शूद्र की चेतना एवं सच्चा हिन्दू कौन ?
शूद्र की चेतना एवं सच्चा हिन्दू कौन ?
जाग उठो सारे हिन्दू भाइयो और एक हो जाओ वर्ना
बटेंगे तो कटेंगे , बंटे है तभी कट रहे है
कौन काटेगा कौन बाँटेगा , सच्चा हिन्दू कौन छाँटेगा
आज धर्म की बात करेंगे, पीछे फिर बर्बाद करेंगे
अभी तलक क्यो सोये थे, जब हम निचले रोये थे
तब तक क्या हम हिन्दू ना थे, तेरे धर्म के बिंदु न थे

तब तुमने फटकार दिया, कुत्ते सा दुत्कार दिया
गले मे हांडी डाली थी , कहते हमको गाली थी
तेरे राह न चलते थे, गन्दगियो मे पलते थे
ना पढ़ने लिखने का हक़ था, पास ना धन् रखने का हक था

तुमने वेद पुराण बनाया, 33 करोड़ भगवान बनाया
मंदिर की भरमार हुई, फिर जाति एक लाचार हुई
चार जगह से जन्म दिखाया, खुद को मुख से उतपन्न बताया
शूद्र – शूद्र कहकर चिल्लाये, सबके मन मे जहर फैलाये

हम खुद से ही शर्माते थे, और मुखड़ा सदा छिपाते थे
तुम तो भगवान के प्यारे थे, हम पिछले जन्म के मारे थे
कुछ ऐसा ही पाठ पढ़ाया, स्वर्ग नरक का डर दिखलाया
फिर एक मसीहा जाग उठा, दिल में सबके तूफ़ान उठा

जिस दिन लागू सविधान हुआ, वो हम सबका भगवान हुआ
तब जाकर हम इंसान बने, फिर पढ़ लिखकर धनवान बने
अब तुमने जो गुमराह किया, है वादा तुम्हे न छोड़ेंगे
जितने वर्षो तक हमें सताया, उतने टुकड़ो में तोड़ेंगे
हम बौद्ध धर्म अनुयायी है, ना बैर किसी से करते है
पर बात अगर अभिमान की हो, फिर मरने से ना डरते है
है देश में डंका बाज रहा, आज जय भीम के नारो से
शिक्षित और संगठित रहो, ना डरना इन गद्दारों से.
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कवि बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”
जिला बस्ती , उत्तर प्रदेश
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