सूनी पड़ी है सड़के , मंजर है तनहा तनहा
सुबह का समय , सूरज की किरणे खिड़की के रास्ते सीधे कमरे में प्रवेश कर रही थी। बाहर चिडियो के चहचहाने और बच्चो के खलेने की शोर भी सुनाई दे रहे थे। समर्थ वो समर्थ जल्दी उठ जा कितना दिन चढ़ आया है,अभी तक सो रहा है, चिल्लाते हुए माँ की आवाज कानो में पड़ी तो वो झट से उठ बैठा। क्या माँ इतनी जल्दी जगा दिया, आज तो कालेज भी नहीं जाना है, शिकायत के लहजे में बोला और वाशरूम की तरफ बढ़ गया। सुबह के नौ बज चुके थे , डाइनिंग टेबल पर समर्थ और उसकी माँ के साथ एक छोटा बच्चा भी बैठा थ। अरे सनी सुबह इधर कैसे आ गया, पूछा समर्थ ने। उसकी माँ ने बोला ये सुबह से तीन बार आ चुका है, शायद तमन्ना को कोई किताब चाहिए थी इसलिए भेजा है। तमन्ना का छोटा भाई है सनी।