कोई दिन न बचा ऐसा कि जब तेरी याद न आई हो

कोई दिन न बचा ऐसा की,
जब तेरी याद न आई हो |
कोई पल नहीं याद मुझे की,
जब तेरी याद न आई हो ||
यूँ तो साँसे भी छोड़ जाती है ,
एक बार को धोखा देकर |
आंसू भी आँख से गिर जाते ,
किसी अपने को खोकर ||
इक मेरा दिल ही है जिसमे ,
कोई बदलाव न आई हो |
कोई पल नहीं याद मुझे ,
की जब तेरी याद न आयी हो ||
क्या याद तनिक भी है तुझको ,
जो कसमे मिलकर खाई थी |
दोनों से पूरी दुनिया थी ,
बाकी सब लगी परायी थी ||
हैरान नहीं हूँ मैं तुझ पर ,
इक वादा भी अगर निभाई हो |
कोई पल नही याद मुझे की ,
जब तेरी याद न आयी हो ||
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बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद ”