तेरा मुझसे दूर जाने का गम नहीं

तेरा मुझसे दूर जाने का गम नहीं

 

तेरा मुझसे दूर जाने का कोई गम नहीं,

सुकून है इसकी वजह तो हम नहीं ।

जमाने से जाकर मेरी ही कमियाँ गिनाएगी,

फिर भी यकीं है की तेरी दलील में कोई दम नहीं ।।

 

इस हुश्न की तारीफ़ में कुछ न बोलूँगा ,

हर गम को सहते हुए छुपकर रो लूँगा ।

मालूम है उसका प्यार सिर्फ मेरा ही नहीं है ,

पर ये राज जमाने के सामने नहीं खोलूँगा ।।

 

कहने को तो बहुत कुछ है पर आप सुनते कहाँ हो ,

हमारे यादो के भी सपने आप  बुनते कहाँ हो ।

हमने तो पहली नजर में आपको अपना बना लिया,

किसी कशमकस  में आप हमें चुनते कहाँ हो ।।

 

उसकी बेरुखी को कब तक सह पाऊंगा ,

अब जाने किस हद तक चुप रह पाऊंगा ।

पता है वो शामिल है किसी गैर की महफ़िल में ,

प्यार खोने के डर से मैं कुछ न कह पाऊंगा ।।

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बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद ”

 

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