हास्य पद्य

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पत्नी

पत्नी 

 

पत्नी है जान मेरी
‎पत्नी है शान मेरी
‎हर पल पत्नी हीं
‎रखती है ध्यान मेरी
‎पत्नी हीं ध्यान है
‎पत्नी हीं ज्ञान है
‎सभी देविओं में सिर्फ
‎पत्नी महान है
‎पत्नी सुबह होती
‎पत्नी हीं शाम है
‎पत्नी के दया से हीं
‎बनते सब काम है
‎पत्नी हीं भूख होती
‎पत्नी हीं प्यास है
‎सुख दुख गम की
‎पत्नी हीं रास है
‎पत्नी बनाती घर
‎पत्नी सजाती घर
‎पत्नी से हीं मिलती
‎चैन की सांस है
‎पत्नी के साथ रहो
‎जो वो चाहे वही कहो
‎वरना पूरे घर की
‎करतीं विनाश है

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कवि बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”

बस्ती-उत्तर प्रदेश 

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मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ,बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है

कवि एवं अभिनेता – बीरेंद्र गौतम (अकेलानंद )

अकेलानंद

मेरी वाली वेकअप करके मेकअप करती है ।

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

किसी से मिलने जाऊ या किसी से मैं बतियाऊं,

सुबह शाम मोबाईल मेरा चेकअप करती है।

नए पुराने दोस्त किसी से कभी न मिलने देती,

गर लडकी के बगल से गुजरूँ पूरी खबर वो लेती ।।

खुद तो कितने लडको से वो हैण्ड शेकअप करती है,

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

इस सन्डे को कपड़े मांगे उस सन्डे को सैंडल,

खर्चा इतना करवाती अब होती नही है हैंडल ।

मिलते ही सैलरी सारी वो टेकअप करती है,

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

सुबह सुबह बिस्तर से बोले जल्दी दे दो काफी,

गलती चाहे वो करती फिर भी मैं मांगू माफ़ी ।

जाने की धमकी देती, फौरन पैकअप करती है ,

बात बात पर मुझसे वो ब्रेकअप करती है ।।

 

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पति पत्नी हास्य कविता – पत्नी का आतंक

पति -पत्नी हास्य कविता – पत्नी का आतंक

 

कवि- बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद”

तर्ज– आओ बच्चों तुम्हे दिखाएँ  झांकी हिंदुस्तान की

 

आओ किस्सा तुम्हे सुनाये , पतियों के अपमान की

बचना चाहो तो बात सुनो ,  अकेलानंद महान की

“घरवाली की जय बोलो घर वाली की जय ”

आज सुबह ही पत्नी  मेरी बहुत हुई थी गुस्सा,

उसी भाव में उसने मुझको एक लगाया घूसा । घर वाली की जय बोलो -2

घूसा खाकर मै तो मानो खुद में सिमट गया था,

पास में बैठा बेटा मेरा उससे लिपट गया था ।

बेटा  बोला सुन मेरी माँ तूने पापा को क्यों  मारा,

पहले मेरे आंसू पोंछे फिर मम्मी को ललकारा ।।घर वाली की जय बोलो -2

पहले पत्नी  मुस्काई फिर हाथ उठाया चिमटा,

देख नज़ारा बेटा मेरा गोदी में आ सिमटा ।

अभी तलक जो कुछ थी ठंडी, अब बन गयी थी चंडी,

हम दोनों ऐसे चिल्लाये जैसे हो सब्जी मंडी ।। घर वाली की जय बोलो -2

हाथ जोड़कर मैंने पूंछा मेरी क्या गलती है,

केवल तेरा राज नहीं, कुछ मेरी भी चलती है ।

बस इतना सुनना था की वो नागिन सी फुफकारी,

उस चिमटे से कहाँ कहाँ जाने फिर हमको मारी ।। घर वाली की जय बोलो -2

अब तक मैं था समझ गया ये केवल उसका घर है,

वो इस घर की मालकिन और हम तो बस नौकर है ।

आप सभी से विनती मेरी पत्नी का  सम्मान करो ,

जो न पिटना चाहो तो पूरे हर अरमान करो ।।

‘घर वाली की जय बोलो घर वाली की जय ”

 

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मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम

मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम –

 

मुझे वोट देने का क्या लोगे ?

नेता जी का कथन –

रुपया या पैसा नगद लोगे तुम

या बिजली पानी मुफत लोगे तुम

वोटर मेरे ये बता दे मुझे

मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम

बस में फ्री का टिकट लोगे तुम

या वादों के मीठे शब्द लोगे तुम

चाचा मेरे ये बता दो मुझे

मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम

अरे कुछ तो बोल, मुंह तो खोल

दारु की नदिया बहा दुंगा

जिस भी हिरोइन का नाम बता

गलियों में तेरे नचा दुंगा

अब पीने की कोई जगह लोगे तुम

चखने में चिकन मटन लोगे तुम

वोटर मेरे ये बता दे मुझे

मुझे वोट देने का क्या लोगे तुम

वोटर का जवाब – 

झूठा है वादा तेरा, ऐतबार कोई नहीं

बेईमान सब है बड़े, इमानदार कोई नहीं

तू स्वार्थी है कपटी है , पागल बनाता है

जब जीत जाता है आँखे दिखाता है

अपना भी जमीर है ऐसा थोड़े होता है

वोट के बदले सदा नोट नहीं होता है

अरे जिसको भी चाहे पिला दोगे तुम

नशे में साथ अपने मिला लोगे तुम

नेता मेरे ये बता दे मुझे ,

यंहा से भाग जाने का क्या लोगे तुम

मेरे देश को बचाने का क्या लोगे तुम

 

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