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पागल- हर इन्सान की अपनी अहमियत है

 

पात्र – पागल, पति – पत्नी और बच्चा

२-४ बच्चे ,दुकानदार और भीड़ 

दृश्य -१

एक व्यक्ति फटे पुराने कपडे पहने हुए, बिखरे हुए बाल, शरीर पर कीचड लगा हुआ, मनो कितने दिनों से नहाया नहीं हुआ था, सड़क पर चले जा रहा है।  किनारे से छोटे छोटे बच्चे पागल पागल कहते हुए , कोई उस पर कंकड़ मार रहा है तो कोई दूर से ही चिढ़ा रहा है।

और वो व्यक्ति अपने ही धुन में चले जा रहा है बिना किसी का जवाब दिए हुए

एक दुकान के पास  एक महिला अपने छोटे बच्चे के साथ खड़ी है, बच्चा हाथ में एक ब्रेड का टुकड़ा लेकर खा रहा है।

पागल – इशारे से ही उस औरत से कुछ खाने के लिए बोलता है /

औरत – चल दूर हट यहाँ से , पागल कहीं का। 

पागल- (बच्चे के तरफ देखते हुए- अपने पेट पर हाथ फिरता हुआ ) मुझे भूख लगी है , कुछ खिला दो

(छोटा बच्चा उस आदमी की तरफ देखते हुए ब्रेड का टुकड़ा बढ़ा रहा होता है की वो औरत बच्चे को खींच कर दूसरी तरफ ले जाती है, और वो ब्रेड का टुकड़ा वही जमीन पर गिर जाता है )

औरत मन में गालिया बकते हुए वहां से चली जाती है , दुकान दार उस पागल की तरफ डंडा लेकर दौड़ता है, चल  भाग यंहा से।

पागल उस गिरे हुए ब्रेड के टुकड़े को उठा कर खाने लगता है और धीरे धीरे वंहा से चला जाता है।

दृश्य –

अगले दिन वही पागल व्यक्ति एक कॉलोनी की तरफ पहुँच जाता है तो देखता है की वही बच्चा बाहर हाथ में बिस्कुट लेकर खा रहा होता है और बगल में उसके पापा बैठे हुए है।

बच्चे को देखकर पागल इशारा करता है , बच्चा धीरे धीरे उसके पास जाने लगता है।

बच्चे का पिता उसे जाते हुए देखता है तो रोकता है

पागल- साहब कुछ खाने को दे दो, बहुत भूख लगी है।

पिता- ठीक है दूर रहो , मै कुछ मंगाता हूँ।  (और घर के दरवाजे पर जाकर आवाज लगाता है )          

सुनती हो , जरा कुछ खाने के लिए ले आना, बेचारा भूखा है।

इतने में वो बच्चा बिस्कुट का पैकेट उसे दे देता है।

पिता अपने बच्चे के इस हरकत को देखकर मुस्करा देता है

इतने में एक औरत हाथ में रोटी लेकर बाहर आती है और उस पागल को देखकर भड़क उठती है।

औरत – तो इस पागल के लिए आप रोटियां मंगा रहे थे।

पिता- तो क्या हुआ आखिर वो भी तो इंसान ही है, दो रोटी खिला दोगी तो तुम्हारा कुछ बिगड़ नहीं जायेगा।

औरत- हां हां क्यों नहीं सरे पागलो को यही बुला लो, धर्मशाला खोल रखा है न, और उस पागल को वंहा से भगा देती है ,

पागल बिस्कुट का टुकड़ा खाते हुए उस बच्चे को देखता है और वंहा से चला जाता है।

दृश्य –

शाम का समय है , पति , पत्नी और बच्चा गाड़ी में बैठकर बाजार जाते है।

बाजार पहुँच कर पति,  पत्नी और बच्चे को गाड़ी से उतार देता  है।

पति – यहीं पर रुको मै गाड़ी को पार्किंग में लगाकर आता हूँ।

औरत अपने बच्चे के साथ उतर जाती है , पति गाड़ी लेकर चला जाता है।

दोनों माँ और बच्चे सड़क के किनारे ही खड़े है , इतने में औरत के फ़ोन की घंटी बजती है और वो फोन पर किसी से बात करने लगती है ,

बातो बातो में वो बच्चे का हाथ छोड़ देती है और इधर उधर टहलते हुए बात करने लगती है।

इतने में बच्चा सड़क पर पहुंच जाता है , अचानक एक जोर से टकराने की आवाज आती है , तो उस औरत का ध्यान उधर सड़क की तरफ जाता है , लोगो की भीड़ जमा हो जाती है ,

उधर तब तक पति भी वहां पहुंच जाता है और पूछता है अपना बच्चा कहाँ है।

दोनों घबरा कर उस भीड़ के पास पहुंच जाते है तो देखते है की उनका बेटा घबराया हुआ रो रहा है , और बगल में एक व्यक्ति की लाश पड़ी हुई है , जब उसके शरीर को सीधा करते है तो ये वही पागल होता है।

फ़्लैश बैक

(जब बच्चा सड़क पर जा रहा होता है तो दूर वही पागल खड़ा होता है, गाड़ी को उसके पास जाते देखकर उस बच्चे को बचाने की कोशिश करता है लेकिन खुद ही उसकी चपेट में आ जाता है। )

अंतिम दृस्य

औरत को अपने किये हुए बर्ताव पर बहुत पछतावा होता है, और रोने लगती है ,

औरत- मैंने बहुत बुरा बर्ताव किया इसके साथ और आज इसने मेरे बच्चे की जान बचाने के लिए अपनी जान गावं दी।

पति- बिलकुल सही कहा , हमें किसी भी व्यक्ति के साथ दुर्व्यहार नहीं करना चाहिए आखिर वो भी तो इंसान ही होते है, पता नहीं अपनी किस गलती और हालात के कारण उनकी ऐसी स्थिति हो जाती है , हमें चाहिए की ऐसे लोगो के साथ सहानुभूति रखे और कभी किसी को कष्ट न पहुचांए।