कांवड़ यात्रा – शिव भक्ति या फैशन का दौर

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कांवड़ यात्रा – शिव भक्ति या फैशन का दौर

 

आज के इस दौर मे कावरियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और ये छोटे छोटे गावों से ज्यादा संख्या मे कांवड़ यात्रा मे लोग शामिल हो रहे है। और गौरतलब करने वाली बात ये है की इसमें निचले और निम्न मध्यम वर्ग के लोग ही ज्यादा बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है। एक प्रश्न जो मेरे मन मे ज्यादा खटकती है की ये लोग भाँग के नशे मे लिप्त रहने को अपने आपको शिव भक्त दर्शाते है और उदाहरण देते है की ये तो भोले बाबा का प्रसाद है। और इन सबको बढ़ावा देने के लिए तरह- तरह के गाने भी बाजार मे उतार दिए जाते है। एक तो ये निम्न वर्ग के लोग कम पढ़े लिखें भी होते है और ज़ब भक्ति के साथ नशा करने का छूट इनको मिल जाये तो फिर इन्हे कोई भी नहीं समझा सकता।

क्या शिव जी नशा करते थे?

आज कल जो प्रचलन है की गांजा भाँग पीकर और बोलबम का जयकारा करते हुए सडक पर उतर जाओ तो आप बहुत बड़े शिव भक्त है। ये अफवाह इतनी तेजी से फैला है की हर कोई इसका अनुसरण कर रहा है। क्या शिव जी गांजा भाँग का नशा करते थे?
ये किस ग्रन्थ मे लिखा हुआ है, इसके आज तक कोई प्रमाण नहीं मिले है।
दूसरी बात की ये की आज के तथाकथित धर्म के प्रवक्ता या ठेकेदार जो भी कहले, इन्हे भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, की हमारे धर्म को किस तरह से गलत दिशा मे धकेला जा रहा है। और फर्क पड़े भी तो कैसे क्योंकि इन्हे मालूम है इस नशे की दलदल मे उच्च वर्ग या ज्यादा पढ़ा लिखा तबका तो बचा हुआ है और जो इनमे शामिल है उनसे इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता।

भक्ति का मतलब – दुसरो को परेशांन करना नहीं

 

भक्ति का मतलब ये है की आपकी वजह से बाकी लोगों को किसी भी तरह का कष्ट न हो, परन्तु काँवड़ यात्रा के दौरान कुछ लोग इस तरह से ब्यवहार करते हैं की आम नागरिक की नजर मे ये मात्र एक नशेड़ी और बावरे ही साबित होते है।
अभी हाल मे ही 3 दिन तक राजमार्ग अवरोधित रहा जिससे न जाने कितने का नुक्सान हुआ। जिन लोगों को जरुरी काम से जाना था उन्हें वापिस आना पड़ा। अब जरा सोचिये क्या उन लोगों के दिल से इन कावरियों के लिए अच्छे विचार तो नहीं निकलेंगे। चाहिए ये था की सुचारु रूप से यातायात भी चलता रहे और कांवड़ यात्रा भी बाधित न हो। परन्तु सरकार इन कुछ भक्त लोगों का पक्ष लेकर अपना वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

सभी तथाकथित भक्तो से निवेदन है की मात्र दिखावे के लिए ही शिव भक्ति न करे , इसको फैशन के रूप में न ले । एक अच्छा सा गेरुआ कपडा पहन लिए कंधे में गंगा जल टांग लिए और आठ दस फोटो खींच कर शोषल मीडिया पर डाल दिया , कुछ लोगो ने लाइक और कमेन्ट कर दिया बस आपकी भक्ति सफल हो गयी । शिवत्व एक साधना है, त्याग है, लोगो के प्रति सद्भावना है न की मात्र दिखावा ।

कांवड़ यात्रा –

कांवड़ यात्रा एक पवित्र यात्रा है जो सावन मास मे अपने आराध्य शिव जी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। गंगा जल भर कर शिव जी की अर्पित किया जाता है, इसमें श्रद्धांलू नंगे पैर कई किलोमीटर की यात्रा पैदल ही चलते है। ऐसे श्रद्धांलुओं को नमन है परन्तु कुछ नकारात्मक लोगों की वजह से इस कांवड़ यात्रा का परिहास नहीं होना चाहिए ये भी हमारा ही कर्तव्य बनता है की समाज से कुरीतियों को खत्म किया जाये। और सही मायने मे कांवड़ यात्रा को सफल बनाया जायेगा।

ॐ नमः शिवाय

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