आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है
आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है
आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है I
जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है II
बहुत रुसवाई, मिलन जुदाई हो चुके है ,
जाने कितने पल खुशियों के खो चुके है I
खाते थे एक दूजे पर मरने मिटने की कसमे,
फिर भी जाने कितनी दफा बेवजह रो चुके है I
मेरे सिवा भी जाने कितनो की वो हसीना है ,
आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है II
जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है II
वो बेवकूफी भरी मेरी जो हालात थी,
याद आती है वो जो पहली मुलाकात थी I
उसके हुश्न और सादगी पर मर मिटा था ,
लुट चुकी उस पर मेरी हर जज्बात थी I
खत्म हो चुकी तुझसे मेरी हर तमन्ना है ,
आज की रात सिर्फ और मुझे जीना है II
जाम बोतल से नहीं आँखों से पीना है II
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