हंसो हमेशा जिन्दगी में
किसी बात पर हंसो , कभी बिन बात पर हंसो
हालत नहीं अच्छे तो, अपने हालात पर हंसो
हंसो हर दिन पर और हर रात पर हंसो
कभी जुदाई पर हंसो तो, कभी मुलाकात पर हंसो
अपने हार पर हंसो, फिर उसी जज्बात पर हंसो
किसी ने दी नहीं कभी , हर उस सौगात पर हंसो
ज़माना हंस रहा तुम पर, उस सवालात पर हंसो
हंसो हरदम की जब तक, तुम्हारे अंदर सांस बाकी है
और जब अंत हो नजदीक , तो उस कायनात पर हंसो
सदा उदास रहने से, सब कुछ बिखर जाता है
और हंसते रहने से जिन्दगी संवर जाता है
अकेले में भी हंसो और सबके साथ भी हंसो
किसी बात पर हंसो तो कभी बिन बात पर हंसो
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बीरेंद्र गौतम ” अकेलानंद “