सच्चा प्यार और शक

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आज के इस दौर में निःस्वार्थ प्रेम अकल्पनीय हैं, अगर किसी के साथ या किसी भी व्यक्ति को निःस्वार्थ प्रेम मिलता है तो

लोग उसे शक औऱ तार्किक नजरों से देखते हैं कि कहीं न कही इसमे कोई मतलब या स्वार्थ जरूर छिपा है,

कहते है दौलत , शोहरत और इज्जत , परिश्रम और पुरूषार्थ से मिल जाते है, मगर सच्चा प्यार या सच्ची दोस्ती

सिर्फ और सिर्फ नसीब से मिलता है, और ये हर किसी का नसीब नही होता है।

अगर आपको नसीब से ऐसा प्यार या प्यार करने वाले, साथ निभाने वाले मिल जाते है तो अनायास ही उन पर

शक करके या ये सोचकर कि अमुक व्यकि का कोई न कोई स्वार्थ होगा, तो ऐसा करके आप खुद के नसीब को

निष्फल कर रहे हों।

क्योकि ऐसे निस्वार्थ प्रेम करने वाले कभी नही चाहेंगे कि कोई उनके चरित्र पर शक करे औऱ फिर वो बिना कुछ

कहे या बिना किसी तरह का हानि पहुचाये आपकी जिंदगी से दूर चले जाते है।

अब निर्णय आपको करना है , उसे अपनाना है या ठुकराना है……………..

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