पत्नी

पत्नी 

 

पत्नी है जान मेरी
‎पत्नी है शान मेरी
‎हर पल पत्नी हीं
‎रखती है ध्यान मेरी
‎पत्नी हीं ध्यान है
‎पत्नी हीं ज्ञान है
‎सभी देविओं में सिर्फ
‎पत्नी महान है
‎पत्नी सुबह होती
‎पत्नी हीं शाम है
‎पत्नी के दया से हीं
‎बनते सब काम है
‎पत्नी हीं भूख होती
‎पत्नी हीं प्यास है
‎सुख दुख गम की
‎पत्नी हीं रास है
‎पत्नी बनाती घर
‎पत्नी सजाती घर
‎पत्नी से हीं मिलती
‎चैन की सांस है
‎पत्नी के साथ रहो
‎जो वो चाहे वही कहो
‎वरना पूरे घर की
‎करतीं विनाश है

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कवि बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”

बस्ती-उत्तर प्रदेश 

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