KAVITA

इन्तहा इंतजार की ख़त्म होती नहीं

इन्तहा इंतजार की ख़त्म होती नहीं

 

बीरेंद्र गौतम ” अकेलानंद” – बस्ती

तुम आँखों से इशारा न करते अगर,

इन्तहा इंतजार की ख़त्म होती नहीं ।

बात गर दिल से की होती मुझसे कभी,

बेवजह रात भर आँख रोती नहीं ।।

प्यार था प्यार है और रहेगा सदा,

ऐतबार करना सीखा न हमने कभी ।

जो जगह दी है तुझको इस दिल ने मेरे,

यादो के धागों में फिर पिरोती नहीं।।

कोई बिछड़े कभी चाहे दूरी करे,

कितना जायज जुदाई में कोई मरे ।

जिन्दगी इतनी आसान होती अगर,

उम्र भर बोझ यादों के ढोती नहीं।।

इक मुलाकात, फिर बात बढती गयी,

फिर तेरा इश्क सर मेरी चढ़ती गयी ।

न गिरते कभी  प्यार में इस कदर,

बांहों में कसके इक रात सोती  नहीं ।।

इसे भी पढ़े – चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर 

 

इन्तहा इंतजार की ख़त्म होती नहीं Read More »

मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ,बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है

कवि एवं अभिनेता – बीरेंद्र गौतम (अकेलानंद )

अकेलानंद

मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ।

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

किसी से मिलने जाऊ या किसी से मैं बतियाऊं,

सुबह शाम मोबाईल मेरा चेकअप करती है।

नए पुराने दोस्त किसी से कभी न मिलने देती,

गर लडकी के बगल से गुजरूँ पूरी खबर वो लेती ।।

खुद तो कितने लडको से वो हैण्ड शेकअप करती है,

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

इस सन्डे को कपड़े मांगे उस सन्डे को सैंडल,

खर्चा इतना करवाती अब होती नही है हैंडल ।

मिलते ही सैलरी सारी वो टेकअप करती है,

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

सुबह सुबह बिस्तर से बोले जल्दी दे दो काफी,

गलती चाहे वो करती फिर भी मैं मांगू माफ़ी ।

जाने की धमकी देती, फौरन पैकअप करती है ,

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

 

इसे भी पढ़े – आओ किस्सा तुम्हे सुनाये पतियों के अपमान की

 

 

मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ,बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है Read More »

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर – CHALE JAO NA AANA TUM DOBARA LAUTKAR

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर – CHALE JAO NA AANA TUM DOBARA LAUTKAR

 

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर,

नहीं हम जोड़ते रिश्ते को फिर से तोड़कर  ।।

बिताये दिन तुम्हारे साथ थे हम क्यों भला,

समझ पाए नहीं तुम हो मुसीबत की बला ।

तुम्हे दिन रात हम तो याद करते ही रहे,

मगर पीछे सदा ही काटते थे तुम गला ।।

चैन से जी रहा हूँ मैं तुम्हे अब छोड़कर,

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर …

पढाई भी तुम्ही ने तो मेरी बर्बाद कर डाली,

तेरे कारण ही सुनता हूँ पिता जी से अभी गाली ।

जो कुछ भी जेब खर्च मिलते वो सब तुमने किये खाली,

इस झूठे प्यार की खातिर, क्यों मन में थी भरम पाली ।

बहुत खुश है तू अब औरो से रिश्ता जोड़कर,

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर … ।।

समझ आता नहीं था जब तू मेरे साथ थी,

बिना पंखो के पंक्षी सी मेरी हालत थी।

इशारो पर तेरे दिन रात यूँ चलता रहा,

सफल तो गयी , मैं हाथ बस मलता रहा ।

मिला क्या तुझको मकसद से मुझको मोड़कर

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर ।।

इसे भी पढ़े : जीना जब आसान लगे, इक बार मुहब्बत कर लेना

चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर – CHALE JAO NA AANA TUM DOBARA LAUTKAR Read More »

भारत माता की पुकार – बंद करो बेटी पर अत्याचार – हिंदी कविता आन्दोलन

भारत माता  की पुकार – बंद करो बेटी पर अत्याचार – हिंदी कविता

बलात्कारी को फांसी दो 

हम पर अत्याचार बंद करो

आज के इस घोर कलयुग में बेटी पर अत्चाचार को देखकर भारत माँ का सीना छलनी होता जा रहा है ।

इसी मर्म को देखते हुए आखिर में ये पंक्तिया लिखनी पड़ी जिसे भारत के हर नागरिक तक पहुंचाने की जरुरत है,   और सरकार को भी जागने की ख़ास जरुरत है:

 

 

अब देख के हालत  नारी की ये भारत माता रोती है,

गर बेटी की इज्जत लुट जाये , भला कहाँ वो सोती है ।

उस माँ का दर्द भला किसको,  कब अन्दर तक झकझोरेगा,

उस माँ की ममता को मरने से कौन भला अब रोकेगा ।।

बेटा हो या  बेटी दोनों,  गोद में उसकी खेले है,

बोझ बराबर दोनों के,  इस भारत माँ ने झेले है ।

जब उसने दोनों के साथ नही जरा सा भी पक्षपात किया,

फिर किस कारण इक बेटे ने उसकी बेटी से घात किया ।।

है छलनी सीना आज किया जिसका है कोई इलाज नही,

ऐसा कुकर्म करते हुए क्यों आई उसको लाज नहीं ।

हे भारत के रक्षक बनने वाले, क्या तेरी भी हौंसला टूट गया,

इक बेटी को जिसने रौदा, तेरे रहते  क्यों  छूट  गया ।।

एक बात पूछनी तुझसे है क्या लगता तुझको पाप नहीं,

इसलिए कही तू चुप बैठा , की लड़की का तू बाप नहीं ।

गर बाकी जरा भी शर्म तुझे , तो तुझको  मेरी कसम यही,

ला खीच उसे अब फांसी दे, और कर दे उसको भस्म वहीँ ।।

गर भारत माँ अब रोएगी  , फिर ऐसा प्रलय आएगा,

मानव जाति का नामो निशाँ  इस दुनिया से मिट जायेगा ।

इतने पर सरकार की आँखे जो न अब खुल पाएंगी ,

अकेलानंद का दावा है वो मिटटी में मिल जाएगी ।।

 

इसे भी पढ़े :बहु ने घर से निकाला -माँ बनी भिखारिन 

भारत माता की पुकार – बंद करो बेटी पर अत्याचार – हिंदी कविता आन्दोलन Read More »

तिरंगा हमारी शान – तिरंगे का करे सम्मान

तिरंगा हमारी शान – तिरंगे का  करे सम्मान

 

तिरंगे का सम्मान करे

हमारे देश में सभी राष्ट्रीय त्योहारों पर चाहे वो गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस , हम सभी देशवासी बड़ी धूमधाम से मनाते  है और करोडो की मात्रा में तिरंगा फहराया जाता है ।

परन्तु  जरा सोचिये उसके अगले दिन उन तिरंगो  का क्या होता है ? क्या उसे उचित जगह हम रखते है या यूँ ही इधर उधर फेंक देते है ।

इसी सन्दर्भ में ये रचना है । आजादी का दिन है और तिरंगा फहराने की तैयारी चल रही  है जिस खम्भे से उसे बांधकर फहराया जाना है , वो खम्भा उस तिरंगे से क्या कहता है इसे पढ़े :

 

ऐ तिरंगे आज बहुत नाज तो होगा तुझे,
आसमान की बुलंदियों में तुझे लहराया जायेगा।
जो कभी झुकते नहीं थे मंदिर या दरगाहो में
उनके सिर भी तू अपने कदमों में झुका पायेगा।

पर क्या हकीकत है ये तझसे बेहतर कौन जनता है
इस देश का ही एक तबका तुझे अपना नहीं मानता है।

आज वो जो बात करते त्याग और बलिदान की,
वो कल किसी कोठे या मदिरालय में खड़ा होगा,
आज जो इतनी इज़्ज़त बक्शी जा रही तुझे,
अफ़सोस कल किसी गली के कूड़े में पड़ा होगा ।

देश भक्ति का ये नशा बस है दिखावा आज का
सच नहीं सब झूठ है, छलावा है बस ताज का।

दिन अस्त होते ही भुला देंगे तुझे ये आज ही,
फिर से तेरी याद अगले सत्र सबको आएगा ।
फिर से गूज उठेगी जयकारे तेरे नाम से
और फिर एकबार तू आकाश में लहराएगा ।।

आप सब से निवेदन है की तिरंगे को सम्मान के साथ उचित स्थान पर रखे ।

इसे भी पढ़े – मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम 

कवि बीरेंद्र गौतम – अकेलानन्द

तिरंगा हमारी शान – तिरंगे का करे सम्मान Read More »