गद्य

कलम के जादूगरों का चला जादू , चुतर्थ वार्षिकोत्सव में मचा धमाल

कलम के जादूगरों का चला जादू , चुतर्थ वार्षिकोत्सव में मचा धमाल

 

गजियाबाद में ३० नवंबर को अनंत होटल में कलम के जादूगर  का चर्तुथ वार्षिकोत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया गया । इस कार्यक्रम में पूरे देश भर से आये हुए कवियों ने अपना जादू विखेरा । कलम के जादूगर के संस्थापाक श्री श्रेय तिवारी जी की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम हुंकार  के नाम से आयोजित किया गया । इस संस्था का मुख्य उद्देश्य देश भर के नयी कलम को एक मंच दिलाना और उनकी पहचान दिलाना है ।

कलम के जादूगर
मैं बीरेंद्र गौतम , मुझे भी लिखने का शौक बहुत पहले से ही था मैंने कई सारे कविताये और कहानियां लिखी है ।
परन्तु मंच पर उन्हें सुनाने का मौका पहली बार कलम के जादूगर के होली महोत्सव में माननीय श्रेय तिवारी जी के माध्यम से सौभाग्य प्राप्त हुआ ।  जिससे न सिर्फ मेरी लेखनी को एक दिशा मिली बल्कि मेरे खुद के अन्दर यह जाग्रति पैदा हुई की मैं भी लिख सकता हूँ और आगे अपनी पहचान बना सकता  हूँ ।  अब तक न जाने कितने ही लोगो को इस मंच के माध्यम से एक शुरुआत मिली है और कितने ही कवि आज पूरे देश भर में अपनी रचनाओ द्वारा हिंदी साहित्य की सेवा कर रहे है ।
कलम के जादूगर परिवार का एक ही सपना है हिंदी साहित्य को उंचाइयो तक ले जाना और हर उस नए कलाकार को एक मंच दिलाना  ।
हुंकार का संचालन कवियित्री पूजा श्रीवास्तव , कवियित्री अलका  बलूनी पन्त , कवियित्री भावना जैन और कवियित्री अर्चना झा द्वारा किया गया ।
इस क्रायक्रम में हुंकार भरने वाले पूरे देश से पधारे रचनाकार है –  अंजू चौधरी, श्राबोनी गांगुली , मंजू कुशवाहा , पूनम नैन मलिक , रजनी जैन उन्नत , दीप्ति मिश्रा , स्मिता सिंह चौहान , ईशा भारद्वाज, मीरा सजवान , शशि किरण श्रीवास्तव, दीपिका वाल्दिया, अंजना जैन, नीलम यादव, डा सरिता गर्ग, संगीता वर्मा, डा वंदना श्रीवास्तव, सुकृति श्रीवास्तव, निशा सक्सेना, पारुल चौधरी, दीपांशी शुक्ला, कुलदीप  शुक्ला, डा ब्रजभूषण, विक्रम सिंह यादव वरनी, निर्दोष कुमार विन , रिजवान फरीदी , पद्मनाभ त्रिपाठी , तरुण जैन, शशांक मणि यादव , भूपेंद्र राघव, वेद भारती , अरुण कुमार श्रीवास्तव, विनय कुमार साहू निश्छल, विजय पुरोहित, नवीन जोशी नवल, और बीरेंद्र गौतम “अकेलानंद” 
इस कार्यक्रम में किसी  ने हास्य छेड़ा तो किसी ने राजनीति पर व्यंग कसा , सभी रचनाकारों ने अपने उत्कृष्ट रचना द्वारा श्रोताओ का मन मोह लिया  । क्रायक्रम के अंत में सभी  रचनाकारों को कलम के जादूगर के समूह द्वारा सम्मानित किया गया ।

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बटोगे तो कटोगे – हिन्दू धर्म को खतरा? आखिर किससे ? भारत में हिन्दू जाति में दलितों का स्थान

बटोगे तो कटोगे – हिन्दू धर्म को खतरा? आखिर किससे ? भारत में हिन्दू जाति में दलितों का स्थान

 

भारत देश एक देश है जिसमे कई सारे धर्म, जाति और सम्प्रदाय के लोग स्वतंत्र होकर रहते है ।  इस देश में किसी को भी किसी धर्म को मानने या न मानने पर किसी भी तरह का दबाव नहीं दिया जाता  । कुछ लोग ईश्वर को मानने वाले है तो वहीँ कुछ नास्तिक भी देखने को मिल जायेंगे  लेकिन सभी में भारत देश के प्रति प्रेम देखने को मिल जायेगा ।

अगर हम जाति की बात करे तो अकेले हिन्दू धर्म में लगभग तीन हजार जातियां और पचीस हजार उपजातियां देखने को मिल जाएँगी ।  आखिर किसी एक धर्म के मानने वालों को इतने वर्गों में या जातियों में बांटने की जरुरत क्यों पड़ी ?

कुछ इतिहासकारों का मानना है की भारत देश के मूलनिवासी आदिवासी , जिन्हें दलित भी कहा जाता है वही है , बाकी अपने आप को उच्च वर्ग के मानने वाले तो बाहर से आये हुए है  । उन्होंने यंहा आकर भारत देश के भोली भाली  जनता (दलितों ) को मूर्ख बनाकर उन्हें निचला बताकर और अपने आपको सर्व श्रेष्ठ साबित कर दिया  । तब से लेकर आज के इस आधुनिक युग में भी हम इस जाति व्यवस्था से निकल नहीं पाए है ।  आज भी किसी दफ्तर में चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट सब जगह जाति पूछ कर काम किया जाता है अगर आप काम करने वाले कर्मचारी के निकटतम जाति के है तो आपका काम आसानी से हो जाता है वहीँ अगर आप निचली जाति से है तो आपका काम जरुरत से ज्यादा देर से होता है ।

बटोगे तो कटोगे – सारे हिन्दू एक हो जाओ – क्यों ?

(Hindu Dharm  me  Dalito ka sthan  )

दलित हिन्दू समाज का हिस्सा नहीं ?

हमारे देश के सभी बड़े हिन्दू नेता आज कल एक ही रट लगाये बैठे है की सभी हिन्दू एक हो जाओ , अगर बटोगे तो कटोगे

आखिर किस हिन्दू को एक होने की बात कर रहे है जहाँ एक दलित की फिल्म को आज के इस आधुनिक युग में भी नहीं रिलीज होने दिया जा रहा है ।

 

 

किस मुंह से आप उन्हें हिन्दू होने की बात कर रहे है !

जहाँ राजनीति में जातिवाद कूट कूट कर भरा हुआ है ब्राह्मणवादी विचार की बू आती है !

कहने को वो सभी को एक करना चाहते है परन्तु अन्दर ही अन्दर नफरत लिए बैठे है ।

सभी को गैर हिन्दुओ से खतरा है लेकिन यहाँ तो दलितों को आज भी हिन्दू नहीं माना जा रहा है । दशको पहले जो दलितों के साथ या यूं कहे की जो इस देश के असली मालिक है उनके साथ  भेदभाव होता आया है । आज दलित समाज अपने शिक्षा के बल पर बड़े बड़े कामयाबी हासिल कर रहा है इज्जत की रोटी खा रहा है लेकिन इन मनुवादियों को ये हजम नहीं हो रहा है ।

ये आदिकाल से ही दलितों के दुश्मन बने हुए है ।  हमारे देश के प्रधानमंत्री जब विदेश दौरे पर होते है तो कहते है मैं भगवान बुद्ध की धरती से आया हूँ  । परन्तु आज भी यहाँ बुद्ध के अनुयायियों को हिकारत के नजरो से देखा जाता है ।

कहते है फिल्मे समाज का आइना होते है जिसका प्रभाव सबके दिमाग पर होता है ।  अभी पीछे कई हिन्दू कहानियो पर आधारित फिल्मे आई जिनमे कइयो को लेकर आन्दोलन भी किये गए । परन्तु एक दलित आधारित फिल्म को इस देश में रिलीज नहीं होने दिया जा रहा है जो की सच्चाई को दर्शाती है ।

अब इस देश के दलितों पिछडो को सोचने की जरुरत है की ये मनुवादी आज भी आपके हितैषी नहीं है ।

ये कितना भी हिन्दू संगठित होने की बात कर रहे हो परन्तु आप ये समझ लेना की जब कोई जहरीला सांप सिर झुकाता है तो समझ लीजिये वो जहर उगलने की तैयारी में है ।

अब फैसला आपके हाथ में है की इन  मनुवादियो के पत्तल में झूठा चाटते रहना है या अपने दम पर आगे बढ़ना है ।

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अकेलानंद 

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परिवार (PARIVAR) टूटने का क्या कारण है – परिवार को टूटने से कैसे रोके

परिवार टूटने का क्या कारण है – परिवार को टूटने से कैसे रोके

संयुक्त परिवार के टूटने का कारण – क्या भाइयो का अलग होना विकास है या विनाश

हमारे भारत देश में संयुक्त परिवार का प्रचलन रहा है आज से 50 साल पहले संयुक्त परिवार भारी मात्रा में पाए जाते थे कुछ समय से संयुक्त परिवार मनो हमारे समाज से बिलकुल गायब होता जा रहा है ।

इसके क्या कारण है क्यों संयुक्त परिवार को लोग विकास में बाधा समझते है  भाई भाई तो अलग होते ही थे परन्तु आज के समय में बेटा अपने बाप से पत्नी अपने पति से अलग रहने लगी है ।

अगर उनसे पूछो तो कहते है हमें आजादी वाली जिन्दगी जीनी है हम किसी के रोक टोक में अपना जीवन नहीं बिताना चाहते है ।

हम अपनी मर्जी से जब जहाँ चाहे आ जा सके , जो करना चाहे करे चाहे वो अच्छा हो या बुरा परन्तु हमें कोई राय देने वाला पसंद नहीं है ।

अब पहले जान लेते है की संयुक्त परिवार क्या होता है क्योकि आज की पीढ़ी इससे कोसो दूर है ।

संयुक्त परिवार

संयुक्त और सुखी परिवार – अकेलानंद

संयुक्त परिवार का मतलब है जहाँ एक ही परिवार में  2-3 पीढ़ी साथ में रहती है, जैसे परदादा – परदादी , दादा – दादी , माँ – बाप और फिर बच्चे  इसमें दादा –दादी के चाहे 1 बेटा या बेटी हो या उससे अधिक सब साथ में रहते है । मतलब पूरे परिवार में सारे रिश्ते जैसे दादा –दादी , चाचा –चाची, ताऊ – ताई, चचेरे भाई – बहन , भाभिया , देवरानी जेठानी , सास- बहु सभी मिलजुलकर ख़ुशी से रहते है ।

इसमें जो भी बड़ा होता है सब उसकी आज्ञा मानते है और घर के सारे निर्णय उसी के होते है ।और यह निर्णय ऐसा नहीं की उसकी अपनी स्वार्थ के लिए होता है, इस निर्णय में पूरे परिवार की भलाई छिपी रहती है  और परिवार के सभी सदस्य उसे सहर्ष स्वीकार भी करते है ।

संयुक्त परिवार के फायदे

1 -एकजुट रहना

2- आपस में प्यार की भावना जो बच्चों में भी दिखाई देती है , बच्चों को सही मार्ग दर्शन मिलता है

3-किसी एक पर काम का बोझ नहीं होता

4- अगर किसी पर दुःख आ पड़ता है तो उसे एहसास नहीं होने दिया जाता सब मिलजुलकर इसे दूर करते है

5- घर की सुरक्षा बनी रहती है

6  -आर्थिक विकास होता है क्योकि सब मिलकर काम कर रहे होते है

 

अब जानते है परिवार के टूटने का कारण

परिवार के टूटने में सबसे ज्यादा मुखिया की लापरवाही और एकतरफा फैसला होता है

दो से ज्यादा भाइयो में किसी एक को ज्यादा तवज्जो देना

बहुओ में कम ज्यादा सम्मान देना

कमाने और न कमाने वालो के बीच हमेशा मतभेद पैदा करना

किसी के बच्चे को कम और किसी को ज्यादा प्यार देना

बेटे की शादी के बाद उससे अलग सा ब्यवहार करना

 

अंत में मैं यही कहना चाहूँगा की परिवार की एकजुटता में ही सारी खुशिया समायी हुई है । परन्तु आज कल के इस डिजिटल माहौल में सब कुछ बिगड़ता जा रहा है । टीवी सीरियल और फिल्मे देखकर लोगो ले दिमाग ख़राब होते जा रहे है । यह कहना अनुचित तो नहीं होगा की यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत हमारे देश के परिवार को तोड़ने का काम किया जा रहा है ।

इसलिए हमें जागरूक रहने की जरुरत है और अपने बच्चो को इन दकियानूसी धारावाहिकों से दूर रखे उन्हें अपनी संस्कृति और सभ्यता के बार में जानकारी दे । रामायण दिखाए जिनमे दौलत पाने के लिए नहीं त्यागने के लिए संघर्ष दिखाया गया है ।

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अकेलानंद की कलम से

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गाँव में बेरोजगारी का कारण – ग्रामीण भारत में बेरोजगारी की समस्या

गाँव में बेरोजगारी का कारण – ग्रामीण भारत में बेरोजगारी की समस्या । ग्रेजुएट युवा गाँव छोड़ शहर पलायन करने को मजबूर 

 

हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या चरम सीमा  पर है ।  अच्छे पढ़े लिखे लोग भी आज रोजगार के लिए दर दर भटक रहे है उनको कोई नौकरी नहीं मिल रहे है ।

यह अनुपात गावं में सबसे ज्यादा मात्रा में पाई जाती है

गाँव में किस वर्ग में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है ?

आपको बता दे की गाँव में जो निम्न वर्ग या निम्न मध्यम वर्ग (लोअर मिडिल क्लास ) के लोग है उनमे बेरोजगारी की समस्या सबसे ज्यादा पाई जाती है ।

क्या कारण है पढ़े लिखे होने के बावजूद भी वो लोग बेरोजगार होते है और शहर की तरफ पलायन करने करने को मजबूर हो जाते है ।

रोजगार की तलाश में गाँव से शहर की ओर पलायन

आज की तारीख  में युवा की एक अधिक अनुपात जो की ग्रेजुअट होने के बावजूद भी बेरोजगार है और शहर में रोजगार की तलाश में भटक रही है  इसका कारण  है कोई तकनीकी जानकारी न होना।

गाँव में पढाई का सिलेबस सामान्य होना एक बहुत बड़ा कारण है ,आज के युवा पीढ़ी को बेरोजगार करने के लिए ।  आपको बता दे की गाँव में 90 प्रतिशत बच्चे हाई स्कूल और इंटर करने के बाद बी ए की पढाई करते है और उसमे भी सामान्य विषय को लेकर , क्योकि वंहा पर वही विषय पढाये जाते है ।

हिंदी, इतिहास, भूगोल, समाज शास्त्र, आदि और अंग्रेजी तो कम ही मात्रा में पढाई जाती है। अब इन विषयों में ग्रेजुएट होने के बाद इन्हें किसी और तकनीक की जानकारी नहीं होती है । फिर ये लोग सरकारी नौकरी के फार्म भरते है और 3-4 साल बर्बाद करने के बाद थक हार कर अपने किसी नजदीकी पहचान वाले के साथ रोजी रोटी के चक्कर में शहर आ जाते है, क्योकि इनकी माली हालत इतनी अच्छी नहीं होती की ये आगे की पढाई भी कर सके ।

अब एक युवक है दीपक उम्र 22 वर्ष  जिसने गाँव में ग्रेजुएट की पढाई की और तमाम सरकारी फॉर्म भरने के बाद भी उसे नौकरी नहीं मिली । यंहा एक बात और है की छोटी से छोटी सरकारी नौकरी मिलने में भी लाखों का रिश्वत देना पड़ जाता है, जो की दीपक के परिवार के लिए संभव नहीं है ।  2 साल बीतने के बाद घर वाले और गाँव वाले भी उसे ताने देना शुरू कर देते है, की कमाई कुछ करता नहीं और सारा दिन बस घूमता रहता है । अब चूँकि वो पढ़ा लिखा है तो किसी के यंहा मजदूरी करने में भी उसे शर्म तो आयेगी ही ।  फिर कुछ रिश्तेदारों का सुझाव आता है की इसकी शादी करवा दो फिर अपनी जिम्मेदारी समझ कर कमाई भी करने लगेगा । और फिर क्या एक शुभ मुहूर्त देखकर दीपक की शादी करा दी जाती है। चूँकि लड़का ग्रेजुएट है तो शादी भी ठीक ठाक हो ही जाती है, और उसमे काफी सारा पैसा खर्च कर दिया जाता है जिसका 50 प्रतिशत कर्ज में लिया होता है ।

अब दीपक के पास  कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता और उसे शहर के तरफ पलायन करना पड़ता है रोजी रोटी की तलाश में ।

यंहा आकर उसे पता चलता है की उसकी पढाई तो किसी काम की नहीं है क्योंकि उसने कोई स्किल नहीं सीखी है उसकी अंग्रेजी भी सामान्य से कम है । कई कंपनियों के ख़ाक छानने के बाद उसे हेल्पर की ही नौकरी मिल पाती है । अब चूँकि उस पर परिवार की जिम्मेदारी आ चुकी है तो किसी भी स्किल को सीखने का उसके पास समय नहीं है उसे तुरंत से पैसे कमाने की जरुरत है जिससे परिवार का खर्चा चल सके ।

फिर शुरू होता है एक ऐसा सफ़र जिसका कोई मकसद नहीं होता है अपनी जिन्दगी के 30-40 साल किसी ऐसे कम्पनी में बिता देता है, जहाँ उसके पढाई से कोई लेना देना नहीं  है । उसी जगह जो कर्मचारी मात्र दसवी पास है परन्तु उनके पास स्किल है कोई तकनीकी जानकारी है वो उससे अच्छा पैसा कमा रहे है।

क्या है इस बेरोजगारी को दूर करने का उपाय

 

पढाई के सिलेबस में बदलाव  जरुरी है

तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना

पैसा कमाने के तरीके को समझाना

पैसो का मनेजमेंट कैसे करे इस पर भी जानकारी देना

नौकर की जगह मालिक बनने पर जोर देना

बिजनेस स्टार्ट अप पर फोकस करना

सिर्फ सरकारी नौकरी के भरोसे पर नहीं रहना , जो की आज के समय में नामुमकिन है

सरकार को चाहिए की गाँव में MSME सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को बढ़ावा देना

आप सबसे निवेदन है की अपने बच्चो की पढाई पर खर्च करे परन्तु सोच समझकर किसी ऐसे विषय की पढाई जो की उसके भविष्य में कोई योगदान नहीं दे रही, उस तरफ न जाये बल्कि किसी तकनीकी शिक्षा पर पैसे खर्च करे ।

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कांवड़ यात्रा – शिव भक्ति या फैशन का दौर

कांवड़ यात्रा – शिव भक्ति या फैशन का दौर

 

आज के इस दौर मे कावरियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और ये छोटे छोटे गावों से ज्यादा संख्या मे कांवड़ यात्रा मे लोग शामिल हो रहे है। और गौरतलब करने वाली बात ये है की इसमें निचले और निम्न मध्यम वर्ग के लोग ही ज्यादा बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है। एक प्रश्न जो मेरे मन मे ज्यादा खटकती है की ये लोग भाँग के नशे मे लिप्त रहने को अपने आपको शिव भक्त दर्शाते है और उदाहरण देते है की ये तो भोले बाबा का प्रसाद है। और इन सबको बढ़ावा देने के लिए तरह- तरह के गाने भी बाजार मे उतार दिए जाते है। एक तो ये निम्न वर्ग के लोग कम पढ़े लिखें भी होते है और ज़ब भक्ति के साथ नशा करने का छूट इनको मिल जाये तो फिर इन्हे कोई भी नहीं समझा सकता।

क्या शिव जी नशा करते थे?

आज कल जो प्रचलन है की गांजा भाँग पीकर और बोलबम का जयकारा करते हुए सडक पर उतर जाओ तो आप बहुत बड़े शिव भक्त है। ये अफवाह इतनी तेजी से फैला है की हर कोई इसका अनुसरण कर रहा है। क्या शिव जी गांजा भाँग का नशा करते थे?
ये किस ग्रन्थ मे लिखा हुआ है, इसके आज तक कोई प्रमाण नहीं मिले है।
दूसरी बात की ये की आज के तथाकथित धर्म के प्रवक्ता या ठेकेदार जो भी कहले, इन्हे भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, की हमारे धर्म को किस तरह से गलत दिशा मे धकेला जा रहा है। और फर्क पड़े भी तो कैसे क्योंकि इन्हे मालूम है इस नशे की दलदल मे उच्च वर्ग या ज्यादा पढ़ा लिखा तबका तो बचा हुआ है और जो इनमे शामिल है उनसे इन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता।

भक्ति का मतलब – दुसरो को परेशांन करना नहीं

 

भक्ति का मतलब ये है की आपकी वजह से बाकी लोगों को किसी भी तरह का कष्ट न हो, परन्तु काँवड़ यात्रा के दौरान कुछ लोग इस तरह से ब्यवहार करते हैं की आम नागरिक की नजर मे ये मात्र एक नशेड़ी और बावरे ही साबित होते है।
अभी हाल मे ही 3 दिन तक राजमार्ग अवरोधित रहा जिससे न जाने कितने का नुक्सान हुआ। जिन लोगों को जरुरी काम से जाना था उन्हें वापिस आना पड़ा। अब जरा सोचिये क्या उन लोगों के दिल से इन कावरियों के लिए अच्छे विचार तो नहीं निकलेंगे। चाहिए ये था की सुचारु रूप से यातायात भी चलता रहे और कांवड़ यात्रा भी बाधित न हो। परन्तु सरकार इन कुछ भक्त लोगों का पक्ष लेकर अपना वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

सभी तथाकथित भक्तो से निवेदन है की मात्र दिखावे के लिए ही शिव भक्ति न करे , इसको फैशन के रूप में न ले । एक अच्छा सा गेरुआ कपडा पहन लिए कंधे में गंगा जल टांग लिए और आठ दस फोटो खींच कर शोषल मीडिया पर डाल दिया , कुछ लोगो ने लाइक और कमेन्ट कर दिया बस आपकी भक्ति सफल हो गयी । शिवत्व एक साधना है, त्याग है, लोगो के प्रति सद्भावना है न की मात्र दिखावा ।

कांवड़ यात्रा –

कांवड़ यात्रा एक पवित्र यात्रा है जो सावन मास मे अपने आराध्य शिव जी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। गंगा जल भर कर शिव जी की अर्पित किया जाता है, इसमें श्रद्धांलू नंगे पैर कई किलोमीटर की यात्रा पैदल ही चलते है। ऐसे श्रद्धांलुओं को नमन है परन्तु कुछ नकारात्मक लोगों की वजह से इस कांवड़ यात्रा का परिहास नहीं होना चाहिए ये भी हमारा ही कर्तव्य बनता है की समाज से कुरीतियों को खत्म किया जाये। और सही मायने मे कांवड़ यात्रा को सफल बनाया जायेगा।

ॐ नमः शिवाय

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फासला – रूठने और मनाने के बीच का

फासला - रूठने और मनाने के बीच का

हम सभी लोगो के बीच रूठने और मनाने का सिलसिला चलता रहता है चाहे वो रिश्ता हमारे खून का हो, दोस्ती का हो या फिर किसी अजनबी से रिश्ते का l कभी कभी तो लोग इसलिए रुठते है ताकि वो दुसरे पर अपने अधिकार को जता सके l 

रूठने से एक तरफ जहाँ प्यार का,  रिश्ते का, अपनेपन  के एहसास का पता चलता है वही कभी- कभी ये दूरी का भी कारण बन जाता है I कहते है रूठे रब को मनाना आसान है पर रूठे यार को मनाना मुश्किल I परन्तु रूठना उसी के लिए उपयुक्त होता है जिसका कोई मनाने वाला हो l बेवजह ही रूठकर अपने आप को व्यंग्य का स्रोत नही बनाना चाहिए l

अब आता है मनाने वाले की भूमिका –     रूठने वाले से ज्यादा मनाने वाला समझदार होना चाहिए l अगर आपका कोई दोस्त रूठ कर चला जाता है लेकिन आपको उसे मनाने का मार्ग नहीं पता है तो  आप उसे खो भी सकते है l और रूठने और मनाने के बीच का फासला अत्यंत ही गम्भीर हो जाता है , कभी –कभी तो हम सोचते है की अगर सामने वाला रूठकर गया है तो स्वयं ही वापस भी आ जायेगा l और  हम उसे मनाने के लिए बिलम्ब कर देते है l मैं आपको यह सलाह अवश्य देना चाहूँगा की अगर आपका कोई अपना रूठकर गया है तो अविलम्ब उसे मनाकर वापस ले आये l  क्योकि इंसान जब किसी कारण से रूठकर जाता है तो उसके मस्तिष्क में विचारों का एक द्वन्द चल रहा होता है l अगर उन विचारों पर अंकुश न लगाया जाये तो यह एक भयानक रूप भी ले लेती है l ऐसी स्थिति में कभी – कभी वो दूसरो की  सलाह भी लेने लगता है और शायद आपको ये पता होना चाहिए ऐसी स्थिति में सलाह देने वाला कभी आपका भला नही सोचेगा l और फिर ये आपसे दूर जाने का एक कारण भी बन सकता है l

रूठने का कारण – रूठने और मनाने की प्रक्रिया तो आजीवन चलती रहती है l अब यंहा विचार करने वाली ये बात है की रूठने का कारण क्या है l क्या वो कारण एक साधारण सी बात हो जिसके ऊपर ध्यान देने या न देने से कोई फर्क नहीं पड़ता, तो यकीन मानिये रूठने वाला ज्यादा देर तक आपसे दूर नहीं रह सकता l

लेकिन अगर कारण बड़ा है, जिसके वजह से आपकी जिन्दगी पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ रहा है तो उस स्थिति में आपको अपने दोस्त की बात मानने में कोई त्रुटी नहीं है  l क्यों की इस कारण से रूठने वाला आपका दोस्त सम्भवतः आसानी से आपकी जिन्दगी में वापिस नहीं आयेगा l और अगर मान ले की वह आपके प्यार की वजह से वापस आ भी जाता है , तब तक बहुत देर हो चुकी होती है l और जो अनहोनी या यूँ कहे की जिसे होने की सम्भावना की वजह से वो आपसे रूठकर गया था , तब तक वो घट चुकी होती है l और अब ऐसी स्थिति में उसके होने या न होने से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता l वह तो मात्र एक औपचारिकता ही होगी l

सच्चे  लोग आपकी जिन्दगी में बड़ी किस्मत से मिलते है , जो आपकी भलाई के लिए अपने आपको त्याग देते है l

इसलिए अगर आपका कोई दोस्त, नजदीकी, आपका चाहने वाला आपसे रूठकर जाता है तो समय रहते उसे मना लीजिये l क्योकि ये फासला जितना अधिक होगा, उसके वापस आने की उम्मीद उतनी कम होती जाएगी l

” रूठे यार मनाइये  , मत करिएगा विलंब l

बिन यार तुम्हारी जिन्दगी, खड़ा रहा स्तम्भ ll “

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प्यार वरदान है तो मोह अभिशाप

 प्यार अगर वरदान है तो वही मोह अभिशाप बन जाता है l किसी भी इंसान का अपनी परिस्थिति के वश में हो जाना और उसके अनुसार आचरण करना तो उसकी विवशता हो जाती है l परन्तु यदि आप किसी के मोह वश हो जाये और आपकी हंसी , आपका आनंद, आपका चैन दूसरे की बर्ताव पर निर्भर करे  तो यकीन मानिये आप उसके पूर्णतया अधीन हो चुके है l आपके मस्तिष्क पर उस इंसान का नियंत्रण हो चुका है l और आपकी मनोदशा विक्षिप्त हो चुकी है l हर पल, हर घडी , प्रत्येक स्थिति में आप उसी का चिंतन कर रहे होते है l

आप  अपना महत्व खत्म कर चुके है , अब आपकी गुणवत्ता एक निमित्त मात्र रह गयी है l

जिस तरह से एक कठपुतली का नृत्य दिखाने वाला मदारी का सम्पूर्ण नियंत्रण उसके कठपुतली पर होता है , वो जिस दिशा में चाहे , जिस कोण से चाहे उसे नचा सकता है , उससे जो भी भाव प्रकट करना चाहे या वाक्य कहना चाहे , वो सब कर सकता है l आपकी स्थिति भी एक कठपुतली की तरह हो जाती है l 

फिर भी  आप किसी के मोहवश में हो चुके है तो कठपुतली की जगह बुत बनना उचित रहेगा l आपको मौन धारण कर लेना चाहिए , और एक तरह से अपने आपको उसके सम्मुख निष्क्रिय बना देना चाहिए l ऐसी स्थिति में न तो आपके उपर किसी तरह का मानसिक दबाव रहेगा और न ही कोई दूसरा आपको अपने इशारे पर नचाने की चेष्टा करेगा l अपने आपको इस तरह निर्माण कीजिये की लोग आपकी वजह से नहीं आपके लिए बेचैन रहे और आपको उनके उस बर्ताव से कोई प्रभाव पड़े

प्यार रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है  l परन्तु मोह इंसान को हमेशा से कमजोर  बनाता आया है l 

हर पिता को अपने पुत्र से प्रेम होता है और वो चाहता है की वो अपने जीवन में एक सफल और सच्चा नागरिक बने, परन्तु यदि उसे मोह हो  जाए तो वह अपने पुत्र का त्याग नहीं कर पाएगा और फिर वो बालक न तो किसी विद्यालय में जा सकेगा और न ही अन्य कुशलताओ में निपुण हो सकेगा l अगर आप किसी का भला चाहते है , उसके व्यक्तित्व को निखारना चाहते है तो एक दायरे में रहकर कीजिये तभी आप सफल हो सकेंगे l जिस दिन आप उसके मोहवश हो जायेंगे यकीनन उसके साथ -साथ आप भी अपने आपको शुन्य कर लेंगे l 

फिर भी अगर आप उस इन्सान के बगैर चिंतित है, तो एक बार अपने आपको आइने में देखकर स्वयं से प्रश्न कीजिये क्या आपकी कीमत बस इतनी सी है की कोई भी आपका मालिक बन जाये l

अपने आपको अकेला कर लीजिये, और फिर देखिये समय का चक्र कैसे आपके अनुरूप काम करना शुरू करता है l 

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दोस्त – जो हर कीमत पर आपको सुरक्षित रखे

हम सब किसी न किसी के साथ जुड़े होते है चाहे वो प्यार का रिश्ता हो, दोस्ती का हो या किसी विशेष कारण से ही एक हुए हो |

इन सबमे एक ऐसा भी होता है जिस पर हम जान छिडकते है  किसी भी कीमत पर उसका बुरा नहीं होने देते |

लेकिन कभी कभी ऐसी स्थिति आ जाती है की हमारा वो दोस्त किसी गलत रास्ते पर निकल पड़ता है,  या कोई गलत निर्णय लेता है |तो उस स्थिति में हमें हर कीमत पर उसे रोकना चाहिए |

हो सकता है की उस समय उसके लिये वो रास्ता या वो वस्तु या अमुक इन्सान ज्यादा मायने रखता हो जिसके प्रति उसका लगाव बढ़ रहा है , और वो आपकी एक भी बात का समर्थन नहीं करेगा |

उस समय उसे आपकी हर बात निरर्थक लगेगी, और आप जो की उसके भले के लिए सोच रहे है सबसे बड़े शत्रु के रूप में दिखाई देंगे तो अब क्या ? क्या आपको उसे उसके हालत पर छोड़ देना चाहिए ? नहीं ! अगर आपने ऐसा किया तो उसे और बल मिलेगा की वही सही था और उसका निर्णय कभी गलत नहीं हो सकता |

हां, यह भी हो सकता है की वो आपको भला बुरा भी बोल दे जो आपके हृदय को आघात करे और क्रोध वश आप उसे हमेशा के लिए अकेला छोड़ दे |

लेकिन जरा सोचिये क्या यह उचित होगा ?

उदाहरण  के लिए  – आपका कोई छोटा बच्चा है और वो बार बार दीपक को पकड़ने की कोशिस करता  है तो आप उसे मना करते है | एक बार,  दो बार या तीन बार लेकिन अगर फिर भी  वो जिद करता है तो आप यह कहकर छोड़ देते है जा पकड ले , जब जलेगा तब पता चलेगा |

अब यहाँ पर दो बाते है जो आपको समझनी चाहिए पहला यह की आपने बच्चे को कई बार मना किया लेकिन वो नहीं माना इसलिए आपने उसे अपनी मनमर्जी करने दिया |

दूसरा यह की आप जानते है की उस दीपक से उसे ज्यादा नुकसान नहीं होगा और उसे सबक भी मिल जायेगा ताकि भविष्य में वो दुबारा गलती नहीं करेगा |

लेकिन जरा सोचिये अगर दीपक की जगह कोई आग का ढेर हो तो क्या तब भी आप उसे जाने देंगे …. चाहे आपके बीसियों बार मना करने के बावजूद वो जिद कर रहा हो , कदाचित नहीं |  फिर चाहे आपको उसे थप्पड़ ही क्यों न मारना पड़े लेकिन किसी भी कीमत पर उसे आग के पास नहीं जाने देंगे  | शायद आप उसे कमरे में बंद भी कर देंगे जब तक की वो आग खुद शांत न हो जाये या उसे आपको शांत करना पड़े |

आप ऐसा इसलिए करेंगे , क्योकि आपको पता है की दीपक से जलकर तो सबक मिल सकता है लेकिन आग के ढेर से वापसी का कोई रास्ता नहीं है |  

जिस तरह बच्चे को उस दीपक में या आग के ढेर में कोई खतरा नहीं दिखाई देता वो तो उसे चमकदार और आकर्षण लगता है, ठीक उसी तरह से आपके उस दोस्त को वास्तविक  खतरे का आभास नहीं है |

अब  क्या आप चाहेंगे की आपके दोस्त का भविष्य खतरे में पड़े या ऐसी परस्थिति उत्पन्न हो जाये और ऐसे मझधार में फंस जाये जहाँ से चाहकर भी वो  वापिस ही न आ पाए ……………………

कदाचित आप ऐसा नही चाहेंगे  , इसलिए आपका कर्तव्य बनता है  की उसे उस गलत निर्णय के लिए रोके चाहे उसके लिए किसी भी सीमा तक जाना पड़े |

अगर आप उसमे सफल हो गए तो हो सकता है की वो आपसे दूरिया बना ले, लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं |

कम से कम उसकी जिन्दगी बर्बाद होने से  तो बच गयी |

और यकीन मानिये एक न एक दिन वो तुम्हारे पास वापस जरुर आयेगा जब उसे सच्चाई का आभास होगा |

इसलिए अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा है तो बिना सोचे समझे निर्णय लीजिये उससे पहले की देर हो जाये, और आपके पास पश्चाताप और खुद को दिलासा देने के सिवाय कुछ भी न रहे |

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जिन्दगी में एक बार- जरूर करें प्यार

हर इन्सान को जिन्दगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए Iप्यार होने के बाद आपको सभी  भावनाओ, दर्द, एहसास, ऐतबार, इन्तजार, बेवफाई –रुसवाई, इर्ष्या, चिडचिडाहट ना जाने कितने ऐसे चीजो का मतलब समझ में आ जाता है जो वर्षो तक अध्ययन करने के बाद भी बड़े बड़े विद्वानों को समझ में नहीं आती I

एक एक पल का इंतजार कितना भारी महसूस होता है, शायद ही कोई समय का पावंद व्यक्ति समझ सके I हर बात को सोच समझ कर बोलना पड़ता है, कही उसके प्रेमी या प्रेमिका को बुरा न लग जाये I अपने और उसके पसंद नपसंद का ख्याल करना बहुत कुछ सिखा  जाता है I

अगर आप खुशकिश्मत हुए तो आपका प्यार सफल हो जायेगा, फिर हर चीज आपको आसान  लगने लगती है I फिर जिन्दगी
में बड़ी से बड़ी चीजो को हासिल करना आपका जुनून बन जाता है I

लेकिन अगर आपका प्यार सफल नहीं होता है या प्यार में धोखा मिलता है जो अक्सर मिलता ही रहता है I ऐसी स्थिति में जो एक दुखो का पहाड़ आपके ऊपर गिरता है, अगर उसे आपने संयम से दिल को काबू में रखकर सामान्य कर लिया तो यकींन मानिये जिन्दगी में कभी भी बड़ी से बड़ी मुसीबत के सामने भी आप विचलित नहीं हो सकते I

आप एक ऊँचे मुकाम को हासिल कर सकते है क्योकि अब आपके जज्बात खत्म हो चुके है I  किसी के लिए कोई भावना शेष नहीं रह गयी है I अब आपको  सिर्फ आपकी मंजिल दिखाई देती है I अब आपकी जिन्दगी में कोई सही-गलत, रोक-टोक करने वाला नहीं रह जाता I फिर एक बार सफल होने के बाद कोई आपको प्यार करने से इंकार कर सके ऐसा शायद ही होगा I

लेकिन अगर फिर भी ऐसा होता है तो अपने आप से प्यार करना सीख लीजिये, फिर किसी के प्यार की जरुरत नहीं पड़ेगी 

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दोस्ती में सोच संकरा नहीं सकारात्मक रखे

आप दो दोस्त है और एक काफी दिनों से परेशान हो, बहुत संघर्ष
कर रहा  हो, हर छोटी बड़ी बात उसकी तुम्हे पता है I

आप भी उसे सांत्वना  देते रहते हो की सब ठीक हो जायेगा I

फिर कुछ दिन बाद वो सिर्फ अपने बारे में बात करने लगता  है , की उसने ऐसा किया, उसने वैसा किया, आज उसे
एक उपलब्धि मिली है, आगे भी बात चल रही है इत्यादि I

अब आप सोचना शुरू कर  देते है की आपका दोस्त बदल चुका है , हर वक्त
अपने बारे में ही बात करता है , हर छोटी बड़ी उपलब्धियों को गिनवाता रहता है, कुछ
ज्यादा ही उड़ने लगा है, एकदम खुदगर्ज हो चुका है I

परन्तु सच तो ऐसा भी हो सकता है की वो आपके साथ हर छोटी बड़ी
ख़ुशी इसलिए साझा करता है की ताकि आपको लगे की अब उसके संघर्ष वाले दिन ख़त्म होने
वाले है I अब उसकी परेशानी ख़त्म होने वाली है I और ये सब बाते सिर्फ आपके साथ करता
है क्योकि वो सिर्फ आप ही हो जिसे उसके अतीत के बारे में,  सपनो के बारे मे,  हालत और हालात  के बारे में सब कुछ पता है I और आपको यह सब जानकर ख़ुशी होगी क्योकि आप उसके हमदर्द हो, हमसफर हो , आपसे कुछ ऐसा रिश्ता है
जिसे बयाँ नही किया जाता I

अब सोचना आपको है की आप इन बातो को किस  दृष्टिकोण से देखते है I 


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राज और राजदार – एक हद तक सीमित रखे

राज

हम सबकी जिन्दगी में कोई न कोई राज जरूर होते है अगर किसी कारणवश वो  सबके सामने आ जाये तो हो सकता है की आपकी जिन्दगी में कोई भी अनहोनी हो जाये

कुछ राज सकारात्मक भी हो सकते है लेकिन अधिकतर नकारात्मक ही होते है इसलिए तो उन्हें राज रखना पड़ता है

हम सबकी जिन्दगी में जाने अनजाने ऐसी घटनाये घट जाती है या कुछ ऐसा कर जाते है जिन्हें सोचकर बाद में पछतावा ही होता है

ये आपके साथ घटी हुई कोई घटना हो सकती है , या आपके द्वारा की गयी कोई भूल.

राजदार

अब चूकि कोई न कोई राज होने कारण एक राजदार भी होता है  जिसे आपसे ज्यादा आपके बारे में पता होता है I

हम अपनी छोटी बड़ी सारी बाते उसके साथ साझा करते है I लेकिन एक समय ऐसा भी आ जाता है जब दोनों के रास्ते अलग अलग हो जाते है I चाहे वो व्यक्तिगत हो या व्यावसायिक कारणों से I ऐसे में हमारे मन में एक ही शंका उठती है की क्या वो भी उस राज को राज रख पायेगा जो सिर्फ और सिर्फ उसे ही पता है I अगर कही उसने किसी के सामने उसे व्यक्त कर दिया तो मेरी इज्जत भी जा सकती है,   हमारी सारी  छबि धूमिल हो सकती है I अब इस हालात में हम  कुछ भी करने या न करने की स्थिति में रहते है I इसलिए जितना संभव हो सके किसी राजदार से तो दूर रहे , लेकिन अगर है तो कोशिश करे की उसके साथ एक दायरा बना कर रखे I

तो क्या हमें अपने राज किसी को बताने नहीं चाहिए ?

नहीं, मै  तो यही जनता हूँ की हर इंसान  से कोई न कोई भूल अवश्य हो जाती है,  और कुछ न कुछ अनचाही  घटनाये भी हो जाती है I आपको चाहिए की जितना संभव हो अपने राज अपने तक ही सीमित रखे I क्योकि  उसके उजागर होने से आपकी इज्जत दावं पर भी लग सकती हैI वो आपकी कोई भूल भी हो सकती है I लेकिन समय के साथ हर बड़ी छोटी घटनाएं ढक जाती है I

अब हमें खुदको सबके सामने कैसे प्रस्तुत करना है  ये सिर्फ आपके विचार पर निभर है

क्या पति-पत्नी के बीच में राज रहना चाहिए ?

मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा की वो अपनी पत्नी को बेहद प्यार करता था I एक दिन बातो ही बातो में उसने वो सब बता दिए जो की उसकी नजर में महज एक भूल थी लेकिन  उस घटना के बाद दोनों के बीच में तनाव उत्पन्न हो गया I मैं  यह नहीं कहता की अपने जीवनसाथी से कोई बात छुपा कर रखो.मैं इतना जरूर कहना चाहूँगा की जिस बात को राज रखने में ही परिवार की भलाई हो उसे राज ही रहने दे तो जीवन आसान  रहती है I  शादी से पहले की जिन्दगी में दोनों के कुछ राज जरूर होते है अब उन बातो को आगे लाने का कोई औचित्य नहीं है I

कोशश करे की पुनः ऐसी कोई भूल न हो जाये जिससे एक दुसरे से नजर न मिला पाए . इस लिए बीती हुई बातो पर पर्दा डालने में ही भलाई है


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प्यार एक प्रसाद है​

प्यार कोई सस्ती चीज़ नहीं जो यूँ ही लोग बांटते रहे, और इतनी महंगी भी नहीं की किसी को मिल भी न सके I

प्यार एक पूजा है, और एक उचित समय तक पूजा करने के बाद ही प्यार का प्रसाद मिल सकता है I

अब प्रसाद देने वाले के ऊपर निर्भर करता है की वो आपको किस मात्रा  में दे, अगर कम मिलता है तो भी हमें निराश नहीं होना चाहिए I कभी कभी हम प्रसाद को दोबारा मांगने की भी चेष्टा करते है, तो कभी मिल जाता है और ज्यादातर नहीं मिलता है I हमें इस बात से निराश नहीं होना चाहिए , बल्कि खुश होना चाहिए क्योकि किसी किसी के नसीब में तो इतना भी नहीं है I

अब आपकी लगन और निष्ठा पर निभर है की आपका प्यार कब तक स्थायी रहता है क्योकि प्यार पाने वालों की क़तार बहुत लम्बी है I जिन्दगी में सब कुछ आसानी से नहीं मिलता है, हमें लगातार कोशिश करते रहना चाहिए I 

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विश्वास, अपनो और गैरों के सहारे का मापदंड

आज भरम टूट ही गया, दूर हो गई सारी गलतफहमी

जो चाहकर भी नहीं रोक सके उसके आंखों की नमी।।

जिस विश्वास को बनाने में तुम अपना सौ प्रतिशत लगा देते हो, हर वह संभव प्रयास करते हो जिससे आप दोनों के बीच की विश्वास की

डोर मजबूत होती जाए I तुम उसे यह जताने मे सक्षम हो जाओ की अब तुम्ही मात्र एक ऐसे व्यक्ति हो जिस पर व आँख बंद करके भी

भरोसा कर सकती है। और उसे ऐसा लगने भी लगा जो तुम चाहते हो तो सब कुछ अच्छा लगतहै और गाड़ी मानो पटरी पर चल

पड़ती है। एक दूसरे के सहारे कई सारे सपने बुनने लगते है, और हर छोटी बड़ी बाते साझा करते है। और समय का

पहिया तेजी से चल पड़ता है।

फिर अचानक किसी की बुरी नजर तुम्हारे इस पवित्र रिश्ते पर पड़ जाती है, और वह व्यक्ति इसे गलत ठहराने का हर

संभव प्रयास करता है, और कहीं न कहीं सफल भी हो जाता है। अब उसको तुम्हारे खिलाफ इतना भडका देता है,

तुम्हारी बुराई और उसके साथ सहानुभूति दिखाने का प्रपंच करता है, अब अगर उसके मन मे तुम्हारे प्रति

अविश्वास की भावना जगती है तो कहीं न कही ऐसा संभव है की कुछ तो शेष रह गया था जहाँ पर अभी भी

दरार थी, क्योकि छत अगर मजबूत हो तो लाख बारिश हो,पानी नही टपकता, लेकिन अगर एक सुई जितना भी

सुराख हो तो सब नष्ट हो जाता है।

अब चूकि वो तुमसे नाराज है, तुम्हे अविश्वास की नजरो से देखती है, साथ मे दुखी भी है क्योकि उसे किसी और

के द्वारा ठेस पहुँचा है, उसका दिल अंदर से रो रहा है……..

ऐसे मे अगर वो अपने दिल को बहलाने के लिए, अपने आंसू को रोकने के लिए, अपनी भावना को व्यक्त करने

के लिए किसी अतीत का सहारा लेती है, और उससे बात करके खुद को हल्का महसूस करती है तो जरा सोचो

फिर तुम कौन हो, क्या हुआ तुम्हारे विश्वास का, क्या उसके साथ तुम्हारा विश्वास अडिग रह पायेगा,

अब तुम्हारी भावनाओ का क्या? तुम्हारे उस प्यार, दोस्ती, इंसानियत या जो भी था वो तो चकनाचूर हो गया न।

मानता हूँ तुम बहुत अच्छे इंसान हो, दुसरो का ख्याल खुद से ज्यादा करते हो। सामने वाले को सदा खुश रखना

चाहते हो, लेकिन तुम हार गये, खुद से, क्योकि शुरुआत तो तुमने ही किया था…….

अब तुम्हारे पास एक ही रास्ता है……. जी हाँ, वही जो तुम सोच रहे हो………

परंतु तुम ऐसा नही करोगे, क्योकि तुम उसे दुख नही दे पाओगे, अब अगर हिम्मत है तो फिर से उसी नक्शेकदम

पर आगे बढ़ जाओ, अन्यथा पहले की तरह अपनी किस्मत भर भरोसा कर लो……

सामने वाले पर फर्क पड़े या न पड़े, परंतु तुम पर जरूर होगा।

अकेलानंद

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