बटोगे तो कटोगे – हिन्दू धर्म को खतरा? आखिर किससे ? भारत में हिन्दू जाति में दलितों का स्थान

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बटोगे तो कटोगे – हिन्दू धर्म को खतरा? आखिर किससे ? भारत में हिन्दू जाति में दलितों का स्थान

 

भारत देश एक देश है जिसमे कई सारे धर्म, जाति और सम्प्रदाय के लोग स्वतंत्र होकर रहते है ।  इस देश में किसी को भी किसी धर्म को मानने या न मानने पर किसी भी तरह का दबाव नहीं दिया जाता  । कुछ लोग ईश्वर को मानने वाले है तो वहीँ कुछ नास्तिक भी देखने को मिल जायेंगे  लेकिन सभी में भारत देश के प्रति प्रेम देखने को मिल जायेगा ।

अगर हम जाति की बात करे तो अकेले हिन्दू धर्म में लगभग तीन हजार जातियां और पचीस हजार उपजातियां देखने को मिल जाएँगी ।  आखिर किसी एक धर्म के मानने वालों को इतने वर्गों में या जातियों में बांटने की जरुरत क्यों पड़ी ?

कुछ इतिहासकारों का मानना है की भारत देश के मूलनिवासी आदिवासी , जिन्हें दलित भी कहा जाता है वही है , बाकी अपने आप को उच्च वर्ग के मानने वाले तो बाहर से आये हुए है  । उन्होंने यंहा आकर भारत देश के भोली भाली  जनता (दलितों ) को मूर्ख बनाकर उन्हें निचला बताकर और अपने आपको सर्व श्रेष्ठ साबित कर दिया  । तब से लेकर आज के इस आधुनिक युग में भी हम इस जाति व्यवस्था से निकल नहीं पाए है ।  आज भी किसी दफ्तर में चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट सब जगह जाति पूछ कर काम किया जाता है अगर आप काम करने वाले कर्मचारी के निकटतम जाति के है तो आपका काम आसानी से हो जाता है वहीँ अगर आप निचली जाति से है तो आपका काम जरुरत से ज्यादा देर से होता है ।

बटोगे तो कटोगे – सारे हिन्दू एक हो जाओ – क्यों ?

(Hindu Dharm  me  Dalito ka sthan  )

दलित हिन्दू समाज का हिस्सा नहीं ?

हमारे देश के सभी बड़े हिन्दू नेता आज कल एक ही रट लगाये बैठे है की सभी हिन्दू एक हो जाओ , अगर बटोगे तो कटोगे

आखिर किस हिन्दू को एक होने की बात कर रहे है जहाँ एक दलित की फिल्म को आज के इस आधुनिक युग में भी नहीं रिलीज होने दिया जा रहा है ।

 

 

किस मुंह से आप उन्हें हिन्दू होने की बात कर रहे है !

जहाँ राजनीति में जातिवाद कूट कूट कर भरा हुआ है ब्राह्मणवादी विचार की बू आती है !

कहने को वो सभी को एक करना चाहते है परन्तु अन्दर ही अन्दर नफरत लिए बैठे है ।

सभी को गैर हिन्दुओ से खतरा है लेकिन यहाँ तो दलितों को आज भी हिन्दू नहीं माना जा रहा है । दशको पहले जो दलितों के साथ या यूं कहे की जो इस देश के असली मालिक है उनके साथ  भेदभाव होता आया है । आज दलित समाज अपने शिक्षा के बल पर बड़े बड़े कामयाबी हासिल कर रहा है इज्जत की रोटी खा रहा है लेकिन इन मनुवादियों को ये हजम नहीं हो रहा है ।

ये आदिकाल से ही दलितों के दुश्मन बने हुए है ।  हमारे देश के प्रधानमंत्री जब विदेश दौरे पर होते है तो कहते है मैं भगवान बुद्ध की धरती से आया हूँ  । परन्तु आज भी यहाँ बुद्ध के अनुयायियों को हिकारत के नजरो से देखा जाता है ।

कहते है फिल्मे समाज का आइना होते है जिसका प्रभाव सबके दिमाग पर होता है ।  अभी पीछे कई हिन्दू कहानियो पर आधारित फिल्मे आई जिनमे कइयो को लेकर आन्दोलन भी किये गए । परन्तु एक दलित आधारित फिल्म को इस देश में रिलीज नहीं होने दिया जा रहा है जो की सच्चाई को दर्शाती है ।

अब इस देश के दलितों पिछडो को सोचने की जरुरत है की ये मनुवादी आज भी आपके हितैषी नहीं है ।

ये कितना भी हिन्दू संगठित होने की बात कर रहे हो परन्तु आप ये समझ लेना की जब कोई जहरीला सांप सिर झुकाता है तो समझ लीजिये वो जहर उगलने की तैयारी में है ।

अब फैसला आपके हाथ में है की इन  मनुवादियो के पत्तल में झूठा चाटते रहना है या अपने दम पर आगे बढ़ना है ।

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अकेलानंद 

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