश्तो में कोई स्थिरता नहीं होती

रिश्ते तोड़ने से अच्छा है दूरिया बना ले- Read More »

प्रश्न चिन्ह

?

प्रश्न चिन्ह, एक चिन्ह ही नहीं अपने आप मे एक शब्द, वाक्य तो क्या पूरी किताब हैं। लोग इसे प्रयोग करने से नहीँ हिचकिचाते।

परंतु जिन किसी पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाता है, तो सारी जिंदगी उसे  जिंदगी उस प्रश्न चिह्न का समाधान ढूढ़ने में लग जाता है।  किसी के ऊपर भी सवाल उठाने से पहले एक बार सोच विचार अवश्य कर ले। 

क्या अमुक व्यक्ति पर सवाल उठाने से आपकी समस्या का समाधान हो जायेगा।  अगर ऐसा मुमकिन है तो कर सकते है परन्तु दूसरे पहलू पर भी विचार करे की आपके इस कदम से सामने वाले की जीवन शैली पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 

कही ऐसा न हो की आपके मात्र कुछ ही लाभ के अपेक्षा सामने वाले का ज्यादा नुकसान हो रहा है, ऐसी स्थिति में आपको थोड़ी सी इंसानियत दिखाते  हुए सामने वाले की भी परवाह करने की जरुरत है            इसे भी पढ़े –अपनी परवाह करने वाले को लापरवाही से न देखे..                              

अकेलानन्द

प्रश्न चिन्ह Read More »

अनचाहे रिश्तो में कोई स्थिरता नहीं होती !

मानते है की आपने उसके लिए अपने दिल को काफी तकलीफे दी है, एक छोटी सी आस दिल के किसी कोने में अभी भी दीपक की लौ की तरह जगमगा रही है।

कभी वो भी शायद तुम्हे मन ही मन प्रेम कर बैठी हो , तुम्हारे साथ जाने अनजाने बहुत से लम्हे जिए हो, तुम्हे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी, परन्तु………………

वो दिन शायद आपकी जिंदगी के सबसे बड़े खुशनसीब दिन थे, शायद ऊपर वाला भी तुम्हारी जोड़ी का आनंद ले रहा था ……

पर अफ़सोस की बात तो ये है की—

जो तुम्हे मिल नहीं सकता, तुम जिसके लायक अब रहे ही नहीं, जिसे चाहकर भी अपना नहीं सकते, उसे पाने की बात तो दूर एक अनजाना रिश्ता भी नहीं रख सकते।

तो फिर उसके लिए अपने दिल को कोसने या अपने रक्त कोशिकाओं को जलाने का कोई औचित्य नहीं .

समझदार बने और सच्चाई को स्वीकार करने का साहस भी रखे

अनचाहे रिश्तो में कोई स्थिरता नहीं होती ! Read More »

तर्ज- तूने मुझे बुलाया मेरी वाली ए……..

तूने मुझे बुलाया मेरी वाली ए..

मैं भागा- भागा आया मेरी वाली ए…

वो बेलन वालिये वो चिमटा वालिये

वो झाड़ू वालिये वो सैंडल वालिये..

तूने मुझे बुलाया मेरी वाली…. ए

मैं भागा- भागा आया मेरी वालिए।।

आंखों पर था मैं पट्टी बाँधा

समझा था तुझे कृष्ण की राधा

सारे लोगों ने समझाया

अपना अपना दुखड़ा सुनाया

पर मैं समझ न पाया उनकीं वाली ए..

तेरे जाल में फंसता आया सबकी वालिये।

तूने मुझे बुलाया मेरी वाली ए….

मैं भागा भागा आया मेरी वाली ए……।।

इसे भी पढ़े – भला किसी का कर न सको तो

तर्ज- तूने मुझे बुलाया मेरी वाली ए…….. Read More »

”हमारा तिरंगा हमारी शान ”

ऐ तिरंगे आज बहुत नाज तो होगा तुझे,
आसमान की बुलंदियों में तुझे लहराया जायेगा।
जो कभी झुकते नहीं थे मंदिर या दरगाहो में
उनके सिर भी तू अपने कदमों में झुका पायेगा।

पर क्या हकीकत है ये तझसे बेहतर कौन जनता है
इस देश का ही एक तबका तुझे अपना नहीं मानता है।

आज वो जो बात करते त्याग और बलिदान की,
वो कल किसी कोठे या मदिरालय में खड़ा होगा,
आज जो इतनी इज़्ज़त बक्शी जा रही तुझे,
अफ़सोस कल किसी गली के कूड़े में पड़ा होगा ।

देश भक्ति का ये नशा बस है दिखावा आज का
सच नहीं सब झूठ है, छलावा है बस ताज का।

दिन अस्त होते ही भुला देंगे तुझे ये आज ही
फिर से तेरी याद अगले सत्र सबको आएगा
फिर से गूज उठेगी जयकारे तेरे नाम से
और फिर एकबार तू आकाश में लहराएग।।

अकेलानन्द

”हमारा तिरंगा हमारी शान ” Read More »