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बटोगे तो कटोगे – हिन्दू धर्म को खतरा? आखिर किससे ? भारत में हिन्दू जाति में दलितों का स्थान

बटोगे तो कटोगे – हिन्दू धर्म को खतरा? आखिर किससे ? भारत में हिन्दू जाति में दलितों का स्थान

 

भारत देश एक देश है जिसमे कई सारे धर्म, जाति और सम्प्रदाय के लोग स्वतंत्र होकर रहते है ।  इस देश में किसी को भी किसी धर्म को मानने या न मानने पर किसी भी तरह का दबाव नहीं दिया जाता  । कुछ लोग ईश्वर को मानने वाले है तो वहीँ कुछ नास्तिक भी देखने को मिल जायेंगे  लेकिन सभी में भारत देश के प्रति प्रेम देखने को मिल जायेगा ।

अगर हम जाति की बात करे तो अकेले हिन्दू धर्म में लगभग तीन हजार जातियां और पचीस हजार उपजातियां देखने को मिल जाएँगी ।  आखिर किसी एक धर्म के मानने वालों को इतने वर्गों में या जातियों में बांटने की जरुरत क्यों पड़ी ?

कुछ इतिहासकारों का मानना है की भारत देश के मूलनिवासी आदिवासी , जिन्हें दलित भी कहा जाता है वही है , बाकी अपने आप को उच्च वर्ग के मानने वाले तो बाहर से आये हुए है  । उन्होंने यंहा आकर भारत देश के भोली भाली  जनता (दलितों ) को मूर्ख बनाकर उन्हें निचला बताकर और अपने आपको सर्व श्रेष्ठ साबित कर दिया  । तब से लेकर आज के इस आधुनिक युग में भी हम इस जाति व्यवस्था से निकल नहीं पाए है ।  आज भी किसी दफ्तर में चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट सब जगह जाति पूछ कर काम किया जाता है अगर आप काम करने वाले कर्मचारी के निकटतम जाति के है तो आपका काम आसानी से हो जाता है वहीँ अगर आप निचली जाति से है तो आपका काम जरुरत से ज्यादा देर से होता है ।

बटोगे तो कटोगे – सारे हिन्दू एक हो जाओ – क्यों ?

(Hindu Dharm  me  Dalito ka sthan  )

दलित हिन्दू समाज का हिस्सा नहीं ?

हमारे देश के सभी बड़े हिन्दू नेता आज कल एक ही रट लगाये बैठे है की सभी हिन्दू एक हो जाओ , अगर बटोगे तो कटोगे

आखिर किस हिन्दू को एक होने की बात कर रहे है जहाँ एक दलित की फिल्म को आज के इस आधुनिक युग में भी नहीं रिलीज होने दिया जा रहा है ।

 

 

किस मुंह से आप उन्हें हिन्दू होने की बात कर रहे है !

जहाँ राजनीति में जातिवाद कूट कूट कर भरा हुआ है ब्राह्मणवादी विचार की बू आती है !

कहने को वो सभी को एक करना चाहते है परन्तु अन्दर ही अन्दर नफरत लिए बैठे है ।

सभी को गैर हिन्दुओ से खतरा है लेकिन यहाँ तो दलितों को आज भी हिन्दू नहीं माना जा रहा है । दशको पहले जो दलितों के साथ या यूं कहे की जो इस देश के असली मालिक है उनके साथ  भेदभाव होता आया है । आज दलित समाज अपने शिक्षा के बल पर बड़े बड़े कामयाबी हासिल कर रहा है इज्जत की रोटी खा रहा है लेकिन इन मनुवादियों को ये हजम नहीं हो रहा है ।

ये आदिकाल से ही दलितों के दुश्मन बने हुए है ।  हमारे देश के प्रधानमंत्री जब विदेश दौरे पर होते है तो कहते है मैं भगवान बुद्ध की धरती से आया हूँ  । परन्तु आज भी यहाँ बुद्ध के अनुयायियों को हिकारत के नजरो से देखा जाता है ।

कहते है फिल्मे समाज का आइना होते है जिसका प्रभाव सबके दिमाग पर होता है ।  अभी पीछे कई हिन्दू कहानियो पर आधारित फिल्मे आई जिनमे कइयो को लेकर आन्दोलन भी किये गए । परन्तु एक दलित आधारित फिल्म को इस देश में रिलीज नहीं होने दिया जा रहा है जो की सच्चाई को दर्शाती है ।

अब इस देश के दलितों पिछडो को सोचने की जरुरत है की ये मनुवादी आज भी आपके हितैषी नहीं है ।

ये कितना भी हिन्दू संगठित होने की बात कर रहे हो परन्तु आप ये समझ लेना की जब कोई जहरीला सांप सिर झुकाता है तो समझ लीजिये वो जहर उगलने की तैयारी में है ।

अब फैसला आपके हाथ में है की इन  मनुवादियो के पत्तल में झूठा चाटते रहना है या अपने दम पर आगे बढ़ना है ।

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अकेलानंद 

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परिवार (PARIVAR) टूटने का क्या कारण है – परिवार को टूटने से कैसे रोके

परिवार टूटने का क्या कारण है – परिवार को टूटने से कैसे रोके

संयुक्त परिवार के टूटने का कारण – क्या भाइयो का अलग होना विकास है या विनाश

हमारे भारत देश में संयुक्त परिवार का प्रचलन रहा है आज से 50 साल पहले संयुक्त परिवार भारी मात्रा में पाए जाते थे कुछ समय से संयुक्त परिवार मनो हमारे समाज से बिलकुल गायब होता जा रहा है ।

इसके क्या कारण है क्यों संयुक्त परिवार को लोग विकास में बाधा समझते है  भाई भाई तो अलग होते ही थे परन्तु आज के समय में बेटा अपने बाप से पत्नी अपने पति से अलग रहने लगी है ।

अगर उनसे पूछो तो कहते है हमें आजादी वाली जिन्दगी जीनी है हम किसी के रोक टोक में अपना जीवन नहीं बिताना चाहते है ।

हम अपनी मर्जी से जब जहाँ चाहे आ जा सके , जो करना चाहे करे चाहे वो अच्छा हो या बुरा परन्तु हमें कोई राय देने वाला पसंद नहीं है ।

अब पहले जान लेते है की संयुक्त परिवार क्या होता है क्योकि आज की पीढ़ी इससे कोसो दूर है ।

संयुक्त परिवार

संयुक्त और सुखी परिवार – अकेलानंद

संयुक्त परिवार का मतलब है जहाँ एक ही परिवार में  2-3 पीढ़ी साथ में रहती है, जैसे परदादा – परदादी , दादा – दादी , माँ – बाप और फिर बच्चे  इसमें दादा –दादी के चाहे 1 बेटा या बेटी हो या उससे अधिक सब साथ में रहते है । मतलब पूरे परिवार में सारे रिश्ते जैसे दादा –दादी , चाचा –चाची, ताऊ – ताई, चचेरे भाई – बहन , भाभिया , देवरानी जेठानी , सास- बहु सभी मिलजुलकर ख़ुशी से रहते है ।

इसमें जो भी बड़ा होता है सब उसकी आज्ञा मानते है और घर के सारे निर्णय उसी के होते है ।और यह निर्णय ऐसा नहीं की उसकी अपनी स्वार्थ के लिए होता है, इस निर्णय में पूरे परिवार की भलाई छिपी रहती है  और परिवार के सभी सदस्य उसे सहर्ष स्वीकार भी करते है ।

संयुक्त परिवार के फायदे

1 -एकजुट रहना

2- आपस में प्यार की भावना जो बच्चों में भी दिखाई देती है , बच्चों को सही मार्ग दर्शन मिलता है

3-किसी एक पर काम का बोझ नहीं होता

4- अगर किसी पर दुःख आ पड़ता है तो उसे एहसास नहीं होने दिया जाता सब मिलजुलकर इसे दूर करते है

5- घर की सुरक्षा बनी रहती है

6  -आर्थिक विकास होता है क्योकि सब मिलकर काम कर रहे होते है

 

अब जानते है परिवार के टूटने का कारण

परिवार के टूटने में सबसे ज्यादा मुखिया की लापरवाही और एकतरफा फैसला होता है

दो से ज्यादा भाइयो में किसी एक को ज्यादा तवज्जो देना

बहुओ में कम ज्यादा सम्मान देना

कमाने और न कमाने वालो के बीच हमेशा मतभेद पैदा करना

किसी के बच्चे को कम और किसी को ज्यादा प्यार देना

बेटे की शादी के बाद उससे अलग सा ब्यवहार करना

 

अंत में मैं यही कहना चाहूँगा की परिवार की एकजुटता में ही सारी खुशिया समायी हुई है । परन्तु आज कल के इस डिजिटल माहौल में सब कुछ बिगड़ता जा रहा है । टीवी सीरियल और फिल्मे देखकर लोगो ले दिमाग ख़राब होते जा रहे है । यह कहना अनुचित तो नहीं होगा की यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत हमारे देश के परिवार को तोड़ने का काम किया जा रहा है ।

इसलिए हमें जागरूक रहने की जरुरत है और अपने बच्चो को इन दकियानूसी धारावाहिकों से दूर रखे उन्हें अपनी संस्कृति और सभ्यता के बार में जानकारी दे । रामायण दिखाए जिनमे दौलत पाने के लिए नहीं त्यागने के लिए संघर्ष दिखाया गया है ।

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अकेलानंद की कलम से

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गाँव में बेरोजगारी का कारण – ग्रामीण भारत में बेरोजगारी की समस्या

गाँव में बेरोजगारी का कारण – ग्रामीण भारत में बेरोजगारी की समस्या । ग्रेजुएट युवा गाँव छोड़ शहर पलायन करने को मजबूर 

 

हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या चरम सीमा  पर है ।  अच्छे पढ़े लिखे लोग भी आज रोजगार के लिए दर दर भटक रहे है उनको कोई नौकरी नहीं मिल रहे है ।

यह अनुपात गावं में सबसे ज्यादा मात्रा में पाई जाती है

गाँव में किस वर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है ?

आपको बता दे की गाँव में जो निम्न वर्ग या निम्न मध्यम वर्ग (लोअर मिडिल क्लास ) के लोग है उनमे बेरोजगारी की समस्या सबसे ज्यादा पाई जाती है ।

क्या कारण है पढ़े लिखे होने के बावजूद भी वो लोग बेरोजगार होते है और शहर की तरफ पलायन करने करने को मजबूर हो जाते है ।

रोजगार की तलाश में गाँव से शहर की ओर पलायन

आज की तारीख  में युवा की एक अधिक अनुपात जो की ग्रेजुअट होने के बावजूद भी बेरोजगार है और शहर में रोजगार की तलाश में भटक रही है  इसका कारण  है कोई तकनीकी जानकारी न होना।

गाँव में पढाई का सिलेबस सामान्य होना एक बहुत बड़ा कारण है ,आज के युवा पीढ़ी को बेरोजगार करने के लिए ।  आपको बता दे की गाँव में 90 प्रतिशत बच्चे हाई स्कूल और इंटर करने के बाद बी ए की पढाई करते है और उसमे भी सामान्य विषय को लेकर , क्योकि वंहा पर वही विषय पढाये जाते है ।

हिंदी, इतिहास, भूगोल, समाज शास्त्र, आदि और अंग्रेजी तो कम ही मात्रा में पढाई जाती है। अब इन विषयों में ग्रेजुएट होने के बाद इन्हें किसी और तकनीक की जानकारी नहीं होती है । फिर ये लोग सरकारी नौकरी के फार्म भरते है और 3-4 साल बर्बाद करने के बाद थक हार कर अपने किसी नजदीकी पहचान वाले के साथ रोजी रोटी के चक्कर में शहर आ जाते है, क्योकि इनकी माली हालत इतनी अच्छी नहीं होती की ये आगे की पढाई भी कर सके ।

अब एक युवक है दीपक उम्र 22 वर्ष  जिसने गाँव में ग्रेजुएट की पढाई की और तमाम सरकारी फॉर्म भरने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिली । यंहा एक बात और है की छोटी से छोटी सरकारी नौकरी मिलने में भी लाखों का रिश्वत देना पड़ जाता है, जो की दीपक के परिवार के लिए संभव नहीं है ।  2 साल बीतने के बाद घर वाले और गाँव वाले भी उसे ताने देना शुरू कर देते है, की कमाई कुछ करता नहीं और सारा दिन बस घूमता रहता है । अब चूँकि वो पढ़ा लिखा है तो किसी के यंहा मजदूरी करने में भी उसे शर्म तो आयेगी ही ।  फिर कुछ रिश्तेदारों का सुझाव आता है की इसकी शादी करवा दो फिर अपनी जिम्मेदारी समझ कर कमाई भी करने लगेगा । और फिर क्या एक शुभ मुहूर्त देखकर दीपक की शादी करा दी जाती है। चूँकि लड़का ग्रेजुएट है तो शादी भी ठीक ठाक हो ही जाती है, और उसमे काफी सारा पैसा खर्च कर दिया जाता है जिसका 50 प्रतिशत कर्ज में लिया होता है ।

अब दीपक के पास  कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता और उसे शहर के तरफ पलायन करना पड़ता है रोजी रोटी की तलाश में ।

यंहा आकर उसे पता चलता है की उसकी पढाई तो किसी काम की नहीं है क्योंकि उसने कोई स्किल नहीं सीखी है उसकी अंग्रेजी भी सामान्य से कम है । कई कंपनियों के ख़ाक छानने के बाद उसे हेल्पर की ही नौकरी मिल पाती है । अब चूँकि उस पर परिवार की जिम्मेदारी आ चुकी है तो किसी भी स्किल को सीखने का उसके पास समय नहीं है उसे तुरंत से पैसे कमाने की जरुरत है जिससे परिवार का खर्चा चल सके ।

फिर शुरू होता है एक ऐसा सफ़र जिसका कोई मकसद नहीं होता है अपनी जिन्दगी के 30-40 साल किसी ऐसे कम्पनी में बिता देता है, जहाँ उसके पढाई से कोई लेना देना नहीं  है । उसी जगह जो कर्मचारी मात्र दसवी पास है परन्तु उनके पास स्किल है कोई तकनीकी जानकारी है वो उससे अच्छा पैसा कमा रहे है।

क्या है इस बेरोजगारी को दूर करने का उपाय

 

पढाई के सिलेबस में बदलाव  जरुरी है

तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना

पैसा कमाने के तरीके को समझाना

पैसो का मनेजमेंट कैसे करे इस पर भी जानकारी देना

नौकर की जगह मालिक बनने पर जोर देना

बिजनेस स्टार्ट अप पर फोकस करना

सिर्फ सरकारी नौकरी के भरोसे पर नहीं रहना , जो की आज के समय में नामुमकिन है

सरकार को चाहिए की गाँव में MSME सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को बढ़ावा देना

आप सबसे निवेदन है की अपने बच्चो की पढाई पर खर्च करे परन्तु सोच समझकर किसी ऐसे विषय की पढाई जो की उसके भविष्य में कोई योगदान नहीं दे रही, उस तरफ न जाये बल्कि किसी तकनीकी शिक्षा पर पैसे खर्च करे ।

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शादी के बाद बेटे को पराया कर दिया जाता है ! SHADI KE BAAD BETE KO PARAYA KAR DIYA JATA HAI

शादी के बाद बेटे को पराया कर दिया जाता है !

हमारे देश में यही माना जाता है की बेटियों परायी होती है लेकिन मैं एक सच्चाई और बताना चाहता हूँ की बेटियां तो परायी होती है लेकिन शादी के बाद बेटो को पराया कर दिया जाता है l

घर में बहु से ज्यादा बेटो के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है

कहते है शादी के बाद बेटे अपनी पत्नी का साथ देने लगते है और माँ बाप को भूल जाते है l माँ बाप ने बड़ी मुश्किल से अपने बच्चों को पाला होता है इसी उम्मीद के साथ के वो बुढ़ापे में उनका सहारा बनेंगे l लेकिन बेटे है की शादी होते हे माँ बाप को भूल जाते है और अलग रहने लगते है l जबकि सच्चाई उसके उल्टा ही होता है l मैं आपको बताता हूँ की लडको के साथ क्या होता है :

आप सब ने यह महसूस किया होगा की जब तक हमारी शादी, मेरा मतलब की लडको की शादी नहीं होती तब तक वो अपने परिवार में किसी के साथ लड़ झगड सकते है, किसी को भी परेशान कर सकते है l अपने छोटे भाई बहन को जो चाहे बोल सकते है, डांट सकते है l पिता से किसी भी चीज को लेकर जिद कर सकते है l नाराज हो सकते है अपनी माता की छोटी छोटी बातो पर l कभी काम किया कभी नहीं करने का बहाना बना सकते है , फिर भी परिवार के दुलारे बने रहते है l
शादी होते ही सब एकदम उल्टा हो जाता है l जिस बहन को वो अभी तक हक़ से डांट सकता था उसे छोटी सी बात बोलने से भी सोचना पड़ता है , क्योकि वही बहन पलट कर जवाब देती है की जाकर अपनी बीवी के ऊपर चिल्लाओ, हक़ जातो, तुम मुझे कमाकर खिला नहीं रहे हो l

जिस माता से खाना पानी मांगता रहता था वही अब कभी कभार बोल देती है को मैडम जी किसलिए है तुम्हे खाना पानी नहीं दे सकती है क्या l
अगर एक दिन काम के लिए न जाये तो पिता की बात सुनने को मिलती है की कमाएगा नहीं तो क्या खायेगा l मैं अब कमाकर नहीं खिलाने वाला दोनों पति पत्नी को l कल तक जो बेटा सबका लाडला था आज मनो जैसे एक पत्नी के आते है अपने आपको पराया महसूस करने लगता है l

इन सभी बातो के वजह से वो बीवी की तरफ खिंचा चला जाता है और फिर शुरू हो जाते है अलगाव होने की स्थितिया जो धीरे धीरे बड़ा रूप ले लेती है l और फिर एक दिन वो अपने परिवार से अलग अपनी पत्नी के साथ रहने लगता है और फिर उसे एक नालायक बेटे का दर्जा दे दिया जाता है l

इस पुरे प्रकरण में बेचारा लड़का ही पिसता है और लोग कहते है की लड़की परायी होती है लेकिन लड़के को तो पराया कर दिया जाता है l

अब आप लोगो को क्या राय है, अपने विचार जरुर लिखे l

अकेलानंद

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फासला – रूठने और मनाने के बीच का

फासला - रूठने और मनाने के बीच का

हम सभी लोगो के बीच रूठने और मनाने का सिलसिला चलता रहता है चाहे वो रिश्ता हमारे खून का हो, दोस्ती का हो या फिर किसी अजनबी से रिश्ते का l कभी कभी तो लोग इसलिए रुठते है ताकि वो दुसरे पर अपने अधिकार को जता सके l 

रूठने से एक तरफ जहाँ प्यार का,  रिश्ते का, अपनेपन  के एहसास का पता चलता है वही कभी- कभी ये दूरी का भी कारण बन जाता है I कहते है रूठे रब को मनाना आसान है पर रूठे यार को मनाना मुश्किल I परन्तु रूठना उसी के लिए उपयुक्त होता है जिसका कोई मनाने वाला हो l बेवजह ही रूठकर अपने आप को व्यंग्य का स्रोत नही बनाना चाहिए l

अब आता है मनाने वाले की भूमिका –     रूठने वाले से ज्यादा मनाने वाला समझदार होना चाहिए l अगर आपका कोई दोस्त रूठ कर चला जाता है लेकिन आपको उसे मनाने का मार्ग नहीं पता है तो  आप उसे खो भी सकते है l और रूठने और मनाने के बीच का फासला अत्यंत ही गम्भीर हो जाता है , कभी –कभी तो हम सोचते है की अगर सामने वाला रूठकर गया है तो स्वयं ही वापस भी आ जायेगा l और  हम उसे मनाने के लिए बिलम्ब कर देते है l मैं आपको यह सलाह अवश्य देना चाहूँगा की अगर आपका कोई अपना रूठकर गया है तो अविलम्ब उसे मनाकर वापस ले आये l  क्योकि इंसान जब किसी कारण से रूठकर जाता है तो उसके मस्तिष्क में विचारों का एक द्वन्द चल रहा होता है l अगर उन विचारों पर अंकुश न लगाया जाये तो यह एक भयानक रूप भी ले लेती है l ऐसी स्थिति में कभी – कभी वो दूसरो की  सलाह भी लेने लगता है और शायद आपको ये पता होना चाहिए ऐसी स्थिति में सलाह देने वाला कभी आपका भला नही सोचेगा l और फिर ये आपसे दूर जाने का एक कारण भी बन सकता है l

रूठने का कारण – रूठने और मनाने की प्रक्रिया तो आजीवन चलती रहती है l अब यंहा विचार करने वाली ये बात है की रूठने का कारण क्या है l क्या वो कारण एक साधारण सी बात हो जिसके ऊपर ध्यान देने या न देने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो यकीन मानिये रूठने वाला ज्यादा देर तक आपसे दूर नहीं रह सकता l

लेकिन अगर कारण बड़ा है, जिसके वजह से आपकी जिन्दगी पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ रहा है तो उस स्थिति में आपको अपने दोस्त की बात मानने में कोई त्रुटी नहीं है  l क्यों की इस कारण से रूठने वाला आपका दोस्त सम्भवतः आसानी से आपकी जिन्दगी में वापिस नहीं आयेगा l और अगर मान ले की वह आपके प्यार की वजह से वापस आ भी जाता है , तब तक बहुत देर हो चुकी होती है l और जो अनहोनी या यूँ कहे की जिसे होने की सम्भावना की वजह से वो आपसे रूठकर गया था , तब तक वो घट चुकी होती है l और अब ऐसी स्थिति में उसके होने या न होने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता l वह तो मात्र एक औपचारिकता ही होगी l

सच्चे  लोग आपकी जिन्दगी में बड़ी किस्मत से मिलते है , जो आपकी भलाई के लिए अपने आपको त्याग देते है l

इसलिए अगर आपका कोई दोस्त, नजदीकी, आपका चाहने वाला आपसे रूठकर जाता है तो समय रहते उसे मना लीजिये l क्योकि ये फासला जितना अधिक होगा, उसके वापस आने की उम्मीद उतनी कम होती जाएगी l

” रूठे यार मनाइये  , मत करिएगा विलंब l

बिन यार तुम्हारी जिन्दगी, खड़ा रहा स्तम्भ ll “

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प्यार वरदान है तो मोह अभिशाप

 प्यार अगर वरदान है तो वही मोह अभिशाप बन जाता है l किसी भी इंसान का अपनी परिस्थिति के वश में हो जाना और उसके अनुसार आचरण करना तो उसकी विवशता हो जाती है l परन्तु यदि आप किसी के मोह वश हो जाये और आपकी हंसी , आपका आनंद, आपका चैन दूसरे की बर्ताव पर निर्भर करे  तो यकीन मानिये आप उसके पूर्णतया अधीन हो चुके है l आपके मस्तिष्क पर उस इंसान का नियंत्रण हो चुका है l और आपकी मनोदशा विक्षिप्त हो चुकी है l हर पल, हर घडी , प्रत्येक स्थिति में आप उसी का चिंतन कर रहे होते है l

आप  अपना महत्व खत्म कर चुके है , अब आपकी गुणवत्ता एक निमित्त मात्र रह गयी है l

जिस तरह से एक कठपुतली का नृत्य दिखाने वाला मदारी का सम्पूर्ण नियंत्रण उसके कठपुतली पर होता है , वो जिस दिशा में चाहे , जिस कोण से चाहे उसे नचा सकता है , उससे जो भी भाव प्रकट करना चाहे या वाक्य कहना चाहे , वो सब कर सकता है l आपकी स्थिति भी एक कठपुतली की तरह हो जाती है l 

फिर भी  आप किसी के मोहवश में हो चुके है तो कठपुतली की जगह बुत बनना उचित रहेगा l आपको मौन धारण कर लेना चाहिए , और एक तरह से अपने आपको उसके सम्मुख निष्क्रिय बना देना चाहिए l ऐसी स्थिति में न तो आपके उपर किसी तरह का मानसिक दबाव रहेगा और न ही कोई दूसरा आपको अपने इशारे पर नचाने की चेष्टा करेगा l अपने आपको इस तरह निर्माण कीजिये की लोग आपकी वजह से नहीं आपके लिए बेचैन रहे और आपको उनके उस बर्ताव से कोई प्रभाव पड़े

प्यार रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है  l परन्तु मोह इंसान को हमेशा से कमजोर  बनाता आया है l 

हर पिता को अपने पुत्र से प्रेम होता है और वो चाहता है की वो अपने जीवन में एक सफल और सच्चा नागरिक बने, परन्तु यदि उसे मोह हो  जाए तो वह अपने पुत्र का त्याग नहीं कर पाएगा और फिर वो बालक न तो किसी विद्यालय में जा सकेगा और न ही अन्य कुशलताओ में निपुण हो सकेगा l अगर आप किसी का भला चाहते है , उसके व्यक्तित्व को निखारना चाहते है तो एक दायरे में रहकर कीजिये तभी आप सफल हो सकेंगे l जिस दिन आप उसके मोहवश हो जायेंगे यकीनन उसके साथ -साथ आप भी अपने आपको शुन्य कर लेंगे l 

फिर भी अगर आप उस इन्सान के बगैर चिंतित है, तो एक बार अपने आपको आइने में देखकर स्वयं से प्रश्न कीजिये क्या आपकी कीमत बस इतनी सी है की कोई भी आपका मालिक बन जाये l

अपने आपको अकेला कर लीजिये, और फिर देखिये समय का चक्र कैसे आपके अनुरूप काम करना शुरू करता है l 

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जिन्दगी में एक बार- जरूर करें प्यार

हर इन्सान को जिन्दगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए Iप्यार होने के बाद आपको सभी  भावनाओ, दर्द, एहसास, ऐतबार, इन्तजार, बेवफाई –रुसवाई, इर्ष्या, चिडचिडाहट ना जाने कितने ऐसे चीजो का मतलब समझ में आ जाता है जो वर्षो तक अध्ययन करने के बाद भी बड़े बड़े विद्वानों को समझ में नहीं आती I

एक एक पल का इंतजार कितना भारी महसूस होता है, शायद ही कोई समय का पावंद व्यक्ति समझ सके I हर बात को सोच समझ कर बोलना पड़ता है, कही उसके प्रेमी या प्रेमिका को बुरा न लग जाये I अपने और उसके पसंद नपसंद का ख्याल करना बहुत कुछ सिखा  जाता है I

अगर आप खुशकिश्मत हुए तो आपका प्यार सफल हो जायेगा, फिर हर चीज आपको आसान  लगने लगती है I फिर जिन्दगी
में बड़ी से बड़ी चीजो को हासिल करना आपका जुनून बन जाता है I

लेकिन अगर आपका प्यार सफल नहीं होता है या प्यार में धोखा मिलता है जो अक्सर मिलता ही रहता है I ऐसी स्थिति में जो एक दुखो का पहाड़ आपके ऊपर गिरता है, अगर उसे आपने संयम से दिल को काबू में रखकर सामान्य कर लिया तो यकींन मानिये जिन्दगी में कभी भी बड़ी से बड़ी मुसीबत के सामने भी आप विचलित नहीं हो सकते I

आप एक ऊँचे मुकाम को हासिल कर सकते है क्योकि अब आपके जज्बात खत्म हो चुके है I  किसी के लिए कोई भावना शेष नहीं रह गयी है I अब आपको  सिर्फ आपकी मंजिल दिखाई देती है I अब आपकी जिन्दगी में कोई सही-गलत, रोक-टोक करने वाला नहीं रह जाता I फिर एक बार सफल होने के बाद कोई आपको प्यार करने से इंकार कर सके ऐसा शायद ही होगा I

लेकिन अगर फिर भी ऐसा होता है तो अपने आप से प्यार करना सीख लीजिये, फिर किसी के प्यार की जरुरत नहीं पड़ेगी 

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राज और राजदार – एक हद तक सीमित रखे

राज

हम सबकी जिन्दगी में कोई न कोई राज जरूर होते है अगर किसी कारणवश वो  सबके सामने आ जाये तो हो सकता है की आपकी जिन्दगी में कोई भी अनहोनी हो जाये

कुछ राज सकारात्मक भी हो सकते है लेकिन अधिकतर नकारात्मक ही होते है इसलिए तो उन्हें राज रखना पड़ता है

हम सबकी जिन्दगी में जाने अनजाने ऐसी घटनाये घट जाती है या कुछ ऐसा कर जाते है जिन्हें सोचकर बाद में पछतावा ही होता है

ये आपके साथ घटी हुई कोई घटना हो सकती है , या आपके द्वारा की गयी कोई भूल.

राजदार

अब चूकि कोई न कोई राज होने कारण एक राजदार भी होता है  जिसे आपसे ज्यादा आपके बारे में पता होता है I

हम अपनी छोटी बड़ी सारी बाते उसके साथ साझा करते है I लेकिन एक समय ऐसा भी आ जाता है जब दोनों के रास्ते अलग अलग हो जाते है I चाहे वो व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक कारणों से I ऐसे में हमारे मन में एक ही शंका उठती है की क्या वो भी उस राज को राज रख पायेगा जो सिर्फ और सिर्फ उसे ही पता है I अगर कही उसने किसी के सामने उसे व्यक्त कर दिया तो मेरी इज्जत भी जा सकती है,   हमारी सारी  छबि धूमिल हो सकती है I अब इस हालात में हम  कुछ भी करने या न करने की स्थिति में रहते है I इसलिए जितना संभव हो सके किसी राजदार से तो दूर रहे , लेकिन अगर है तो कोशिश करे की उसके साथ एक दायरा बना कर रखे I

तो क्या हमें अपने राज किसी को बताने नहीं चाहिए ?

नहीं, मै  तो यही जनता हूँ की हर इंसान  से कोई न कोई भूल अवश्य हो जाती है,  और कुछ न कुछ अनचाही  घटनाये भी हो जाती है I आपको चाहिए की जितना संभव हो अपने राज अपने तक ही सीमित रखे I क्योकि  उसके उजागर होने से आपकी इज्जत दावं पर भी लग सकती हैI वो आपकी कोई भूल भी हो सकती है I लेकिन समय के साथ हर बड़ी छोटी घटनाएं ढक जाती है I

अब हमें खुदको सबके सामने कैसे प्रस्तुत करना है  ये सिर्फ आपके विचार पर निभर है

क्या पति-पत्नी के बीच में राज रहना चाहिए ?

मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा की वो अपनी पत्नी को बेहद प्यार करता था I एक दिन बातो ही बातो में उसने वो सब बता दिए जो की उसकी नजर में महज एक भूल थी लेकिन  उस घटना के बाद दोनों के बीच में तनाव उत्पन्न हो गया I मैं  यह नहीं कहता की अपने जीवनसाथी से कोई बात छुपा कर रखो.मैं इतना जरूर कहना चाहूँगा की जिस बात को राज रखने में ही परिवार की भलाई हो उसे राज ही रहने दे तो जीवन आसान  रहती है I  शादी से पहले की जिन्दगी में दोनों के कुछ राज जरूर होते है अब उन बातो को आगे लाने का कोई औचित्य नहीं है I

कोशश करे की पुनः ऐसी कोई भूल न हो जाये जिससे एक दुसरे से नजर न मिला पाए . इस लिए बीती हुई बातो पर पर्दा डालने में ही भलाई है


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प्यार एक प्रसाद है​

प्यार कोई सस्ती चीज़ नहीं जो यूँ ही लोग बांटते रहे, और इतनी महंगी भी नहीं की किसी को मिल भी न सके I

प्यार एक पूजा है, और एक उचित समय तक पूजा करने के बाद ही प्यार का प्रसाद मिल सकता है I

अब प्रसाद देने वाले के ऊपर निर्भर करता है की वो आपको किस मात्रा  में दे, अगर कम मिलता है तो भी हमें निराश नहीं होना चाहिए I कभी कभी हम प्रसाद को दोबारा मांगने की भी चेष्टा करते है, तो कभी मिल जाता है और ज्यादातर नहीं मिलता है I हमें इस बात से निराश नहीं होना चाहिए , बल्कि खुश होना चाहिए क्योकि किसी किसी के नसीब में तो इतना भी नहीं है I

अब आपकी लगन और निष्ठा पर निभर है की आपका प्यार कब तक स्थायी रहता है क्योकि प्यार पाने वालों की क़तार बहुत लम्बी है I जिन्दगी में सब कुछ आसानी से नहीं मिलता है, हमें लगातार कोशिश करते रहना चाहिए I 

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विश्वास, अपनो और गैरों के सहारे का मापदंड

आज भरम टूट ही गया, दूर हो गई सारी गलतफहमी

जो चाहकर भी नहीं रोक सके उसके आंखों की नमी।।

जिस विश्वास को बनाने में तुम अपना सौ प्रतिशत लगा देते हो, हर वह संभव प्रयास करते हो जिससे आप दोनों के बीच की विश्वास की

डोर मजबूत होती जाए I तुम उसे यह जताने मे सक्षम हो जाओ की अब तुम्ही मात्र एक ऐसे व्यक्ति हो जिस पर व आँख बंद करके भी

भरोसा कर सकती है। और उसे ऐसा लगने भी लगा जो तुम चाहते हो तो सब कुछ अच्छा लगतहै और गाड़ी मानो पटरी पर चल

पड़ती है। एक दूसरे के सहारे कई सारे सपने बुनने लगते है, और हर छोटी बड़ी बाते साझा करते है। और समय का

पहिया तेजी से चल पड़ता है।

फिर अचानक किसी की बुरी नजर तुम्हारे इस पवित्र रिश्ते पर पड़ जाती है, और वह व्यक्ति इसे गलत ठहराने का हर

संभव प्रयास करता है, और कहीं न कहीं सफल भी हो जाता है। अब उसको तुम्हारे खिलाफ इतना भडका देता है,

तुम्हारी बुराई और उसके साथ सहानुभूति दिखाने का प्रपंच करता है, अब अगर उसके मन मे तुम्हारे प्रति

अविश्वास की भावना जगती है तो कहीं न कही ऐसा संभव है की कुछ तो शेष रह गया था जहाँ पर अभी भी

दरार थी, क्योकि छत अगर मजबूत हो तो लाख बारिश हो,पानी नही टपकता, लेकिन अगर एक सुई जितना भी

सुराख हो तो सब नष्ट हो जाता है।

अब चूकि वो तुमसे नाराज है, तुम्हे अविश्वास की नजरो से देखती है, साथ मे दुखी भी है क्योकि उसे किसी और

के द्वारा ठेस पहुँचा है, उसका दिल अंदर से रो रहा है……..

ऐसे मे अगर वो अपने दिल को बहलाने के लिए, अपने आंसू को रोकने के लिए, अपनी भावना को व्यक्त करने

के लिए किसी अतीत का सहारा लेती है, और उससे बात करके खुद को हल्का महसूस करती है तो जरा सोचो

फिर तुम कौन हो, क्या हुआ तुम्हारे विश्वास का, क्या उसके साथ तुम्हारा विश्वास अडिग रह पायेगा,

अब तुम्हारी भावनाओ का क्या? तुम्हारे उस प्यार, दोस्ती, इंसानियत या जो भी था वो तो चकनाचूर हो गया न।

मानता हूँ तुम बहुत अच्छे इंसान हो, दुसरो का ख्याल खुद से ज्यादा करते हो। सामने वाले को सदा खुश रखना

चाहते हो, लेकिन तुम हार गये, खुद से, क्योकि शुरुआत तो तुमने ही किया था…….

अब तुम्हारे पास एक ही रास्ता है……. जी हाँ, वही जो तुम सोच रहे हो………

परंतु तुम ऐसा नही करोगे, क्योकि तुम उसे दुख नही दे पाओगे, अब अगर हिम्मत है तो फिर से उसी नक्शेकदम

पर आगे बढ़ जाओ, अन्यथा पहले की तरह अपनी किस्मत भर भरोसा कर लो……

सामने वाले पर फर्क पड़े या न पड़े, परंतु तुम पर जरूर होगा।

अकेलानंद

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सच्चा प्यार और शक

आज के इस दौर में निःस्वार्थ प्रेम अकल्पनीय हैं, अगर किसी के साथ या किसी भी व्यक्ति को निःस्वार्थ प्रेम मिलता है तो

लोग उसे शक औऱ तार्किक नजरों से देखते हैं कि कहीं न कही इसमे कोई मतलब या स्वार्थ जरूर छिपा है,

कहते है दौलत , शोहरत और इज्जत , परिश्रम और पुरूषार्थ से मिल जाते है, मगर सच्चा प्यार या सच्ची दोस्ती

सिर्फ और सिर्फ नसीब से मिलता है, और ये हर किसी का नसीब नही होता है।

अगर आपको नसीब से ऐसा प्यार या प्यार करने वाले, साथ निभाने वाले मिल जाते है तो अनायास ही उन पर

शक करके या ये सोचकर कि अमुक व्यकि का कोई न कोई स्वार्थ होगा, तो ऐसा करके आप खुद के नसीब को

निष्फल कर रहे हों।

क्योकि ऐसे निस्वार्थ प्रेम करने वाले कभी नही चाहेंगे कि कोई उनके चरित्र पर शक करे औऱ फिर वो बिना कुछ

कहे या बिना किसी तरह का हानि पहुचाये आपकी जिंदगी से दूर चले जाते है।

अब निर्णय आपको करना है , उसे अपनाना है या ठुकराना है……………..

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पैसा , प्यार, और पहचान

किसी भी इंसान को अगर ” पैसा , प्यार, और पहचान ” उसकी क्षमता या उम्मीद से ज्यादा मिल जाये तो हो सकता है है की जाने या अनजाने में उससे छोटी या बड़ी गलती हो जाये , ऐसी स्थिति में उसका नुकसान हो सकता है।
इसलिए ऐसी स्थिति में संयम बरतने की आवश्यकता है।

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रिश्ते मुट्ठी में बंद रेत की तरह है

 

रिश्ते हमारी मुट्ठी में बंद रेत की तरह होते है , अगर उन्हें ढीला किया जायेगा तो एक साथ नीचे गिर जाते है और अगर उन्हें जोर से पकड़ा जायेगा तो उंगलियो के बीच खाली जगह से निकलने की कोशिश करते है। अगर उनमे प्रेम और विश्वास की जल की बूंदे डालते रहे तो ये मजबूत हो जाते है।

यही हमारे बीच रिश्ते में भी होते है हमें सामंजस्य बिठा के रखना चाहिये। किस रिश्ते में कितने प्यार या मनुहार की जरुरत है इसका भी ध्यान रखना चाहिए। न तो बेवजह किसी पर ज्यादा ही प्यार जताना चाहिए क्योकि हो सकता है उस व्यक्ति को ये सब मात्र एक दिखावा लगे।
और जिसे जयादा प्यार की जरुरत हो उसे मात्र हम एक औपचारिकता निभा रहे हो।
इसके लिए आपको अपने विवेक से काम लेना चाहिए। जिसे आप प्यार करते है उसे विश्वास दिलाये की आप हर परस्थिति में उसके साथ है।
और जो आपको प्यार करता है उसकी भावना की क़द्र करनी चाहिए।

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अपने अंदर के भावना को दबाये नहीं, समय पर जता देना चाहिए

अगर आप को किसी भी व्यक्ति या जीव पर प्रेम अथवा नकारत्मक भाव आ रहे है तो कोशिश करे की उसी समय प्रदर्शित कर दे या उसके साथ साझा कर दे। मान लो आपका कोई मित्र, सहकर्मी या रिश्तेदार आपको बार बार परेशान कर रहा है या उसकी कुछ आदते या बाते आपको अच्छी नहीं लगती तो उसे अनदेखा कर देना चाहिए एक या दो बार के लिए, लेकिन अगर यह प्रक्रिया निरंतर आपके साथ हो रही है तो आपको उससे दूरिया बना लेना चाहिये लेकिन अगर स्थिति ऐसी हो की आप उससे दूर यही हो सकते जैसा की वो आपका सहकर्मी है या आपसे ऊँचे पद पर है तो एक बार उसे समझा देना चाहिए की आपको ये बर्ताव पसंद नहीं है।


अगर अपने समय रहते ऐसा नहीं किया तो आपके अंदर जो उस अमुक व्यक्ति के लिए ईर्ष्या या क्रोध की भावना पल रही है किसी दिन एक ज्वालामुखी की तरह फट सकता है और उसके लिए किसी बड़े कारण की भी जरूरत नहीं होगी , और इतने दिनों तक जैसा की आप सोच रहे थे की आपके रिश्ते में कोई तनाव न हो उस समय आप दोनों के पास कोई विकल्प ही नहीं रह जायेगा।
और काफी दिनों की नजदीकियां हमेशा हमेशा के लिए दूरियों में बदल जाएगी।

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अपनों की निन्दा और तारीफ

अपनो द्वारा किये गए निरन्तर प्रशंसा से आपकी ख्याति दूर-दूर तक फैले ऐसा शायद ही हो,

परन्तु अपनो द्वारा किया गया निंदा का एक शब्द भी आपको चारो ओर बदनाम करने के लिए काफी है।

अकेलानंद

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