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तू तो कहता था तुझे प्यार नहीं है,
तो अपने आप को जलाता क्यों है l
तू तो कहता था तुझे दर्द भी नही होता,
तो अपने आँखों से बताता क्यों है ll
माना की उसकी जुदाई से तुझे गम नहीं,
फिर यूँ ही अपने दिल को रुलाता क्यों है l
एक एक करके दूर हुए तुझसे अपने,
फिर भी उनसे अपनापन जताता क्यों है ll
नहीं लिखा प्यार अगर तेरी जिन्दगी में,
फिर भी अपनी किस्मत आजमाता क्यों है l
तू तो पहले भी अकेला था ऐ अकेलानंद,
फिर गैरो से महफ़िल सजाता क्यों है ll
मिटा दे हर किसी की याद अपने दिल से,
याद कर उन्हें झूठा ही मुस्कराता क्यों है ll
तू तो कहता था तुझे प्यार नहीं है,
तो अपने आप को जलाता क्यों है ll