तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे
तू तडपेगी जरूर , मगर धीरे धीरे ।
मिलने को होगी मजबूर , मगर धीरे धीरे ।
आइना देखकर यूँ, इतना इतराया न कर,
ये उम्र भी ढलेगी जरूर, मगर धीरे धीरे ।।
इन हुस्न की गलियों में ऐसे न खो जाना,
भागदौड़ का है दस्तूर , मगर धीरे धीरे ।
थोड़ी तो रहम कर, ये बेरहमी शोभा नही देती,
टूटता है सबका गुरुर , मगर धीरे धीरे ।।
तेरे संग बीते सभी यादे जिन्दा है अभी,
दिल से मिटेगा, जरुर मगर धीरे धीरे।
अभी कुछ और पल इसी आगोश में जीने दे,
फिर इसे कर देना चकनाचूर, मगर धीरे धीरे ।।
सुना था की मुहब्बत में यकीं मुश्किल से करो ,
मुझ पर भी चढ़ा था सुरूर, मगर धीरे धीरे ।
दुनिया भले ही डूबे इस समंदर में अकेलानंद ,
पार तो मैं निकलूंगा जरुर मगर धीरे धीरे ।।