भारत माता की पुकार – बंद करो बेटी पर अत्याचार – हिंदी कविता
बलात्कारी को फांसी दो
आज के इस घोर कलयुग में बेटी पर अत्चाचार को देखकर भारत माँ का सीना छलनी होता जा रहा है ।
इसी मर्म को देखते हुए आखिर में ये पंक्तिया लिखनी पड़ी जिसे भारत के हर नागरिक तक पहुंचाने की जरुरत है, और सरकार को भी जागने की ख़ास जरुरत है:
अब देख के हालत नारी की ये भारत माता रोती है,
गर बेटी की इज्जत लुट जाये , भला कहाँ वो सोती है ।
उस माँ का दर्द भला किसको, कब अन्दर तक झकझोरेगा,
उस माँ की ममता को मरने से कौन भला अब रोकेगा ।।
बेटा हो या बेटी दोनों, गोद में उसकी खेले है,
बोझ बराबर दोनों के, इस भारत माँ ने झेले है ।
जब उसने दोनों के साथ नही जरा सा भी पक्षपात किया,
फिर किस कारण इक बेटे ने उसकी बेटी से घात किया ।।
है छलनी सीना आज किया जिसका है कोई इलाज नही,
ऐसा कुकर्म करते हुए क्यों आई उसको लाज नहीं ।
हे भारत के रक्षक बनने वाले, क्या तेरी भी हौंसला टूट गया,
इक बेटी को जिसने रौदा, तेरे रहते क्यों छूट गया ।।
एक बात पूछनी तुझसे है क्या लगता तुझको पाप नहीं,
इसलिए कही तू चुप बैठा , की लड़की का तू बाप नहीं ।
गर बाकी जरा भी शर्म तुझे , तो तुझको मेरी कसम यही,
ला खीच उसे अब फांसी दे, और कर दे उसको भस्म वहीँ ।।
गर भारत माँ अब रोएगी , फिर ऐसा प्रलय आएगा,
मानव जाति का नामो निशाँ इस दुनिया से मिट जायेगा ।
इतने पर सरकार की आँखे जो न अब खुल पाएंगी ,
अकेलानंद का दावा है वो मिटटी में मिल जाएगी ।।