विश्वास, अपनो और गैरों के सहारे का मापदंड

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विश्वास, अपनो और गैरों के सहारे का मापदंड

आज भरम टूट ही गया, दूर हो गई सारी गलतफहमी

जो चाहकर भी नहीं रोक सके उसके आंखों की नमी।।

जिस विश्वास को बनाने में तुम अपना सौ प्रतिशत लगा देते हो, हर वह संभव प्रयास करते हो जिससे आप दोनों के बीच की विश्वास की

डोर मजबूत होती जाए I तुम उसे यह जताने मे सक्षम हो जाओ की अब तुम्ही मात्र एक ऐसे व्यक्ति हो जिस पर व आँख बंद करके भी

भरोसा कर सकती है। और उसे ऐसा लगने भी लगा जो तुम चाहते हो तो सब कुछ अच्छा लगतहै और गाड़ी मानो पटरी पर चल

पड़ती है। एक दूसरे के सहारे कई सारे सपने बुनने लगते है, और हर छोटी बड़ी बाते साझा करते है। और समय का

पहिया तेजी से चल पड़ता है।

फिर अचानक किसी की बुरी नजर तुम्हारे इस पवित्र रिश्ते पर पड़ जाती है, और वह व्यक्ति इसे गलत ठहराने का हर

संभव प्रयास करता है, और कहीं न कहीं सफल भी हो जाता है। अब उसको तुम्हारे खिलाफ इतना भडका देता है,

तुम्हारी बुराई और उसके साथ सहानुभूति दिखाने का प्रपंच करता है, अब अगर उसके मन मे तुम्हारे प्रति

अविश्वास की भावना जगती है तो कहीं न कही ऐसा संभव है की कुछ तो शेष रह गया था जहाँ पर अभी भी

दरार थी, क्योकि छत अगर मजबूत हो तो लाख बारिश हो,पानी नही टपकता, लेकिन अगर एक सुई जितना भी

सुराख हो तो सब नष्ट हो जाता है।

अब चूकि वो तुमसे नाराज है, तुम्हे अविश्वास की नजरो से देखती है, साथ मे दुखी भी है क्योकि उसे किसी और

के द्वारा ठेस पहुँचा है, उसका दिल अंदर से रो रहा है……..

ऐसे मे अगर वो अपने दिल को बहलाने के लिए, अपने आंसू को रोकने के लिए, अपनी भावना को व्यक्त करने

के लिए किसी अतीत का सहारा लेती है, और उससे बात करके खुद को हल्का महसूस करती है तो जरा सोचो

फिर तुम कौन हो, क्या हुआ तुम्हारे विश्वास का, क्या उसके साथ तुम्हारा विश्वास अडिग रह पायेगा,

अब तुम्हारी भावनाओ का क्या? तुम्हारे उस प्यार, दोस्ती, इंसानियत या जो भी था वो तो चकनाचूर हो गया न।

मानता हूँ तुम बहुत अच्छे इंसान हो, दुसरो का ख्याल खुद से ज्यादा करते हो। सामने वाले को सदा खुश रखना

चाहते हो, लेकिन तुम हार गये, खुद से, क्योकि शुरुआत तो तुमने ही किया था…….

अब तुम्हारे पास एक ही रास्ता है……. जी हाँ, वही जो तुम सोच रहे हो………

परंतु तुम ऐसा नही करोगे, क्योकि तुम उसे दुख नही दे पाओगे, अब अगर हिम्मत है तो फिर से उसी नक्शेकदम

पर आगे बढ़ जाओ, अन्यथा पहले की तरह अपनी किस्मत भर भरोसा कर लो……

सामने वाले पर फर्क पड़े या न पड़े, परंतु तुम पर जरूर होगा।

अकेलानंद

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