हसरत उसे पाने की पूरी न हो सकी
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तुम आँखों से इशारा न करते अगर,
इन्तहा इंतजार की ख़त्म होती नहीं ।
बात गर दिल से की होती मुझसे कभी,
बेवजह रात भर आँख रोती नहीं ।।
प्यार था प्यार है और रहेगा सदा,
ऐतबार करना सीखा न हमने कभी ।
जो जगह दी है तुझको इस दिल ने मेरे,
यादो के धागों में फिर पिरोती नहीं।।
कोई बिछड़े कभी चाहे दूरी करे,
कितना जायज जुदाई में कोई मरे ।
जिन्दगी इतनी आसान होती अगर,
उम्र भर बोझ यादों के ढोती नहीं।।
इक मुलाकात, फिर बात बढती गयी,
फिर तेरा इश्क सर मेरी चढ़ती गयी ।
न गिरते कभी प्यार में इस कदर,
बांहों में कसके इक रात सोती नहीं ।।
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कवि एवं अभिनेता – बीरेंद्र गौतम (अकेलानंद )
मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ।
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
किसी से मिलने जाऊ या किसी से मैं बतियाऊं,
सुबह शाम मोबाईल मेरा चेकअप करती है।
नए पुराने दोस्त किसी से कभी न मिलने देती,
गर लडकी के बगल से गुजरूँ पूरी खबर वो लेती ।।
खुद तो कितने लडको से वो हैण्ड शेकअप करती है,
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
इस सन्डे को कपड़े मांगे उस सन्डे को सैंडल,
खर्चा इतना करवाती अब होती नही है हैंडल ।
मिलते ही सैलरी सारी वो टेकअप करती है,
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
सुबह सुबह बिस्तर से बोले जल्दी दे दो काफी,
गलती चाहे वो करती फिर भी मैं मांगू माफ़ी ।
जाने की धमकी देती, फौरन पैकअप करती है ,
बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।
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मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ,बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है Read More »
तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे ।
मिलने को होगी मजबूर , मगर धीरे धीरे ।
आइना देखकर यूँ, इतना इतराया न कर,
ये उम्र भी ढलेगी जरूर, मगर धीरे धीरे ।।
इन हुस्न की गलियों में ऐसे न खो जाना,
भागदौड़ का है दस्तूर , मगर धीरे धीरे ।
थोड़ी तो रहम कर, ये बेरहमी शोभा नही देती,
टूटता है सबका गुरुर , मगर धीरे धीरे ।।
तेरे संग बीते सभी यादे जिन्दा है अभी,
दिल से मिटेगा, जरुर मगर धीरे धीरे।
अभी कुछ और पल इसी आगोश में जीने दे,
फिर इसे कर देना चकनाचूर, मगर धीरे धीरे ।।
सुना था की मुहब्बत में यकीं मुश्किल से करो ,
मुझ पर भी चढ़ा था सुरूर, मगर धीरे धीरे ।
दुनिया भले ही डूबे इस समंदर में अकेलानंद ,
पार तो मैं निकलूंगा जरुर मगर धीरे धीरे ।।
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चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर,
नहीं हम जोड़ते रिश्ते को फिर से तोड़कर ।।
बिताये दिन तुम्हारे साथ थे हम क्यों भला,
समझ पाए नहीं तुम हो मुसीबत की बला ।
तुम्हे दिन रात हम तो याद करते ही रहे,
मगर पीछे सदा ही काटते थे तुम गला ।।
चैन से जी रहा हूँ मैं तुम्हे अब छोड़कर,
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर …
पढाई भी तुम्ही ने तो मेरी बर्बाद कर डाली,
तेरे कारण ही सुनता हूँ पिता जी से अभी गाली ।
जो कुछ भी जेब खर्च मिलते वो सब तुमने किये खाली,
इस झूठे प्यार की खातिर, क्यों मन में थी भरम पाली ।
बहुत खुश है तू अब औरो से रिश्ता जोड़कर,
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर … ।।
समझ आता नहीं था जब तू मेरे साथ थी,
बिना पंखो के पंक्षी सी मेरी हालत थी।
इशारो पर तेरे दिन रात यूँ चलता रहा,
सफल तो गयी , मैं हाथ बस मलता रहा ।
मिला क्या तुझको मकसद से मुझको मोड़कर
चले जाओ न आना तुम दोबारा लौटकर ।।
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आपके दिमाग में चलने वाली बाते –
हमारा मालिक हमें बहुत मानता है ।
मैं अपने मालिक को धोखा नहीं दे सकता ।
यंहा सीखने को बहुत कुछ मिल रहा है ।
यार इमरजेंसी में पैसा मिल जाता है ।
1-2 घंटे देर से जाता हूँ तो पैसे नहीं काटता ।
पता है मेरे बिना कम्पनी का काम नहीं चलता ।
कम्पनी की चाभी तक मेरे पास है ।
जब मुझे जरुरत थी तो कम्पनी ने मेरा साथ दिया अब मुझे भी साथ देना चाहिए ।
कम्पनी या ऑफिस ज्यादा दूर नहीं है ।
अगर ये सारे विचार आपके भी है तो सावधान आप एक ऐसे दलदल में फंसते जा रहे है जहाँ से निकलना बहुत ही मुश्किल हो जायेगा ।
जब तक आपको समझ में आयेगा की आप दलदल में फंस चुके है तब तक बहुत देर हो जाएगी ।
जरा सोचिये आप अपना घर परिवार छोड़कर इतनी दूर शहर में किस लिए आये है – पैसा कमाने के लिए न , फिर इस मोह के चक्कर में पड़कर अपने लक्ष्य से क्यों भटक रहे है ।
प्यार मोह तो आपके घर परिवार से होना चाहिए था जिन्हें आप पैसो की खातिर छोड़ चुके है तो फिर बहरी लोगो से उम्मीद क्यों ?
प्राइवेट कम्पनी वाले किसी के नहीं होते इन्हें बस अपना उल्लू सीधा करना होता है ।
जब तक आप इन्हें 100 रूपये कमाकर दे रहे है तो बदले में ये आपको 10 रूपये का तनख्वाह दे रहे है । जिस दिन इन्हें लगेगा की आप के काम में कमी हो रही है या आप उतना काम करने में सक्षम नहीं है, उसी दिन ये आपको दूध से मक्खी की तरह निकाल कर बाहर कर देंगे ।
उस समय आप सोचेंगे की आपका मालिक आपको कितना मानता है । अरे भाई किस अँधेरे में जी रहे है अभी भी समय है और समय रहते नौकरी बदल लेनी चाहिए ।
किस समय तक नौकरी बदलते रहे
बहुत से लोगो को प्रश्न होता है की अभी तो हम काम पर लगे है और यंहा तो बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है तो हमें नौकरी बदलनी चाहिए या नहीं-
उसके लिए निम्न बातो का ध्यान रखे –
जिस कम्पनी में काम कर रहे है उस कम्पनी का ग्रोथ रेट क्या है मतलब कम्पनी कितनी पूरानी है और किस लेवल तक पहुची है ।
उस कम्पनी में सबसे पुराने कर्मचारी की तनख्वाह क्या है और सबसे बड़ी बात उस कम्पनी में उसकी इज्जत कितनी है ।
जिस काम को आप सीखने की कोशिस कर रहे है उस काम में और कितने लोग है , आपका कम्पटीशन कितने लोगो से है , और वो कितने दिन से काम कर रहे है ।
क्या उस काम से और उस कम्पनी से मिलने वाले पैसे से आपकी जरूरते पूरी हो रही है या सिर्फ सीखने के चक्कर में अपने आप से समझौता करके जीवन यापन कर रहे है ।
तो भाइयो इन बातो को देखते हुए अगर आपको लगता है की आप सिर्फ सीखने के चक्कर में अपना ज्यादा समय बर्बाद कर रहे है, और सीखने के बाद भी यंहा पर ज्यादा पैसे मिलने वाले नहीं है तो देर किस बात की आज ही कम्पनी छोड़ दे ।
कभी भी 4-5 कमर्चारी और बिना रजिस्टर्ड वाली कम्पनी में काम न करे क्योकि ऐसे कम्पनी के कोई भी नियम क़ानून नहीं होते ये कभी भी आपको लात मर कर बाहर निकल सकते है ।
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हाँ हो सकता है की ऐसे कम्पनियों में आपका सम्पर्क सीधे सीधे मालिक से होता है और वो आपके साथ ऐसे पेश आता है । मानो आप के भरोसे ही ये कम्पनी चल रही है और अगर कभी आपने जाने अनजाने में नौकरी बदलने की बात की तो आपके साथ इमोशनल ब्लैकमेल भी करता है तो तुरंत सावधान हो जाइये ऐसे कम्पनी में तो बिलकुल न रूके । ये आपकी भविष्य को बर्बाद कर सकते है और जब तक ये बात आपके समझ में आयेगा तब तक बहुत देर हो जाएगी ।
सुझाव – अगर आप नए नए शहर में आये है तो सबसे पहले आपको जरुरत होगी अपने खर्चे चलाने की ऎसी स्थिति में आपको जो भी काम मिले सहर्ष स्वीकार करे और शुरुआत करे ।
2-3 महीने बाद जब आपकी आर्थिक स्थिति ठीक हो जाये या यूँ कहे की 10-15 दिन भी आप बैठकर खाने के लायक हो जाये तो फिर अपने काबिलियत के अनुसार नौकरी ढूंढें ।
आपकी इच्छा अनुसार नौकरी मिलने पर आप उस कम्पनी में अपना 100 प्रतिशत दीजिये जिससे आपको काम करने के तरीके , नियम कानून , लोगो के ब्यवहार आदि सब कुछ अच्छे से समझ में आ जाये ।
अब अपने तनख्वाह और काम की तुलना कीजिये की आपके काम के हिसाब से आपको पैसे मिल रहे है या नहीं अगर ऐसा नहीं है । तो देखिये की दूसरी कम्पनी में उसी काम के इतने पैसे मिल रहे है आगर ये अनुपात ज्यादा का है तो फिर देर किस बात की तुरन्त नौकरी बदले दीजिये ।
कम्पनी में कभी किसी के साथ बय्क्तिगत मत होइए ये सदा आपका नुकसान करवाती है अपने काम से काम रखिये , ऐसा भी नहीं की आप किसी से बातचीत मत कीजिये , कीजिये लेकिन एक दायरे में रहकर अपने परिवार या किसी पुरानी घटना का जिक्र किसी से मत कीजिये ।
अगर आपको लोगो को इस विषय में और जानकारी चाहिए तो हमें व्हात्सप्प नंबर पर सम्पर्क कर सकते है या कमेन्ट बॉक्स में लिख सकते है तो उस विषय पर लेख जरुर लिखा जायेगा ।
प्राइवेट कम्पनी किसी का सगा नहीं होता – प्राइवेट नौकरी कब बदले Read More »
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बलात्कारी को फांसी दो
आज के इस घोर कलयुग में बेटी पर अत्चाचार को देखकर भारत माँ का सीना छलनी होता जा रहा है ।
इसी मर्म को देखते हुए आखिर में ये पंक्तिया लिखनी पड़ी जिसे भारत के हर नागरिक तक पहुंचाने की जरुरत है, और सरकार को भी जागने की ख़ास जरुरत है:
अब देख के हालत नारी की ये भारत माता रोती है,
गर बेटी की इज्जत लुट जाये , भला कहाँ वो सोती है ।
उस माँ का दर्द भला किसको, कब अन्दर तक झकझोरेगा,
उस माँ की ममता को मरने से कौन भला अब रोकेगा ।।
बेटा हो या बेटी दोनों, गोद में उसकी खेले है,
बोझ बराबर दोनों के, इस भारत माँ ने झेले है ।
जब उसने दोनों के साथ नही जरा सा भी पक्षपात किया,
फिर किस कारण इक बेटे ने उसकी बेटी से घात किया ।।
है छलनी सीना आज किया जिसका है कोई इलाज नही,
ऐसा कुकर्म करते हुए क्यों आई उसको लाज नहीं ।
हे भारत के रक्षक बनने वाले, क्या तेरी भी हौंसला टूट गया,
इक बेटी को जिसने रौदा, तेरे रहते क्यों छूट गया ।।
एक बात पूछनी तुझसे है क्या लगता तुझको पाप नहीं,
इसलिए कही तू चुप बैठा , की लड़की का तू बाप नहीं ।
गर बाकी जरा भी शर्म तुझे , तो तुझको मेरी कसम यही,
ला खीच उसे अब फांसी दे, और कर दे उसको भस्म वहीँ ।।
गर भारत माँ अब रोएगी , फिर ऐसा प्रलय आएगा,
मानव जाति का नामो निशाँ इस दुनिया से मिट जायेगा ।
इतने पर सरकार की आँखे जो न अब खुल पाएंगी ,
अकेलानंद का दावा है वो मिटटी में मिल जाएगी ।।
भारत माता की पुकार – बंद करो बेटी पर अत्याचार – हिंदी कविता आन्दोलन Read More »
हमारे देश में सभी राष्ट्रीय त्योहारों पर चाहे वो गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस , हम सभी देशवासी बड़ी धूमधाम से मनाते है और करोडो की मात्रा में तिरंगा फहराया जाता है ।
परन्तु जरा सोचिये उसके अगले दिन उन तिरंगो का क्या होता है ? क्या उसे उचित जगह हम रखते है या यूँ ही इधर उधर फेंक देते है ।
इसी सन्दर्भ में ये रचना है । आजादी का दिन है और तिरंगा फहराने की तैयारी चल रही है जिस खम्भे से उसे बांधकर फहराया जाना है , वो खम्भा उस तिरंगे से क्या कहता है इसे पढ़े :
ऐ तिरंगे आज बहुत नाज तो होगा तुझे,
आसमान की बुलंदियों में तुझे लहराया जायेगा।
जो कभी झुकते नहीं थे मंदिर या दरगाहो में
उनके सिर भी तू अपने कदमों में झुका पायेगा।
पर क्या हकीकत है ये तझसे बेहतर कौन जनता है
इस देश का ही एक तबका तुझे अपना नहीं मानता है।
आज वो जो बात करते त्याग और बलिदान की,
वो कल किसी कोठे या मदिरालय में खड़ा होगा,
आज जो इतनी इज़्ज़त बक्शी जा रही तुझे,
अफ़सोस कल किसी गली के कूड़े में पड़ा होगा ।
देश भक्ति का ये नशा बस है दिखावा आज का
सच नहीं सब झूठ है, छलावा है बस ताज का।
दिन अस्त होते ही भुला देंगे तुझे ये आज ही,
फिर से तेरी याद अगले सत्र सबको आएगा ।
फिर से गूज उठेगी जयकारे तेरे नाम से
और फिर एकबार तू आकाश में लहराएगा ।।
आप सब से निवेदन है की तिरंगे को सम्मान के साथ उचित स्थान पर रखे ।
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कवि बीरेंद्र गौतम – अकेलानन्द
तिरंगा हमारी शान – तिरंगे का करे सम्मान Read More »
कवि- बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”
तर्ज– आओ बच्चों तुम्हे दिखाएँ झांकी हिंदुस्तान की
आओ किस्सा तुम्हे सुनाये , पतियों के अपमान की
बचना चाहो तो बात सुनो , अकेलानंद महान की
“घरवाली की जय बोलो घर वाली की जय ”
आज सुबह ही पत्नी मेरी बहुत हुई थी गुस्सा,
उसी भाव में उसने मुझको एक लगाया घूसा । घर वाली की जय बोलो -2
घूसा खाकर मै तो मानो खुद में सिमट गया था,
पास में बैठा बेटा मेरा उससे लिपट गया था ।
बेटा बोला सुन मेरी माँ तूने पापा को क्यों मारा,
पहले मेरे आंसू पोंछे फिर मम्मी को ललकारा ।।घर वाली की जय बोलो -2
पहले पत्नी मुस्काई फिर हाथ उठाया चिमटा,
देख नज़ारा बेटा मेरा गोदी में आ सिमटा ।
अभी तलक जो कुछ थी ठंडी, अब बन गयी थी चंडी,
हम दोनों ऐसे चिल्लाये जैसे हो सब्जी मंडी ।। घर वाली की जय बोलो -2
हाथ जोड़कर मैंने पूंछा मेरी क्या गलती है,
केवल तेरा राज नहीं, कुछ मेरी भी चलती है ।
बस इतना सुनना था की वो नागिन सी फुफकारी,
उस चिमटे से कहाँ कहाँ जाने फिर हमको मारी ।। घर वाली की जय बोलो -2
अब तक मैं था समझ गया ये केवल उसका घर है,
वो इस घर की मालकिन और हम तो बस नौकर है ।
आप सभी से विनती मेरी पत्नी का सम्मान करो ,
जो न पिटना चाहो तो पूरे हर अरमान करो ।।
‘घर वाली की जय बोलो घर वाली की जय ”
पति पत्नी हास्य कविता – पत्नी का आतंक Read More »
आजकल हर चौराहे पर कोई बूढी माँ भीख मांगते हुए नजर आ ही जायेगी, परन्तु एक फर्क है पहले सिर्फ मांगते थे परन्तु आज कल हाथ में कोई न कोई सामान जैसे कलम, या पेंसिल होता है ….
अकेलानंद की लिखी हुई रचना इसी विषय पर आधारित है –
देखी एक नारी थी किसी की महतारी,
आज बनके भिखारी वो बेचारी नजर आती है ।
दिल में अरमान लिए हाथ में सामान लिए,
हथेली पर जान लिए भागी चली जाती है ।।
हाथ जोड़ बोलती वो आधी सांस छोडती वो,
एक एक करके सभी के पास जाती है ।
कोई दुत्कार देता कोई फटकार देता,
कोई कुछ देता पर बुरा नहीं वो मानती है ।।
अपने अतीत को याद करते हुए.
बेटी होती है पराई, बन बहु घर आई,
खूब बजी शहनाई हुई उसकी सगाई थी ।
बीता कुछ साल हुआ सुन्दर सा लाल,
खूब मचा था धमाल, खुशहाली बड़ी आयी थी ।।
गए दिन रैन खुशियों से भरे नैन,
आज दूल्हा बनकर बेटा घोड़ी पर सवार था ।
बहू सुंदर सी आयी थी दहेज़ खूब लायी,
अपने रंग रूप का उसको खुमार था ।।
बोली एक बात सुनो मेरे प्राणनाथ,
नहीं ऐसे है हालात जो इनको भी पालो तुम ।।
मानो मेरा कहना नहीं संग इनके रहना,
आज ही माँ बाप को घर से निकालो तुम ।
है किस्मत की मारी अब बनी दुखियारी,
आज अपनों से हारी सारी दुनिया ये जानती है ।।
कोई नहीं अपना जो पूरा करे सपना,
अपने पराये सबको वो पहचानती है ।
आखिर में आप सबसे एक बात कहना चाहूँगा की माँ बाप को घर से निकालने में बहू का हाथ होता है,
परन्तु एक कड़वा सच ये भी है की इसमें बेटे का भी साथ होता है
है बिनती हमारी सुनो बेटा बहू प्यारी,
माँ बाप की जो सेवा की तो सारे सुख पाओगे ।
किया घर से बेघर दुखी होगा ईश्वर।
फिर एक दिन तुम भी बेघर किये जाओगे ।।
कवि – बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”
माँ बनी भिखारिन …… Read More »
नेता जी का कथन –
रुपया या पैसा नगद लोगे तुम
या बिजली पानी मुफत लोगे तुम
वोटर मेरे ये बता दे मुझे
मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम
बस में फ्री का टिकट लोगे तुम
या वादों के मीठे शब्द लोगे तुम
चाचा मेरे ये बता दो मुझे
मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम
अरे कुछ तो बोल, मुंह तो खोल
दारु की नदिया बहा दुंगा
जिस भी हिरोइन का नाम बता
गलियों में तेरे नचा दुंगा
अब पीने की कोई जगह लोगे तुम
चखने में चिकन मटन लोगे तुम
वोटर मेरे ये बता दे मुझे
मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम
वोटर का जवाब –
झूठा है वादा तेरा, ऐतबार कोई नहीं
बेईमान सब है बड़े, इमानदार कोई नहीं
तू स्वार्थी है कपटी है , पागल बनाता है
जब जीत जाता है आँखे दिखाता है
अपना भी जमीर है ऐसा थोड़े होता है
वोट के बदले सदा नोट नहीं होता है
अरे जिसको भी चाहे पिला दोगे तुम
नशे में साथ अपने मिला लोगे तुम
नेता मेरे ये बता दे मुझे ,
यंहा से भाग जाने का क्या लोगे तुम
मेरे देश को बचाने का क्या लोगे तुम
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मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।
बहती पुरवाई मानो दिल खींच गाँव ले जाती है ।।
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
फाल्गुन मॉस के आते ही इक अलग नशा छा जाता था ,
हंसी ठिठोली ताने बोली का माहौल बन जाता था ।
दादा बाबा ताऊ चाचा एक संग हो जाते थे ,
फगुआ गाते धूम मचाते मिलकर रंग जमाते थे ।।
वो मधुर तान और गाने की बोली कानो में अभी सुनाती है ,
मुझको मेरे गावं की होली याद बहुत आती है ।।
पूरे साल भले लड़ते हो, चाहे दुश्मनी जानी हो,
होली के दिन ऐसे मिलते जैसे रिश्ता बहुत पुरानी हो ।
चाची जो गली बकती थी , फूटे आँख नहीं सुहाती थी ,
पर उस दिन पकवान बनाकर, पहले मुझे खिलाती थी ।।
वो गुलगुला, गुझिया मालपुआ की खुशबू अब ललचाती है ,
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
वो पहली बार जब मैंने उसके गाल पर रंग लगाया था,
उस पल मानो जैसे कोई बड़ा खजाना पाया था ।
कुछ चिढ़ी थी वो कुछ शरमाई भी, मैं था डर से काँप गया,
बाल्टी कर रंग लेकर दौड़ी तो उसका मनसा भांप गया ।
जो शर्ट रंगी थी आज भी उसके होने का एहसास कराती है ,
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
बड़े हुए तो शहर आ गए रुपये बहुत कमाने को ,
तब से मौका नहीं मिला होली पर गाँव को जाने को ।
हरा लाल नारंगी पीला कितने रंग लुभाती थी,
गाँव की होली का रंग तन मन अन्दर तक रंग जाती थी ।।
शहर की होली का रंग मानो कपड़े ही रंग पाती है ,
मुझको मेरे गाँव की होली याद बहुत आती है ।।
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जीना जब आसान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना l
जब अच्छा हर इन्सान लगे,
एक बार मुहब्बत कर लेना ll
यौवन जब अंगड़ाई ले,
मस्ती में कुछ न दिखाई दे l
संगी साथी सब प्यार करे,
इक दूजे से इजहार करे II
खुशनुमा सभी हालात लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना I
जब अच्छा हर इन्सान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
जब मिली नौकरी पक्की हो,
इच्छा अनुसार तरक्की हो I
दफ्तर में सबसे सम्मान मिले,
घर वालो का अभिमान मिले II
जब सस्ता हर सामान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना I
जब अच्छा हर इन्सान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
ये हंसी तुम्हारे चेहरे की,
पल भर में ही खो जाएगी I
बहकें बहके से फिरते रहोगे,
रात को नीद न आयेगी II
आँखों के आंसू तक सूखेंगे ,
सांसे भी घुट जाते है I
कहते है अकेलानंद यही की,
प्यार में सब लुट जाते है I
गर तुमको न विश्वास लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
जब अच्छा हर इन्सान लगे ,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
जीना जब आसान लगे,
इक बार मुहब्बत कर लेना II
तू दोस्त है , तू साथी है ,
तू जान है, तू जहान है I
तू ही प्रिये, प्रियतम तू ही ,
तू दिल की हर अरमान है II
मुझे एक फिक्र रहती हरदम,
मेरा भी कोई हमदम होता I
रहता हर पल वो साथ मेरे ,
चाहे ख़ुशी हो या फिर गम होता II
जिसे ढूंढ रही थी ये आँखे ,
वो इश्वर का वरदान है I
तू दोस्त है तू साथी है ,
तू जान है तू जहान है II
बिन तेरे था जीवन सूना ,
दिल की हर बात थी अनसूना I
इक पल भी आँखे नम जो हुई,
पग डोले, हिम्मत कम जो हुई I
तुम साथ थी हर पल ये कहते ,
आगे बढ़ साथ में मैं हूँ न II
हर दुःख को पल में हर लेती,
तेरी ये मधुर मुस्कान है I
तू दोस्त है तू साथी है ,
तू जान है तू जहान है II
अब तक जाने आये कितने ,
सब मतलब के, कोई न अपने I
जिसका भी जितना साथ दिया ,
उसने उतना ही घात किया I
तुझको पाकर मैं धन्य हुआ,
है वादा कभी न बिछ्ड़ेंगे ,
हर मुश्किल से लड़ बैठेंगे I
चाहे कितना भी बड़ा तूफ़ान है II
कहता है अकेलानंद यही ,
तू ही मेरा स्वाभिमान है I
तू दोस्त है तू साथी है ,
तू जान है तू जहान है I
तू ही प्रिये, प्रियतम तू ही ,
तू दिल की हर अरमान है II
इसे भी पढ़े : दोस्त – जो हर कीमत पर आपको सुरक्षित रखे
मेरे साथी – मेरी जान (MERE SATHI – MERI JAAN ) Read More »