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तेरा मुझसे दूर जाने का गम नहीं

तेरा मुझसे दूर जाने का गम नहीं 

 

 

तेरा मुझसे दूर जाने का कोई गम नहीं,

सुकून है इसकी वजह तो हम नहीं ।

जमाने से जाकर मेरी ही कमियाँ गिनाएगी,

फिर भी यकीं है की तेरी दलील में कोई दम नहीं ।।

 

इस हुश्न की तारीफ़ में कुछ न बोलूँगा ,

हर गम को सहते हुए छुपकर रो लूँगा ।

मालूम है उसका प्यार सिर्फ मेरा ही नहीं है ,

पर ये राज जमाने के सामने नहीं खोलूँगा ।।

 

कहने को तो बहुत कुछ है पर आप सुनते कहाँ हो ,

हमारे यादो के भी सपने आप  बुनते कहाँ हो ।

हमने तो पहली नजर में आपको अपना बना लिया,

किसी कशमकस  में आप हमें चुनते कहाँ हो ।।

 

उसकी बेरुखी को कब तक सह पाऊंगा ,

अब जाने किस हद तक चुप रह पाऊंगा ।

पता है वो शामिल है किसी गैर की महफ़िल में ,

प्यार खोने के डर से मैं कुछ न कह पाऊंगा ।।

इसे भी पढ़े- तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे 

बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद ”

 

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कोई दिन न बचा ऐसा कि जब तेरी याद न आई हो

कोई दिन न बचा ऐसा कि जब तेरी याद न आई हो

 

कोई दिन न बचा ऐसा

कोई दिन न बचा ऐसा की,

                      जब तेरी याद न आई हो |                    

कोई पल नहीं याद मुझे की,

जब तेरी याद न आई हो ||

यूँ तो साँसे भी छोड़ जाती है ,

एक बार को धोखा देकर |

आंसू भी आँख से गिर जाते ,

किसी अपने को खोकर ||

इक मेरा दिल ही है जिसमे ,

कोई बदलाव न आई हो |

कोई पल नहीं याद मुझे ,

की जब तेरी याद न आयी हो ||

क्या याद तनिक भी है तुझको ,

जो कसमे मिलकर खाई थी |

दोनों से पूरी दुनिया थी ,

बाकी सब लगी परायी थी ||

हैरान नहीं हूँ मैं तुझ पर ,

इक वादा भी अगर निभाई हो |

कोई पल नही याद मुझे की ,

जब तेरी याद न आयी हो ||

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                   बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद ” 

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हसरत उसे पाने की पूरी न हो सकी

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