एकतरफा प्यार

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एक- तरफा प्यार

हम दोनों कुछ यूँ ही मिले थे,

न जाने कब के सिलसिले थे l

प्यार हमें बिना तर्क था , 

लेकिन उसमे कुछ फर्क था ll

मैं सच्ची मोहब्बत करता था,

वो कच्ची मोहब्बत करती थी l

मैं जी जान से उसपर मरता था ,

और वो टुकडो में मरती थी ll

दिल की बातें अपने दिल से ,

मैं रोज उसे बतलाता था l

है इश्क मुझसे तुमसे कितना,

बस हर पल यही जताता था ll

वो आधे मन से मेरी बातें, 

सुन करके  बात घुमा देती l

प्यार से नजर मिलाने पर, 

वो पलके अपनी झुका लेती ll

मैं समझा था है शर्मीली, 

इसलिए वो नजर झुकाती है l

है कुछ तो प्यार उसे मुझसे, 

वो तभी तो मिलने आती है ll

मेरे लिए संकल्प थी वो, 

मैं उसके लिए विकल्प सदा l

वो मेरे हर साँस में बसती थी ,

मैं जीवन में उसके यदा कदा ll

वो छोड़ मुझे जा सकती है ,

मैं फिर भी उसको  चाहूँगा l

वो प्यार भी केवल मेरा था,

अब मैं ही उसे निभाऊंगा ll


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