परामर्श

रिश्ते मुट्ठी में बंद रेत की तरह है

रिश्ते मुट्ठी में बंद रेत की तरह है

 

रिश्ते हमारी मुट्ठी में बंद रेत की तरह होते है , अगर उन्हें ढीला किया जायेगा तो एक साथ नीचे गिर जाते है और अगर उन्हें जोर से पकड़ा जायेगा तो उंगलियो के बीच खाली जगह से निकलने की कोशिश करते है। अगर उनमे प्रेम और विश्वास की जल की बूंदे डालते रहे तो ये मजबूत हो जाते है।

यही हमारे बीच रिश्ते में भी होते है हमें सामंजस्य बिठा के रखना चाहिये। किस रिश्ते में कितने प्यार या मनुहार की जरुरत है इसका भी ध्यान रखना चाहिए। न तो बेवजह किसी पर ज्यादा ही प्यार जताना चाहिए क्योकि हो सकता है उस व्यक्ति को ये सब मात्र एक दिखावा लगे।
और जिसे जयादा प्यार की जरुरत हो उसे मात्र हम एक औपचारिकता निभा रहे हो।
इसके लिए आपको अपने विवेक से काम लेना चाहिए। जिसे आप प्यार करते है उसे विश्वास दिलाये की आप हर परस्थिति में उसके साथ है।
और जो आपको प्यार करता है उसकी भावना की क़द्र करनी चाहिए।

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अपने अंदर के भावना को दबाये नहीं, समय पर जता देना चाहिए

अगर आप को किसी भी व्यक्ति या जीव पर प्रेम अथवा नकारत्मक भाव आ रहे है तो कोशिश करे की उसी समय प्रदर्शित कर दे या उसके साथ साझा कर दे। मान लो आपका कोई मित्र, सहकर्मी या रिश्तेदार आपको बार बार परेशान कर रहा है या उसकी कुछ आदते या बाते आपको अच्छी नहीं लगती तो उसे अनदेखा कर देना चाहिए एक या दो बार के लिए, लेकिन अगर यह प्रक्रिया निरंतर आपके साथ हो रही है तो आपको उससे दूरिया बना लेना चाहिये लेकिन अगर स्थिति ऐसी हो की आप उससे दूर यही हो सकते जैसा की वो आपका सहकर्मी है या आपसे ऊँचे पद पर है तो एक बार उसे समझा देना चाहिए की आपको ये बर्ताव पसंद नहीं है।


अगर अपने समय रहते ऐसा नहीं किया तो आपके अंदर जो उस अमुक व्यक्ति के लिए ईर्ष्या या क्रोध की भावना पल रही है किसी दिन एक ज्वालामुखी की तरह फट सकता है और उसके लिए किसी बड़े कारण की भी जरूरत नहीं होगी , और इतने दिनों तक जैसा की आप सोच रहे थे की आपके रिश्ते में कोई तनाव न हो उस समय आप दोनों के पास कोई विकल्प ही नहीं रह जायेगा।
और काफी दिनों की नजदीकियां हमेशा हमेशा के लिए दूरियों में बदल जाएगी।

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अपनों की निन्दा और तारीफ

अपनो द्वारा किये गए निरन्तर प्रशंसा से आपकी ख्याति दूर-दूर तक फैले ऐसा शायद ही हो,

परन्तु अपनो द्वारा किया गया निंदा का एक शब्द भी आपको चारो ओर बदनाम करने के लिए काफी है।

अकेलानंद

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रिश्ते तोड़ने से अच्छा है दूरिया बना ले-

अगर एक इंसान की वजह से परिवार में कलह और अशांति फ़ैल रही हो तो उसे अलग कर देना चाहिए। ऐसा भी हो सकता है वह अकेला व्यक्ति अपनी जगह सही हो या ऐसा भी तो हो सकता है की सिर्फ वही सही ह। परन्तु बाकी लोगो की मानसिकता उसके खिलाफ है इस स्थिति में उस व्यक्ति को स्वयं ही उनसे दूर हो जाना चाहिए।

अगर आप अपने रिश्ते को बरक़रार रखना चाहते है तो या कोई बड़ी बात नहीं है, अगर आपने दुरी बना ली तो बाद में नजदीकियां हो सकती है, लेकिन अगर अपने रिश्ते तोड़ने की कोशिश की तो आप उसे फिर जोड़ नहीं सकते।
होता यूँ है की बाकि परिवार के लोग जिनकी मानसिकता एक जैसी है अगर उनके बीच में किसी भी तरह का मनमुटाव या वाद विवाद होता है तो कुछ दिन बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है ,
परन्तु यदि ऐसा आपके साथ होता है तो सभी लोगो को कुछ ज्यादा ही ठेस पहुँचता है क्योकि आपसे ऐसी उम्मीद नहीं होती, भले ही आपने सही सुझाव दिया हो या सही आवाज उठाई हो, इस स्थिति में सब आपके खिलाफ हो जाते है।

अतः आपको अपने मानसिक स्थिति को बिलकुल ही सामान्य अवस्था में रखकर निर्णय लेना चाहिए।

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प्रश्न चिन्ह

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प्रश्न चिन्ह, एक चिन्ह ही नहीं अपने आप मे एक शब्द, वाक्य तो क्या पूरी किताब हैं। लोग इसे प्रयोग करने से नहीँ हिचकिचाते।

परंतु जिन किसी पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाता है, तो सारी जिंदगी उसे  जिंदगी उस प्रश्न चिह्न का समाधान ढूढ़ने में लग जाता है।  किसी के ऊपर भी सवाल उठाने से पहले एक बार सोच विचार अवश्य कर ले। 

क्या अमुक व्यक्ति पर सवाल उठाने से आपकी समस्या का समाधान हो जायेगा।  अगर ऐसा मुमकिन है तो कर सकते है परन्तु दूसरे पहलू पर भी विचार करे की आपके इस कदम से सामने वाले की जीवन शैली पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 

कही ऐसा न हो की आपके मात्र कुछ ही लाभ के अपेक्षा सामने वाले का ज्यादा नुकसान हो रहा है, ऐसी स्थिति में आपको थोड़ी सी इंसानियत दिखाते  हुए सामने वाले की भी परवाह करने की जरुरत है            इसे भी पढ़े –अपनी परवाह करने वाले को लापरवाही से न देखे..                              

अकेलानन्द

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अनचाहे रिश्तो में कोई स्थिरता नहीं होती !

मानते है की आपने उसके लिए अपने दिल को काफी तकलीफे दी है, एक छोटी सी आस दिल के किसी कोने में अभी भी दीपक की लौ की तरह जगमगा रही है।

कभी वो भी शायद तुम्हे मन ही मन प्रेम कर बैठी हो , तुम्हारे साथ जाने अनजाने बहुत से लम्हे जिए हो, तुम्हे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी, परन्तु………………

वो दिन शायद आपकी जिंदगी के सबसे बड़े खुशनसीब दिन थे, शायद ऊपर वाला भी तुम्हारी जोड़ी का आनंद ले रहा था ……

पर अफ़सोस की बात तो ये है की—

जो तुम्हे मिल नहीं सकता, तुम जिसके लायक अब रहे ही नहीं, जिसे चाहकर भी अपना नहीं सकते, उसे पाने की बात तो दूर एक अनजाना रिश्ता भी नहीं रख सकते।

तो फिर उसके लिए अपने दिल को कोसने या अपने रक्त कोशिकाओं को जलाने का कोई औचित्य नहीं .

समझदार बने और सच्चाई को स्वीकार करने का साहस भी रखे

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स्वयं से ज्यादा किसी को न चाहो….

जिस दिन आप किसी के याद में जी न सको तो समझ लेना आप बर्बादी के द्वार पर दस्तक दे चुके हो।

किसी को भी अपनी जिंदगी में इतनी अहमियत न देना की आपके हर सांस उसके अधीन हो जाये और आपको घुटन के सिवाय कुछ भी न मिले।

मुझे अकेले खुश रहते देख भले ही ये दुनिया मुझे घमंडी क्यो न समझे, पर सच तो यह है कि मैं इस मतलबी दुनिया को समझ चुका हूँ।

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दूसरे के बन जाओ लेकिन किसी को अपना न बनाओ

आजकल के जिंदगी में किसी को अपना बनाने की भूल मत करना। अगर आपको लगता है की आप बहुत ही अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है तो आप दूसरे के बन जाने की कोशिश करना। क्योकि अगर आपने किसी को अपना बनाया तो संभव है आपको उससे धोखा अवश्य मिलेगा, ऐसी स्थिति में आपको दुखी होना पड़ेगा। और अगर आपको किसी ने अपना बनाया या आप किसी के हो गए तो उस व्यक्ति को कभी दुखी होने की स्थिति नहीं आएगी जैसा की आपका व्यक्तित्व है हर किसी को सम्मान और ख़ुशी बाटने का।

श्री अकेलानन्द जी

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